"कयामत (2003 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

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== कहानी ==
सीबीआई में काम करने वाले अकरम शेख ([[सुनील शेट्टी]]) को तीन आतंकवादियों को पकड़ने का काम सौंपा जाता है। इन तीन आतंकवादियों में दो भाई, अली ([[संजय कपूर]]) और अब्बास रमानी ([[अरबाज़ ख़ान|अरबाज़ खान]]) और उनकी प्रेमिका लैला ([[ईशा कोपिकर]]) हैं। ये तीनों पाकिस्तानी सेना के एक अफसर राशिद (दीप ढीलों) के कहने पर काम करते हैं। उन लोग भारत सरकार से फिरोती में पैसे मांगने के लिए एक योजना बनाते हैं। इसके तहत वे लोग मुंबई में तीन किलोमीटर तक फैले एल्फिन्स्टोन जेल को अपने कब्जे में ले लेते हैं। वे लोग वाइरस से भरे तीन मिसाइल को भी तैयार रखते हैं। उस जेल में घूमने आए 213 पर्यटकों को भी वे लोग अपने कब्जे में ले लेते हैं और फिरोती के रूप में भारत सरकार से चौबीस घंटे में 1500 करोड़ मांगते हैं। ऐसा न करने पर वे लोग मिसाइल छोड़ने की धमकी देते हैं, जिससे मुंबई में कयामत आ जाएगा।
 
एल्फिन्स्टोन जेल से एक कैदी, रचित के अलावा उसके पूरे इतिहास में कोई भी भाग नहीं पाया है। इस कारण अकरम को जेल में जाने के लिए रचित की मदद की जरूरत पड़ती है, वो इस बारे में मुख्यमंत्री से बात करता है और वो उसे अनुमति दे देते हैं। रचित जब से अपने प्यार, सपना (नेहा धूपिया) को मरते हुए देखता है, वो अवसाद में चले जाता है और कई सालों से बिना कुछ बोले रहने लगता है। रचित का अली और अब्बास से बहुत पुराना रिश्ता है, वो तीनों पहले साथ में काम करते थे। यही दोनों उसके जेल जाने की वजह हैं और सपना को मारने वाले भी यही होते हैं। रचित को ये पता नहीं होता है कि सपना जीवित है। अकरम और उसके दल के लोग राहुल ([[आशीष चौधरी]]) को भी मिसाइल के बारे में जानकारी होने के कारण रख लेते हैं। वे लोग पहले पानी के अंदर से जाते हैं, फिर उस जगह से जाते हैं, जिस जगह से रचित बाहर निकला था। वे लोग उस जेल के अंदर आने में सफल हो जाते हैं, लेकिन उनके आने की जानकारी एक भ्रष्ट नेता उन लोगों को दे देता है, जिससे वे लोग उन्हें मारने के लिए पहले से तैयार रहते हैं। इस घात लगाकर किए गोलीबारी में अकरम और उसके दल के सारे लोग मारे जाते हैं। बस दूर रहने के कारण राहुल और रचित ही किसी तरह बच जाते हैं।