"चर्मपत्र": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
ऐसा कहा जाता है कि परगामम (Pergamum) के यूमेनीज़ (Eumenes) द्वितीय ने, जो ईसा के पूर्व दूसरी शताब्दी में हुआ था, '''चर्मपत्र''' (Prchment) के व्यवहार की प्रथा चलाई, यद्यपि इसका ज्ञान इसके पहले से लोगों को था। वह ऐसा [[पुस्तकालय]] स्थापित करना चाहता था जो एलेग्ज़ैंड्रिया के उस समय के सुप्रसिद्ध पुस्तकालय सा बड़ा हो। इसके लिये उसे पापाइरस (एक प्रकार के पेड़ की, जो मिस्त्र की नील नदी के गीले तट पर उपजता था, मज्जा से बना कागज जो उस समय पुस्तक लिखने में व्यवहृत होता था) नहीं मिल रहा था। अत: उसने पापाइरस के स्थान पर चर्मपत्र का व्यवहार शुरू किया। यह चर्मपत्र [[बकरी]], [[वाराह|सुअर]], [[बछड़ा]] या [[भेड़]] के चमड़े से तैयार होता था। उस समय इसका नाम कार्टा परगामिना (charta pergamena) था। ऐसे चर्मपत्र के दोनों ओर लिखा जा सकता था, जिसमें वह पुस्तक के रूप में बाँधा जा सके।
 
== निर्माण ==
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आजकल कृत्रिम चर्मपत्र भी बनता है। इसे "वानस्पतिक चर्मपत्र" भी कहते है। यह वस्तुत: एक विशेष प्रकार का कागज होता है, जो अचार और मुरब्बा रखने के घड़ों या मर्तबानों के मुख ठकने, मक्खन, मांस, र्सांसेज और अन्य भोज्य पदार्थ लपेटने में व्यवहृत होता है। इस पर वसा या ग्रीज़ का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और न ये इसमें से होकर भीतर प्रविष्ट ही होते हैं। जल भी इसमें प्रविष्ट नहीं होता।
 
कृत्रिम चर्मपट बनाने के दो तरीकें हैं। एक में असज्जीकृत कागज को कुछ सेकंड तक सांद्र [[सलफ्यूरिक अम्ल]] ([[आपेक्षिक घनत्व|विशिष्ट घनत्व]] 1.69) में डुबाकर, फिर तनु ऐमानिया से धोते हैं।
 
दूसरे में पल्प बनानेवाले रेशों को बहुत समय तक पानी की उपस्थिति में दबाते, कुचलते और रगड़ते है। इसमें सिवाय अल्प स्टार्च के अन्य कोई सज्जीकारक प्रयुक्त नहीं करते।
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== इन्हें भी देखें ==
* [[तालपत्र]]
* [[चमड़ा उद्योग|चर्मोद्योग]]
* [[चर्मशोधन]]