"कटपयादि": अवतरणों में अंतर

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== नियम ==
[[शंकर वर्मन|शंकरवर्मन]] द्वारा रचित [[सद्रत्नमाला]] का निम्नलिखित श्लोक इस पद्धति को स्पष्ट करता है -
 
: '''नज्ञावचश्च शून्यानि संख्या: कटपयादय:।'''
पंक्ति 96:
:: = 314159265358979324 (सत्रह दशमलव स्थानों तक, 3 के बाद दशमलव मानिए।)
 
* '''[[कर्नाटक संगीत]]''' में [[मेलकर्ता राग|मेलकर्ता रागों]] के लिये [[कटपयादि|कटपयादि संख्या]]
 
* '''[[नारायणीयम्]]''' के अन्त में ''आयुरारोग्यसौख्यम्'' आया है, जिसके संगत संख्या ''1712210'' आती है जो इस ग्रन्थ की समाप्ति का दिन बताता है। अर्थात् यह ग्रन्थ [[मलयालम पंचांग]] के अनुसार [[कलियुग]] के आरम्भ के 1712210-वें दिन समाप्त हुआ।
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== इन्हें भी देखें ==
* [[कटपयादि|कटपयादि संख्या]]
* [[भूतसंख्या पद्धति]]
* [[आर्यभट्ट की संख्यापद्धति]]
पंक्ति 128:
* [[मेरु प्रस्तार]]
* [[पादुका सहस्रम]] - इसमें एक श्लोक में [[शतरंज]] के सुप्रसिद्ध 'नाइट्स टूर' (Knight's tour) समस्या का हल ([[अल्गोरिद्म]] दिया हुआ है।
* [[केरलीय गणित सम्प्रदाय|केरल में ज्योतिष एवं गणित]]
* [[माधवाचार्य की ज्या सारणी|माधव की ज्या सारणी]]
* [[चन्द्रवाक्य]]