"कन्या राशि": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Virgo2.jpg|thumb|right|200px|कन्या राशि]]यह [[राशियाँ|राशि]] चक्र की छठी राशि है।[[दक्षिण]] दिशा की द्योतक है। इस राशि का चिह्न हाथ में फ़ूल की डाली लिये कन्या है। इसका विस्तार राशि चक्र के १५० अंशों से १८० अंश तक है। इस राशि का स्वामी [[बुध (बहुविकल्पी)|बुध]] है, इस राशि के तीन द्रेष्काणों के स्वामी [[बुध (बहुविकल्पी)|बुध]],[[शनि]] और [[शुक्र]] हैं। इसके अन्तर्गत [[उत्तराफ़ाल्गुनी]] नक्षत्र के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण,[[चित्रा]] के पहले दो चरण और [[हस्त]] नक्षत्र के चारों चरण आते है। उत्तराफ़ाल्गुनी के दूसरे चरण के स्वामी [[सूर्य]] और शनि है, जो जातक को उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के प्रति अधिक महत्वाकांक्षा पैदा करते है, तीसरे चरण के स्वामी भी उपरोक्त होने के कारण दोनो ग्रहों के प्रभाव से घर और बाहर के बंटवारे को जातक के मन में उत्पन्न करती है, चौथा चरण भावना की तरफ़ ले जाता है और जातक दिमाग की अपेक्षा ह्रदय से काम लेना चालू कर देता है। इस राशि के लोग संकोची और शर्मीले प्रभाव के साथ झिझकने वाले देखे जाते है। मकान, जमीन.और सेवाओं वाले कार्य ही इनकी समझ में अधिक आते हैं, कर्जा, दुश्मनी और बीमारी के प्रति इनका लगाव और सेवायें देखने को मिलती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से फेफड़ों में ठन्ड लगना और पाचन प्रणाली के ठीक न रहने के कारण आंतों में घाव हो जाना, आदि बीमारियाँ इस प्रकार के जातकों में मिलती है।
 
देवी [[दुर्गा]] का एक नाम।
 
=== कन्या राशि ===
यह राशि चक्र की छठी राशि है।[[दक्षिण]] दिशा की द्योतक है। इस राशि का [[चिह्न]] हाथ में [[पुष्प|फ़ूल]] की [[डाली]] लिये कन्या है। इसका [[विस्तार]] राशि चक्र के १५० अंशों से १८० अंश तक है। इस राशि का स्वामी [[बुध (बहुविकल्पी)|बुध]] है, इस राशि के तीन द्रेष्काणों के स्वामी [[बुध (बहुविकल्पी)|बुध]],[[शनि]] और [[शुक्र]] हैं। इसके अन्तर्गत [[उत्तराफ़ाल्गुनी]] [[नक्षत्र]] के दूसरे, तीसरे और चौथे [[चरण]],[[चित्रा]] के पहले दो [[चरण]] और [[हस्त]] [[नक्षत्र]] के चारों [[चरण]] आते है। इन चरणों के स्वामीऔर विस्तार इस प्रकार से है।
 
=== नक्षत्र चरण और फ़ल ===
[[उत्तराफ़ाल्गुनी]] के दूसरे [[चरण]] के स्वामी [[सूर्य]] और [[शनि]] है। जो [[जातक]] को उसके द्वारा किये जाने वाले कार्यों के प्रति अधिक महत्वाकांक्षा पैदा करते है, तीसरे चरण के स्वामी भी उपरोक्त होने के कारण दोनो ग्रहों के प्रभाव से [[घर]] और बाहर के बंटवारे को [[जातक]] के मन में उत्पन्न करती है। चौथा चरण[[संवेग (भावना)|भावना]] की तरफ़ ले जाता है और जातक [[मस्तिष्क|दिमाग]] की अपेक्षा [[हृदय|ह्रदय]] से काम लेना चालू कर देता है।
=== प्रकॄति ===
सकोची और शर्मीले प्रभाव के साथ झिझकने वाले जातक कन्या राशि के ही देखे जाते है। मगर अपनी भावनाओं पर ज्यादा देर नियंत्रण नही रख पाते।
 
=== आर्थिक फ़ल ===
मकान, जमीन.और सेवाओं वाले कार्य ही इनकी समझ में अधिक आते हैं,[[ऋण|कर्जा]],[[दुश्मनीदुश्मन]] और [[रोग|बीमारी]] के प्रति इनका लगाव और सेवायें देखने को मिलती है।
 
=== स्वास्थ्य ===