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'''अग्नि''' [[हिन्दू धर्म]] में आग के देवता हैं। वो सभी [[देवता]]ओं के लिये [[यज्ञ]]-वस्तु भरण करने का माध्यम माने जाते हैं -- इसलिये उनकी उपाधि '''भारत''' है। [[वैदिक सभ्यता|वैदिक काल]] से अग्नि सबसे ऊँचे देवों में से हैं। पौराणिक युग में [[अग्निपुराण|अग्नि पुराण]] नामक एक ग्रन्थ भी रचित हुआ। हिन्दू धर्म विधि में यज्ञ, हवन और विवाहों में अग्नि द्वारा ही देवताओं की पूजा की जाती है।
 
== परिवार ==
सामूहिक यज्ञ नामक पुस्तक के अनुसार अग्नि की पत्नी का नाम स्वाहा था जो कि [[दक्ष प्रजापति]] तथा [[आकूति]] की पुत्री थीं।<ref>अग्नेः पत्नी तथा स्वाहा धूम्रोर्णतु यमस्यतु ।।</ref> उनके तीन पुत्र पावक, पवमान तथा शुचि थे। इन्हीं में से एक द्वितीय [[मनु]] [[स्वरोचिष मनु]] हुए तथा इन्हीं तीनों से ४५ प्रकार के अग्नियों का प्राकट्य हुआ।<ref>[[भागवत पुराण|भागवत]]</ref>
 
== सन्दर्भ ==