"चक्रवर्ती राजगोपालाचारी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
→मुख्यमंत्री: छोटा सा सुधार किया। टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit |
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है |
||
पंक्ति 4:
|caption = महात्मा गांधी एवं चक्रवर्ती राजगोपालाचारी (1947)
|office = गवर्नर जनरल
|monarch = [[
|monarch = [[
|primeminister = [[जवाहरलाल नेहरू]]
|term_start = 21 जून 1948
पंक्ति 21:
|term_start3 = 26 दिसम्बर 1950
|term_end3 = 25 अक्तूबर1951
|predecessor3 = [[वल्लभ भाई पटेल|सरदार वल्लभ भाई पटेल]]
|successor3 = [[कैलाश नाथ काटजू]]
|office4 = पश्चिम बंगाल के [[राज्यपाल (भारत)|राज्यपाल]]
|premier4 = [[:en:Prafulla Chandra Ghosh|प्रफुल्ल चंद्र घोष]]<br />[[बिधान चंद्र रॉय|बिधान चंद्र राय]]
|term_start4 = 15 अगस्त 1947
|term_end4 = 21 जून 1948
पंक्ति 43:
|spouse = अलामेलु मंगम्मा <small>(1897–1916)</small>
|alma_mater = [[बंगलौर विश्वविद्यालय|सेंट्रल कॉलेज]]<br />[[प्रेसीडेंसी कालिज, चेन्नई|प्रेसीडेंसी कालिज, मद्रास]]
|profession = [[अधिवक्ता|वकील]]<br />[[लेखक]]<br />[[राजनेता]]
|religion = [[हिन्दू धर्म|हिंदू]]
}}
'''चक्रवर्ती राजगोपालाचारी''' (तमिल: சக்ரவர்தி ராஜகோபாலாச்சாரி) (दिसम्बर १०, १८७८ - दिसम्बर २५, १९७२), राजाजी नाम से भी जाने जाते हैं। वे [[अधिवक्ता|वकील]], [[लेखक]], [[
== आरम्भिक जीवन ==
उनका जन्म दक्षिण भारत के सलेम जिले में थोरापल्ली नामक गांव में हुआ था। राजाजी तत्कालीन [[सेलम|सलेम]] जनपद के [[थोरापल्ली]] नामक एक छोटे से गांव में एक तमिल ब्राह्मण परिवार (श्री वैष्णव) में जन्मे थे। आजकल थोरापली [[कृष्णगिरि जिला|कृष्णागिरि]] जनपद में है। उनकी आरम्भिक शिक्षा [[होसूर]] में हुई। कालेज की शिक्षा मद्रास (चेन्नई) एवं [[बंगलौर|बंगलुरू]] में हुई।
== मुख्यमंत्री ==
पंक्ति 62:
== सम्मान ==
1954 में भारतीय राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले राजा जी को [[भारत रत्न|भारत रत्न]] से सम्मानित किया गया। भारत रत्न पाने वाले वे पहले व्यक्ति थे। वह विद्वान और अद्भुत लेखन प्रतिभा के धनी थे। जो गहराई और तीखापन उनके बुद्धिचातुर्य में था, वही उनकी लेखनी में भी था। वह तमिल और अंग्रेज़ी के बहुत अच्छे लेखक थे। 'गीता' और 'उपनिषदों' पर उनकी टीकाएं प्रसिद्ध हैं। इनके द्वारा रचित ''[[चक्रवर्ति तिरुमगन]]'', जो गद्य में रामायण कथा है, के लिये उन्हें सन् १९५८ में [[साहित्य अकादमी पुरस्कार]] ([[साहित्य अकादमी पुरस्कार तमिल|तमिल]]) से सम्मानित किया गया।<ref name="sahitya">{{cite web | url=http://sahitya-akademi.gov.in/sahitya-akademi/awards/akademi%20samman_suchi_h.jsp | title=अकादमी पुरस्कार | publisher=साहित्य अकादमी | accessdate=11 सितंबर 2016}}</ref> उनकी लिखी अनेक कहानियाँ उच्च स्तरीय थीं। 'स्वराज्य' नामक पत्र उनके लेख निरंतर प्रकाशित होते रहते थे। इसके अतिरिक्त नशाबंदी और स्वदेशी वस्तुओं विशेषकर खादी के प्रचार प्रसार में उनका योगदान महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
== निधन ==
|