"मानसोल्लास": अवतरणों में अंतर

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'''मानसोल्लास''' (मानस + उल्लास = मन का उल्लास) १२वीं शती का महत्वपूर्ण [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] ग्रन्थ है जिसके रचयिता [[चालुक्य राजवंश|चालुक्यवंश]] के राजा [[सोमेश्वर चौहान|सोमेश्वर]] तृतीय हैं। इसे 'अभिलाषितार्थचिन्तामणि' भी कहते हैं। इसकी रचना ११२९ ई में हुई थी। इस ग्रन्थ में राजा के 100 विनोदों का विवरण संकलित है। इसमें गीत, वाद्य, नृत्य तत्कालीन समाज में उपयोगिता और प्रमुख सिध्दान्तों का विवरण है। यह अत्यन्त महत्वपूर्ण तथ्य है कि चालुक्य वंशी राजा सोमेश्वर ने स्वयं इस ग्रन्थ को लिखा था। ऐतिहासिक क्रमानुसार में संगीत के विविध आयामों का सुव्यवस्थित ऑकलन और अध्ययन में राजा की विशेष रूचि समाज में संगीत के स्तरीय महत्व को स्पष्ट करता है।
 
यह १०० अध्यायों वाला एक विशाल ग्रन्थ है। वास्तव में यह विश्व का प्रथम [[विश्वज्ञानकोश|विश्वकोश]] (इन्साइक्लोपेडिया) है।
 
== संरचना ==