"अजंता गुफाएँ": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है |
|||
पंक्ति 12:
}}
''' अजंता गुफाएँ ''' [[महाराष्ट्र]], [[भारत]] में स्थित तकरीबन २९ चट्टानों को काटकर बना बौद्ध स्मारक गुफाएँ जो [[२०० ईसा पूर्व|द्वितीय शताब्दी ई॰पू॰]] के हैं। यहाँ [[बौद्ध धर्म]] से सम्बन्धित चित्रण एवम् शिल्पकारी के उत्कृष्ट नमूने मिलते हैं।<ref>[http://whc.unesco.org/en/list/242 ''Ajanta Caves, भारत: Brief Description,'' युनेस्को World Heritage Site. Retrieved 27 अक्टूबर 2006.]</ref> इनके साथ ही सजीव चित्रण<ref>[http://whc.unesco.org/archive/advisory_body_evaluation/242.pdf ''Ajanta Caves: Advisory Body Evaluation,'' युनेस्को International Council on Monuments and Sites. 1982. Retrieved 27 अक्टूबर 2006.]</ref> भी मिलते हैं। यह गुफाएँ अजंता नामक गाँव के सन्निकट ही स्थित है, जो कि [[महाराष्ट्र]] के [[औरंगाबाद]] जिले में है। (निर्देशांक: 20° 30’ उ० 75° 40’ पू॰) अजंता गुफाएँ सन् [[१९८३|1983]] से [[युनेस्को]] की [[विश्व धरोहर|विश्व धरोहर स्थल]] घोषित है।"<ref name=""pib-14feb13""> {{cite web | url = http://pib.nic.in/newsite/hindirelease.aspx?relid=26880 | title=‘यूनेस्को’ की सूची में स्मारकों को शामिल किया जाना | publisher = पत्र सूचना कार्यालय, भारत सरकार | date= 14 फ़रवरी 2014 | accessdate = 15 फ़रवरी 2014}}</ref>
‘’’नैशनल ज्यॉग्राफिक ‘’’ के अनुसार: आस्था का बहाव ऐसा था कि प्रतीत होता है, जैसे शताब्दियों तक अजंता समेत, लगभग सभी बौद्ध मंदिर, हिन्दू राजाओं के शासन और आश्रय के अधीन बनवाये गये हों।<ref>(January 2008, VOL. 213, #1)</ref>
पंक्ति 22:
[[Image:Aurangabad - Ajanta Caves (4).JPG|thumb|200px|left| अजंता गुफाएँ - प्रवेश चिन्ह]] -->
[[चित्र:Aurangabad - Ajanta Caves (9).JPG|thumb|200px|left| अजंता गुफाएँ - टिकट कार्यालय से एक दृश्य]]
[[चित्र:Meister des Mahâjanaka Jâtaka 001.jpg|thumb|300px| अजंता गुफाओं से [[जातक|जातक कथाएँ]]]]
गुफाएँ एक घने जंगल से घिरी, अश्व नाल आकार घाटी में अजंता गाँव से 3½ कि॰मी॰ दूर बनी है। यह गाँव [[महाराष्ट्र]] के [[औरंगाबाद]] शहर से 106 कि॰मी॰ दूर बसा है। इसका निकटतम कस्बा है [[जलगाँव]], जो 60 कि॰मी॰ दूर है, [[भुसावल]] 70 कि॰मी॰ दूर है। इस घाटी की तलहटी में पहाड़ी धारा वाघूर बहती है। यहाँ कुल 29 गुफाएँ ([[भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण|भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग]] द्वारा आधिकारिक गणनानुसार) हैं, जो कि नदी द्वारा निर्मित एक प्रपात के दक्षिण में स्थित है। इनकी नदी से ऊँचाई 35 से 110 फीट तक की है।
