"अजातशत्रु (मगध का राजा)": अवतरणों में अंतर

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|death_place =
| house =[[हर्यक वंश]]
|title = [[मगध साम्राज्य]] के [[सम्राट्|सम्राट]]
|reign = 492 ई०पू – 460 ई०पू
|predecessor =[[बिम्बिसार|बिम्बसार]]
|successor =उदयभद्र
|father =बिम्बसार
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}}
 
'''अजातशत्रु''' (लगभग 493 ई. पू.<ref name=ROMILLA>{{cite book| last = थापर| first = रोमिला| title =भारत का इतिहास | url =http://books.google.co.in/books?id=Cz0xygAACAAJ|publisher = राजकमल प्रकाशन| isbn = 81-267-0568-X| page = 49 }}</ref>) [[मगध महाजनपद|मगध]] का एक प्रतापी सम्राट और [[बिम्बिसार|बिंबिसार]] का पुत्र जिसने पिता को मारकर राज्य प्राप्त किया। उसने अंग, लिच्छवि, वज्जी, कोसल तथा काशी जनपदों को अपने राज्य में मिलाकर एक विस्तृत साम्राज्य की स्थापना की।
अजातशत्रु के समय की सबसे महान घटना बुद्ध का महापरिनिर्वाण थी (483 ई. पू.)। उस घटना के अवसर पर बुद्ध की अस्थि प्राप्त करने के लिए अजात शत्रु ने भी प्रयत्न किया था और अपना अंश प्राप्त कर उसने [[राजगृह]] की पहाड़ी पर स्तूप बनवाया। आगे चलकर राजगृह में ही वैभार पर्वत की सप्तपर्णी गुहा से बौद्ध संघ की प्रथम [[बौद्ध संगीति|संगीति]] हुई जिसमें सुत्तपिटक और विनयपिटक का संपादन हुआ। यह कार्य भी इसी नरेश के समय में संपादित हुआ।
 
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बिंबिसार ने मगध का विस्तार पूर्वी राज्यों में किया था, इसलिए अजातशत्रु ने अपना ध्यान उत्तर और पश्चिम पर केंद्रित किया। उसने कोसल एवं पश्चिम में काशी को अपने राज्य में मिला लिया। वृजी संघ के साथ युद्ध के वर्णन में 'महाशिला कंटक' नाम के हथियार का वर्णन मिलता है जो एक बड़े आकर का यन्त्र था, इसमें बड़े बड़े पत्थरों को उछलकर मार जाता था। इसके अलावा 'रथ मुशल' का भी उपयोग किया गया। 'रथ मुशल' में चाकू और पैने किनारे लगे रहते थे, सारथी के लिए सुरक्षित स्थान होता था, जहाँ बैठकर वह रथ को हांककर शत्रुओं पर हमला करता था।<ref name=ROMILLA/>
 
[[पालि भाषा|पालि]] ग्रंथों में अजातशत्रु का नाम अनेक स्थानों पर आया है; क्योंकि वह बुद्ध का समकालीन था और तत्कालीन राजनीति में उसका बड़ा हाथ था।<ref>{{citeweb|url=http://timesofindia.indiatimes.com/city/patna/A-relic-of-Mauryan-era/articleshow/14035973.cms|title=A relic of Mauryan era}}</ref> उसका मंत्री वस्सकार कुशल राजनीतिज्ञ था जिसने लिच्छवियों में फूट डालकर साम्राज्य का विस्तार किया था। कोसल के राजा प्रसेनजित को हराकर अजातशत्रु ने [[राजकुमारी वजिरा]] से [[विवाह]] किया था जिससे [[काशी]] जनपद स्वतः यौतुक रूप में उसे प्राप्त हो गया था। इस प्रकार उसकी इस विजिगीषु नीति से मगध शक्तिशाली राष्ट्र बन गया। परंतु पिता की हत्या करने के कारण [[इतिहास]] में वह सदा अभिशप्त रहा। प्रसेनजित का राज्य कोसल के राजकुमार विडूडभ ने छीनमें ही विडूडभ ने शाक्य प्रजातंत्र का ध्वंस किया था।
 
== मृत्यु ==