"हिन्दुत्व": अवतरणों में अंतर
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गौ रक्षा और नागरिकता के नाम पर केन्द्र के भाजपा प्रशासन से समर्थित एवं उसी प्रशासन द्वारा प्रायोजित आतंक का प्राथमिक परिचय। |
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== उच्चतम न्यायालय की दृष्टि में हिन्दु, हिन्दुत्व और हिन्दुइज्म ==
क्या हिन्दुत्व को सच्चे अर्थों में धर्म कहना सही है? इस प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय ने – “शास्त्री यज्ञपुरष दास जी और अन्य विरुद्ध मूलदास भूरदास वैश्य और अन्य (1966(3) एस.सी.आर. 242) के प्रकरण का विचार किया। इस प्रकरण में प्रश्न उठा था कि स्वामी नारायण सम्प्रदाय हिन्दुत्व का भाग है अथवा नहीं ?''
इस प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश श्री गजेन्द्र गडकर ने अपने निर्णय में लिखा –
: ''जब हम हिन्दू धर्म के संबंध में सोचते हैं तो हमें हिन्दू धर्म को परिभाषित करने में कठिनाई अनुभव होती है। विश्व के अन्य मजहबों के विपरीत हिन्दू धर्म किसी एक दूत को नहीं मानता, किसी एक भगवान की पूजा नहीं करता, किसी एक मत का अनुयायी नहीं है, वह किसी एक दार्शनिक विचारधारा को नहीं मानता, यह किसी एक प्रकार की मजहबी पूजा पद्धति या रीति नीति को नहीं मानता, वह किसी मजहब या सम्प्रदाय की संतुष्टि नहीं करता है। बृहद रूप में हम इसे एक जीवन पद्धति के रूप में ही परिभाषित कर सकते हैं – इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं।''
रमेश यशवंत प्रभु विरुद्ध प्रभाकर कुन्टे (ए.आई.आर. 1996 एस.सी. 1113) के प्रकरण में उच्चतम न्यायालय को विचार करना था कि विधानसभा के चुनावों के दौरान मतदाताओं से हिन्दुत्व के नाम पर वोट माँगना क्या मजहबी भ्रष्ट आचरण है। उच्चतम न्यायालय ने इस प्रश्न का नकारात्मक उत्तर देते हुए अपने निर्णय में कहा-
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==आलोचना और समर्थन==
वर्तमान में हिंदुत्व के नाम पर सिर्फ हिन्दू धर्म को मानना ही हिन्दुत्व कहलाता है परन्तु इसकी परिभाषा इससे भी कही ज्यादा विस्तृत है। वर्तमान में साम्यवादियों एवं सर्क्युलर वादियों द्वारा हिंदुओं के चरमपंथियो या कट्टरपंथी होने के आरोप लगाये जा रहे हैं क्योंकि वर्तमान में [[गाय]] जो हिन्दुओं में पूजनीय है कि बीफ के लिये हत्या (जो भारत में बैन) है होने के कारण लोगों द्वारा गौतस्करों एवं गौहत्यारों को पीटा गया है, जो कि विधि ओर न्याय से और संविधान से सुसंगत न होने से अब निवर्तमान प्रशासन नये अराजक कानून बनाकर आतंक फ़ैलाकर अपना शासन बचाना चाहती है। ,
[[श्रेणी:हिन्दुत्व]]
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