अजंता का मठ जैसा समूह है, जिसमें कई विहार (मठ आवासीय) एवं चैत्य गृह हैं (स्तूप स्मारक हॉल), जो कि दो चरणों में बने हैं। प्रथम चरण को गलती से [[हीनयान]] चरण कहा गया है, जो कि बौद्ध धर्म के हीनयान मत से सम्बन्धित है। वस्तुतः हिनायन [[थेरवाद|स्थविरवाद]] के लिए एक शब्द है, जिसमें बुद्ध की मूर्त रूप से कोई निषेध नहीं है। अजंता की गुफा संख्या 9, 10, 12, 13 15ए (अंतिम गुफा को 1956 में ही खोजा गया और अभी तक संख्यित नहीं किया गया है।) को इस चरण में खोजा गया था। इन खुदाइयों में बुद्ध को स्तूप या मठ रूप में दर्शित किया गया है।
दूसरे चरण की खुदाइयाँ लगभग तीन शताब्दियों की स्थिरता के बाद खोजी गयीं। इस चरण को भी गलत रूप में [[महायान]] चरण ९ बौद्ध धर्म का दूसरा बड़ा धड़ा, जो कि कमतर कट्टर है, एवं बुद्ध को सीधे गाय आदि रूप में चित्रों या शिल्पों में दर्शित करने की अनुमति देता है।) कई लोग इस चरण को [[वाकाटक]] चरण कहते हैं। यह वत्सगुल्म शाखा के शासित वंश वाकाटक के नाम पर है। इस द्वितीय चरण की निर्माण तिथि कई शिक्षाविदों में विवादित है। हाल के वर्षों में कुछ बहुमत के संकेत इसे [[पाँचवीं शताब्दी]] में मानने लगे हैं। वॉल्टर एम॰ स्पिंक, एक अजंता विशेषज्ञ के अनुसार महायन गुफाएँ 462-480 ई॰ के बीच निर्मित हुई थी। महायन चरण की गुफाएँ संख्या हैं 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 11, 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 22, 23, 24, 25, 26, 27, 28, एवं 29। गुफा संख्या 8 को लम्बे समय तक हिनायन चरण की गुफा समझा गया, किन्तु वर्तमान में तथ्यों के आधार पर इसे महायन घोषित किया गया है।
पंक्ति 36:
[[प्रथम शताब्दी]] में हुए बौद्ध विचारों में अन्तर से, बुद्ध को देवता का दर्जा दिया जाने लगा और उनकी पूजा होने लगी। परिणामतः बुद्ध को पूजा-अर्चना का केन्द्र बनाया गया; जिससे महायन की उत्पत्ति हुई।
पूर्व में, शिक्षाविदों ने गुफाओं को तीन समूहों में बाँटा था, किन्तु साक्ष्यों को देखते हुए और शोधों के चलते उसे नकार दिया गया। उस सिद्धान्त के अनुसार 200 ई॰ पूर्व से 200 ई॰ तक एक समूह, द्वितीय समूह [[६ठीं शताब्दी ईसा|छठी शताब्दी]] का और तृतीय समूह [[सातवीं शताब्दी]] का माना जाता था।
आंग्ल-भारतीयों द्वारा विहारों हेतु प्रयुक्त अभिव्यंजन गुफा-मंदिर अनुपयुक्त माना गया। अजंता एक प्रकार का महाविद्यालय मठ था। [[ह्वेन त्सांग]] बताता है कि दिन्नाग, एक प्रसिद्ध बौद्ध दार्शनिक, तत्वज्ञ, जो कि तर्कशास्त्र पर कई ग्रन्थों के लेखक थे, यहाँ रहते थे। यह अभी अन्य साक्ष्यों से प्रमाणित होना शेष है। अपने चरम पर विहार सैंकड़ों को समायोजित करने की सामर्थ्य रखते थे। यहाँ शिक्षक और छात्र एक साथ रहते थे। यह अति दुःखद है कि कोई भी वाकाटक चरण की गुफा पूर्ण नहीं है। यह इस कारण हुआ कि शासक [[वाकाटक वंश]] एकाएक शक्तिविहीन हो गया, जिससे उसकी प्रजा भी संकट में आ गयी। इसी कारण सभी गतिविधियाँ बाधित होकर एकाएक रूक गयीं। यह समय अजंता का अंतिम काल रहा।
पंक्ति 73:
==इन्हें भी देखें==
*[[वाकाटक]]
*[[चैत्य|चैत्य हाल]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
|