"मुअनजो-दड़ो": अवतरणों में अंतर

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==इतिहास==
 
'''मोहन जोदड़ो-''' ([[सिंधी]]:موئن جو دڙو और [[उर्दू]]: موئن جو دڑو) [[सिंध]] की वादी की क़दीम तहज़ीब का एक मरकज़ था। यह [[लड़काना]] से बीस [[किलोमीटर]] दूर और सक्खर से 80 किलोमीटर जनूब मग़रिब में वाक़िअ है। यह वादी [[सिंध]] के एक और अहम मरकज़ [[हड़पा]] से 400 मील दूर है यह शहर 2600 क़बल मसीह मौजूद था और 1700 क़बल मसीह में नामालूम वजूहात की बिना पर ख़त्म हो गया। ताहम माहिरीन के ख़्याल में दरयाऐ सिंध के रख की तबदीली, सैलाब, बैरूनी हमला आवर या ज़लज़ला अहम वजूहात हो सकती हैं।हैं।ye sabayata purani thi
 
मोहन जोदड़ो- को 1922ए में बर्तानवी माहिर असारे क़दीमा [[सर जान मार्शल]] ने दरयाफ़त किया और इन की गाड़ी आज भी मोहन जोदड़ो- के अजायब ख़ाने की ज़ीनत है। लेकिन एक मकतबा फ़िक्र ऐसा भी है जो इस तास्सुर को ग़लत समझता है और इस का कहना है कि उसे ग़ैर मुनक़िसम हिंदूस्तान के माहिर असारे क़दीमा आर के भिंडर ने 1911ए में दरयाफ़त किया था। मुअन जो दड़ो- कनज़रवेशन सेल के साबिक़ डायरेक्टर हाकिम शाह बुख़ारी का कहना है कि "आर के भिंडर ने बुध मत के मुक़ामि मुक़द्दस की हैसीयत से इस जगह की तारीख़ी हैसीयत की जानिब तवज्जो मबज़ूल करवाई, जिस के लगभग एक अशरऐ बाद सर जान मार्शल यहां आए और उन्हों ने इस जगह खुदाई शुरू करवाई।यह शहर बड़ी तरतीब से बसा हुआ था। इस शहर की गलियां खुली और सीधी थीं और पानी की निकासी का मुनासिब इंतिज़ाम था। अंदाज़न इस में 35000 के क़रीब लोग रिहाइश पज़ीर थे। माहिरीन के मुताबिक यह शहर सात मरत्तबा उजड़ा और दुबारा बसाया गया जिस की अहम तरीन वजह दरयाऐ सिंध का सैलाब था।यहाँ दुनिया का प्रथम स्नानघर मिला है जिसका नाम [[बृहत्स्नानागार]] है और अंग्रेजी में Great Bath. ये शहर [[अक़वाम मुतहदा]] के इदारा बराए तालीम, साईंस ओ- सक़ाफ़त [[युनीसको]] की जानिब से आलमी विरसा दिए क़रार गए मुक़ामात में शामिल हुए।"<ref>[http://jareeda.iucnp.org/janmar2006/aksi.htm/ जर यदा]</ref>