"दौसा": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो 2402:8100:39C1:7222:667:6F32:545B:F757 (Talk) के संपादनों को हटाकर 2409:4052:79E:66EF:A8AC:1EFF:FE50:1DC1 के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किया
टैग: वापस लिया
पंक्ति 29:
[[File:Exterior, Neelkanth temple, Alwar district, Rajasthan, India.jpg|thumb|नीलकंठ मंदिर]]
दौसा को देवनगरी के नाम से भी जाना जाता है। दौसा के मंदिर में भगवान शिव के पांच रूप, सहजनाथ, सोमनाथ, गुप्तेश्‍वर और नीलकंठ, विराजमान हैं। पठार के ऊपर स्थित नीलकंठ मंदिर प्राचीन भव्यता और आध्यात्म का प्रतीक है।
देवनगरी दौसा में नीलकंठ महादेव मंदिर नीलगिरि पहाड़ी पर करीब 300 फीट की ऊंचाई पर है। यह मंदिर 7वीं सदी में कच्छावा राज्य वंश के राजा सोढ़देव ने बनाया था। मंदिर में नीलकंठ महाकाल (भूतनाथ) के शिवलिंग स्थापित किए गए। नीलकंठ महादेव, दौसा के प्राचीन मंदिरों में से एक महादेव या भगवान शिव का मंदिर है। पंच महादेव के रूप में लोकप्रिय यह मंदिर अरावली पर्वत शृंखला की नीलगिरि पहाड़ी पर स्थित है। मंदिर में एक बड़ा पाषाण का शिवलिंग है। मंदिर में जाने के लिए दौसा शहर के पूर्वी हिस्से बने सूप आकार के विशाल किले के हाथीपोल दरवाजे में होकर साढ़े तीन सौ सीढिय़ां बनी हुई है।
 
इस मंदिर के समीप ही प्राचीन किला है। जो कि वर्तमान में देखरेख के अभाव में जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। यहां प्रतिवर्ष श्रावण माह में तो श्रद्धालुओं की रेलमपेल बनी रहती है। जन-जन की आस्था के केन्द्र नीलकंठ महादेव मंदिर में तीन दिवसीय मेला आयोजित होता है। मेले के दौरान शोभायात्रा निकाली जाती है। जिसमें सभी समाजों के लोग हिस्सा लेकर सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देते हैं। श्रावण माह में तो आलम यह रहता है अलसवेरे चार बजे से लेकर देर रात्रि तक श्रद्धालुओं की रेलमपेल बनी रहती है। श्रद्धालु यहां आक धतूरे आदि सामग्री से भगवान शिव का पंचामृत अभिषेक कर मनौती मांगते हैं। उल्लेखनीय है कि दौसा देवनगरी में नीलकंठ ही नहीं यहां पर सोमनाथ, गुप्तेश्वर, बैजनाथ, सहजनाथ महादेव प्राचीन मंदिर हैं।
 
== यातायात और परिवहन ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/दौसा" से प्राप्त