"फोबिया": अवतरणों में अंतर
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==परिचय==
इस विकार से रोगी अधिकतर लोग अपने विकार पर पर्दा डाले रहते हैं। उन्हें लगता है कि इसकी चर्चा करने से उनकी जग हंसाई होगी। वे उन हालात से बचने की पुरजोर कोशिश करते हैं जिनसे उन्हें फोबिया का दौरा पड़ता है। लेकिन यह पलायन का रवैया जीवन में जहर घोल देता है।<ref>[http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/tayaarinews/67-67-75452.html असाध्य नहीं मनोरोग]। हिन्दुस्तान लाइव।{{हिन्दी चिह्न}}।[[७ अक्तूबर|७ अक्टूबर]], [[२००९]]। डॉ समीर पारिख (मनोचिकित्सक)</ref>
इसके बाद साइकोथेरेपिस्ट की सहायता से मन में बैठे फोबिया को मिटाने की कोशिश की जा सकती है। इसमें फोबिया-प्रेरक स्थिति से सामना कराते हुए मन में उठने वाली आशंका पर कंट्रोल रखने के उपाय सुझाए जाते हैं। जैसे-जैसे रोगी का आत्मविश्वास लौटता जाता है, वैसे-वैसे उसका भय घटता जाता है। यह डीसेंसीटाइजेशन थैरेपी रोगी में फिर से जीने की ललक पैदा कर देती है। अस्वाभाविक भय की हार और जीवन की जीत होती है।
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