"अनादिर नदी": अवतरणों में अंतर

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अनादिर नदी कोलाइमा, अनादिर तथा कमचटका पर्वतश्रेणियों के मध्य से लगभग ६७° उ.अ. तथा १७३° पू.दे. से निकली है। यहाँ पर इसे इवाश्की अथवा इवाशनों नाम से पुकारते हैं। आगे चलकर यह चूकची प्रदेश में पहुँचती है तथा पहले दक्षिण पश्चिम की ओर और फिर पूर्व की ओर मुड़कर लगभग ५०० मील आगे चलकर अनादिर की खाड़ी में गिरती है। चूकची प्रदेश टंड्रा के अंचल में है, अत: यहाँ गर्मी में दलदल हो जाता है।
 
[[बेरिंग जलसन्धि|बेरिंग जलडमरूमध्य]] (स्ट्रेट) के पास [[एस्किमों]] जाति के लोग बसते हैं, परन्तु इनके अलावा [[चूकची]] जाति के लोग भी यहाँ पाए जाते हैं। चूकची जाति के लोग के लोग [[रेंडियर|रेनडियर]] नामक हरिण पालते हैं और गर्मी के दिनों में इन्हें साथ लेकर समुद्र उपकूल के पास चले जाते हैं। इन स्थानों में रेनडियर के चमड़े का व्यवसाय प्रमुख है। जाड़े के दिनों में अनादिर खाड़ी का पानी जम जाता है जिसके कारण समुद्री मार्ग पूर्णतया बंद हो जाता है। गर्मी के दिनों में बर्फ के पिघलने से खाड़ियाँ खुल जाती हैं और जहाज आयात की भिन्न-भिन्न वस्तुओं को लेकर यहाँ आते हैं तथा हरिण के चमड़े यहाँ से ले जाते हैं। चूकची जाति में से कुछ लोग घर बनाकर भी बसते हैं तथा जाड़े के दिनों में शिकार करके और गर्मी के दिनों में [[मछली]] पकड़कर जीवननिर्वाह करते हैं। यहाँ पर सामन मछली प्रचुर मात्रा में पाई जाती है। इन लोगों में कुत्ते भारवाही पशु के रूप में काम आते हैं।
 
बेरिंग जलडमरूमध्य के पास सोना, चाँदी जस्ता, सीसा तथा कृष्ण सीस (ग्रैफ़ाइट) की खानें हैं। अनादिर नदी की घाटी में तथा अनादिर बंदरगाह के दक्षिण में कोयला भी निकाला जाता है जो उत्तरी सागर में आने जानेवाले जहाजों के काम में आता है।