"कम्यून": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास और परम्परा ==
कम्यून की परंपरा अति प्राचीन है। इसका इतिहास आदिम और ईसाई कम्यूनिज़्म से भी पुराना है। इजरायली [[किबूत|किबूतों]] में संपत्ति पर सामूहिक स्वामित्व रहता रहा है। आज भी [[इज़राइल|इजरायल]] में राष्ट्रीय संस्था के रूप में किबूतों का नए सिरे से निर्माण हुआ है। इस व्यवस्था में प्रत्येक सदस्य अपनी अर्जित संपत्ति किबूत को सौंप देता है और बदले में केवल जीवनयापन के लिए आवश्यक सहायता उसके प्राप्त करता है।
 
वैधिक अर्थ में मध्ययुग के सभी नगर कम्यून थे। कम्यून की उत्पत्ति का प्रमुख कारण तत्कालीन विकसित होते हुए व्यावसायिक तथा श्रमिक वर्ग की नवीन आवश्कताओं की पूर्ति तथा उनकी सामान्य रक्षा के लिए आवश्यक संगठन था। इनका इतिहास 11वीं शताब्दी से स्पष्ट रूप में मिलता है, जब वाणिज्य और व्यवसाय के लिए भौगोलिक दृष्टि से सर्वाधिक लाभप्रद क्षेत्रों में इनकी स्थापना हुई। इनके निवासियों की सामाजिक स्थिति अन्य लोगों से इसलिए भिन्न थी कि उन्होंने कृषि के स्थान पर वस्तुओं के उत्पादन तथा विनिमय की जीविकापार्जन का साधन बनाया था। कम्यून की उत्पत्ति सामंतवादी संगठनों के बीच हुई क्योंकि इन संगठनों ने जब नवोदित व्यावसायिक वर्ग की आवश्यकताओं की अवहेलना को तब विवश हो उस वर्ग को अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए अपने साधन अपनाने पड़े। प्रारंभ में कम्यून का संगठन पूर्ण रूप से वैयक्तिक था; वह केवल उन्हीं लोगों से संबंधित था जो उसमें स्वेच्छा से सम्मिलित होने के लिए तैयार थे और इस संगठन के हेतु शपथ ग्रहण करते थे। 12वीं शताब्दी के अंत में कम्यून वैयक्तिक न होकर क्षेत्रीय हो गए जिसके फलस्वरूप नगर के सभी निवासियों को उसके अधीन रहने की शपथ लेनी अनिवार्य हो गई। मध्ययुगीन समाज के विभाजित तथा स्थानीय होने के कारण कम्यूनों के स्वरूप में स्थान तथा परिस्थितियों के अनुसार विभिन्नताएँ थीं, यद्यपि इन विभिन्नताओं के होते हुए भी कुछ सामान्य लक्षण भी थे।
 
[[फ़्रान्स|फ्रांस]] के कम्यून आंदोलन का अभिप्राय बड़े नगरों को देश में स्थापित केंद्रीय सत्ता के नियंत्रण से मुक्ति दिलाना था। इस मुक्तिप्राप्ति के ढंगों के विषय में वहाँ दो मत थे। एक यह कि देश को विभिन्न स्वायत्तशासित कम्यूनों में बाँट दिया जाए और उन सबके सामान्य हितों का प्रतिनिधान करनेवाली किसी संघीय परिषद् में प्रत्येक कम्यून अपने-अपने सदस्य भेज सके। कम्यून विषयक यह सिद्धांत साम्यवादी सिद्धांत है और इसी सिद्धांत को पेरिस के कम्यून ने अपनाया था। देसरे, कम्यून दूसरे देश में अपने विचारों की निरंकुशता स्थापित करने और देश पर आधिपत्य जमाने के लिए उन नगरों को संगठित करे जो उसके आदर्शों के प्रति संवेदनशील हों। यह विचार पेरिस के क्रांतिकारी दल के एक वर्ग में प्रचलित था। क्योंकि तत्कालीन परिस्थितियाँ इस विचार को बल प्रदान करने में सहायक थीं। इस विचार के समर्थकों ने बाहरी शत्रु से आतंकित देश के लिए तत्कालीन सरकार की निरर्थकता इस आधार सिद्ध करने की चेष्टा की कि वह अनुशासन और शासनप्रबंध के पुराने तथा असामयिक ढंगों पर चलनेवाली सरकार थी जब कि समयानुसार आवश्यकता थी अपने को स्वयं संगठित कर सकने के लिए जनशक्ति की स्वतंत्रता की, सार्वजनिक सुरक्षा के लिए जनमत द्वारा निर्वाचित एक समिति की, प्रांत के लिए आयुक्तों की, तथा देश द्रोहियों के लिए मृत्युदंड की उचित व्यवस्था की।
 
=== पेरिस कम्यून ===