"अजित केशकंबली": अवतरणों में अंतर

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[[गौतम बुद्ध|भगवान बुद्ध]] के समकालीन एवं तरह-तरह के मतों का प्रतिपादन करने वाले जो कई धर्माचार्य मंडलियों के साथ घूमा करते थे उनमें '''अजित केशकंबली''' भी एक प्रधान आचार्य थे।<ref>{{cite web|url=https://indianexpress.com/article/explained/govind-pansare-mm-kalburgi-gauri-lankesh-murder-5316465/|title=Indian rationalism, Charvaka to Narendra Dabholkar}}</ref> इनका नाम था अजित और केश का बना कंबल धारण करने के कारण वह केशकंबली नाम से विख्यात हुए। उनका सिद्धान्त घोर [[उच्छेदवाद]] का था। भौतिक सत्ता के परे वह किसी तत्व में विश्वास नहीं करते थे। उनके मत में न तो कोई कर्म पुण्य था और न पाप। मृत्यु के बाद शरीर जला दिए जाने पर उसका कुछ शेष नहीं रहता, चार महाभूत अपने तत्व में मिल जाते हैं और उसका सर्वथा अंत हो जाता है- यही उनकी शिक्षा थी।
 
== इन्हें भी देखें ==