"अतिचालक चुम्बक": अवतरणों में अंतर

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[[Image:Modern 3T MRI.JPG|right|thumb|300px|अतिचालक चुम्बक का उपयोग करके बनायी गयी एक''' एम आर आई मशीन''' : इसके अन्दर जो अतिचालक चुम्बक है उससे मध्य के छिद्र में ३ टेस्ला का चुम्बकीय क्षेत्र पैदा किया जाता है, जिससे एम आर आई सम्भव होती है।]]
 
[[अतिचालकता|अतिचालक]] तारों की कुण्डली से निर्मित [[विद्युत चुम्बक|विद्युतचुम्बक]] को '''अतिचालक चुम्बक''' (superconducting magnet) कहते हैं। [[द्रव हिलियम]] या किसी अन्य शीतलक की सहायता से बहुत कम ताप तक ठण्डा करने से ये तार अतिचालक बन जाते हैं और तब ये चुम्बक अतिचालक चुम्बक बन जाते हैं। अतिचालक चुम्बक २ टेस्ला से अधिक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के काम आते हैं। इनमें कम विद्युत ऊर्जा खर्च करके भी अधिक चुम्बकीय क्षेत्र पैदा किया जाता है। इतना अधिक चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न करने के लिए यदि सामान्य चालकता वाले चुम्बकों का निर्माण किया जाय तो उनका आकार बहुत अधिक होगा और वे बहुत अधिक विद्युत ऊर्जा नष्ट करेंगे।
 
अतिचालक चुम्बकों के लिए लगने वाले तार मंहंगे होते हैं। यद्यपि इनमें [[विद्युत ऊर्जा]] का क्षय लगभग शून्य होता है फिर भी उन्हें ४ डिग्री केल्विन (-२६९ डिग्री सेल्सियस) या उससे भी कम ताप तक ठण्डा करना पड़ता है जिसके लिए अतिरिक्त ऊर्जा व्यय करनी पड़ती है। इसके अलावा, अतिचालक चुम्बक कुछ विशेष परिस्थितियों में सहसा अपनी अतिचालकता खो देते हैं और सामान्य चालक बन जाते हैं। इसे अतिचालक चुम्बक का 'क्वेंच होना' (quenching) कहते हैं। जैसे ही क्वेंचिंग होता है, इन चुम्बकों के नष्ट होने का संकट पैदा हो जाता है। इससे चुम्बक की रक्षा करने हेतु व्यवस्था करनी पड़ती है।
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==इन्हें भी देखें==
*[[अतिचालकता]]
*[[विद्युत चुम्बक|विद्युतचुम्बक]]
*[[अतिचालक तार]]