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[[चित्र:Somnath temple ruins (1869).jpg|right|thumb|300px|गुजरात के प्रभास पत्तन में [[सोमनाथ मन्दिर|सोमनाथ]] का मन्दिर (१८६९ का चित्र)]]
[[चित्र:Taller Buddha of Bamiyan before and after destruction.jpg|left|thumb|300px|अफगानिस्तान के बामियाँ प्रान्त की विशाल बौद्ध प्रतिमा : ध्वंस के पहले तथा बाद में]]
मजहबी तथा राजनीतिक कारणों से धार्मिक प्रतीकों तथा अन्य मूर्तियों/प्रतीकों/स्मार्कों को ध्वंस करना '''प्रतिमाभंजन''' कहलाता है। प्रतमाभंजनी धटनाओं का, ऐतिहासिक तौर पर, विश्व में सुविस्त्रित स्थानों पर पौराणिक काल से आधूनिक काल तक, हर युग में, अनेक अवसरों पर उल्लेख मिलता है। ऐसी घटनाएँ, राजनैतिक, धार्मिक व षड़यांत्रिक मक्सदों से प्रेरित हो सकते हैं।
[[इसाईईसाई धर्म|इसाई]], [[इस्लाम धर्म|इस्लामी]] व [[यहूदी धर्म|यहूदी]] इतिहास में प्रतिमाभंजन का प्रायः उल्लेख मिलता है। इस संदर्भ में जहाँ, प्रतिमाभंजन धार्मिक महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित होता है, वहीं राजनैतिक प्रतिमाभंजन पुर्व, विरोधी या प्रतिद्वंदी राजनैतिक हुकूमत या विचारधारा के प्रति क्रोध व शत्रुता के कारणवश हो सकता हे, उदाहरणस्वरूप: [[सोवियत संघ|सोवियत रूस]] में [[समाजवाद]] के पतन के पश्चात, [[रूस|रूसी संधि]] व पूर्व सोवियत राष्ट्रों में [[जोज़ोफ़ स्टैलिन|स्टैलिन]] के पुतलों का भंजन।
 
==धार्मिक प्रतिमाभंजन==