"कुमारसंभवम्": अवतरणों में अंतर

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== कथा ==
कुमारसंभव का शाब्दिक अर्थ है- ‘कुमार का जन्म’ । यहाँ 'कुमार' से आशय शिव-पार्वती के पुत्र [[कार्तिकेय]] या [[स्कन्द]] से है। कवि का उद्दे्श्य शिव-पार्वती की तपस्या, प्रेम, विवाह और उनके पुत्र कुमार कार्तिकेय के जन्म की पौराणिक कथा को एक महाकाव्य का रूप दीया है। कालिदास ने कथा के सूत्र कहाँ से लिये, यह बताना कठिन है। वैसे ‘[[शिव महापुराणपुराण|शिव महापुराण’]] व अन्य पुराणों में इस कथा के अनेक प्रसंग व सूत्र मिलते हैं, पर पुराणों का रचनाकाल अनिश्चित होने के कारण यह बताना सम्भव नहीं कि कालिदास ने पुराणों से यह कथा ली है या पुराणों ने ही कालिदास से काव्य से प्रभावित होकर इसके अनेक प्रसंगो व अभिव्यक्तियों को अपना लिया है।
उदाहरण के लिए शिव महापुराण में कुमारसम्भव की अनेक पंक्तियां, वाक्य, शब्द-प्रयोग व प्रसंग उसी रूप में उपलब्ध है। ‘[[रामायण]]’ के बालकाण्ड के सैंतीसवें सर्ग तथा ‘महाभारत’ के वन पर्व के अध्याय 225 में भी कार्तिकेय या स्कंद के जन्म की कथा संक्षेप में कही गई है।