"वेश्यावृत्ति": अवतरणों में अंतर

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== इतिहास ==
वेश्यावृत्ति सभी सभ्य देशों में आदिकाल से विद्यमान रही है। यह सदैव सामाजिक यथार्थ के रूप में स्वीकार की गई है और विधि एवं परंपरा द्वारा इसका नियमन होता रहा है। सामंतवादी समाज में यह अभिजातवर्ग की कलात्मक अभिरुचि एवं पार्थिव गौरवप्रदर्शन का माध्यम थी। आधुनिक यांत्रिक समाज में यह हमारी विवशता, मानसिक विक्षेप, भोगैषणा एवं निरंतर बढ़ती हुई आंतरिक कुंठा के क्षणिक उपचार का द्योतक है। वस्तुत: यह विघटनशील समाज के सहज अंग के रूप में विद्यमान रही है। सामाजिक स्थिति में आरोह अवरोह आता रहा है, किंतु इसका अस्तित्व अक्षुण्ण, अप्रभावित रहा है। प्राच्य जगत् के प्राचीन देशों में वेश्यावृत्ति धार्मिक अनुष्ठानों के साथ संबंध रही है। इसे हेय न समझकर प्रोत्साहित भी किया जाता रहा। [[मिस्र]], [[अश्शूर|असीरिया]], [[कसदी|बेबीलोनिया]], [[पर्शिया]] आदि देशों में [[देवी|देवियों]] की पूजा एवं धार्मिक अनुष्ठानों में अत्यधिक अमर्यादि वासनात्मक कृत्यों की प्रमुखता रहती थी तथा देवस्थान [[व्यभिचार]] के केंद्र बन गए थे। [[यहूदी]] अवश्य इसके अपवाद थे। उनमें [[मोजेज]] के अन्यान्य अध्यादेशों का उद्देश्य स्पष्टतया धर्म एवं प्रजातीय रक्त की शुद्धता और रतिरोगों से जनस्वास्थ्य को सुरक्षित रखना था। वेश्यावृत्ति प्रवासी स्त्रियों तक ही सीमित थी। यह यहूदी स्त्रियों के लिए निषिद्ध थी। पर धर्माध्यक्षों की कन्याओं के अतिरिक्त अन्य स्त्रियों द्वारा नियमभंग करने पर किसी प्रकार के दंड का विधान नहीं था। तथापि देवस्थानों और [[यरुशलम|यरूसलम]] में ऐसी स्त्रियों का प्रवेश वर्जित था, तथापि पाश्र्व पथ उनके सदैव आकीर्ण रहते थे। बाद के अभ्युदयकाल में स्वेच्छाचारिता में और वृद्धि हुई।
 
=== प्राचीन यूनान ===
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=== प्राचीन भारत ===
[[वेद|वेदों]] के दीर्घतमा [[ऋषि]], [[पुराण|पुराणों]] की [[अप्सरा|अप्सराएँ]], आर्ष काव्यों, [[रामायण]] एवं [[महाभारत]] की शताधिक [[उपकथा|उपकथाएँ]] [[मनु]], [[याज्ञवल्क्य]], [[नारद]] आदि स्मृतियों का आदिष्ट कथन, [[तंत्रतन्त्र|तंत्रों]] एवं गुह्य साधनाओं की शक्तिस्थानीया रूपसी कामिनियाँ, उत्सवविशेष की शोभायात्रा में आगे-आगे अपना प्रदर्शन करती हुई नर्तकियाँ किसी न किसी रूप में प्राचीन भारतीय समाज में सदैव अपना सम्मानित स्थान प्राप्त करती रही है। [[दशकुमारचरित]], [[कालिदास]] की रचनाएँ, [[समयमातृका]], [[दामोदरगुप्त|दामोदर गुप्त]] का [[कुट्टनीमतम्कुट्टनी]]मतम् आदि ग्रंथों में वीरांगनाओं का अतिरंजित वर्णन मिलता है। [[चाणक्य|कौटिल्य]] [[अर्थशास्त्र]] ने इन्हें [[राजतन्त्र|राजतंत्र]] का अविच्छिन्न अंग माना है तथा एक सहस्र पण वार्षिक शुल्क पर प्रधान गणिका की नियुक्ति का आदेश दिया है। महानिर्वाणतंत्र में तो तीर्थस्थानों में भी देवचक्र के समारंभ में शक्तिस्वरूपा वेश्याओं को सिद्धि के लिए आवश्यक माना है। वे राजवेश्या, नागरी, [[गुप्तवेश्या]], [[ब्रह्मवेश्या]] तथा [[देववेश्या]] के रूप में पंचवेश्या हैं। स्पष्ट है कि समाज का कोई अंग एवं इतिहास का कोई काल इनसे विहीन नहीं था। इनके विकास का इतिहास समाजविकास का इतिहास है। त्रिवर्ग ([[धर्म]], [[अर्थ]], [[काम]]) की सिद्धि में ये सदैव उपस्थित रही हैं। वैदिक काल की अप्सराएँ और गणिकाएँ [[मध्ययुग]] में [[देवदासी|देवदासियाँ]] और नगरवधुएँ तथा मुस्लिम काल में वारांगनाएँ और वेश्याएँ बन गर्इं। प्रारंभ में ये धर्म से संबद्ध थीं और [[चौसठ कलाएँ|चौसठों कलाओं]] में निपुण मानी जाती थीं। मध्युग में सामंतवाद की प्रगति के साथ इनका पृथक् वर्ग बनता गया और कलाप्रियता के साथ कामवासना संबद्ध हो गई, पर यौनसंबंध सीमित और संयत था। कालांतर में [[नृत्यकला]], [[संगीतकला]] एवं सीमित यौनसंबंध द्वारा जीविकोपार्जन में असमर्थ वेश्याओं को बाध्य होकर अपनी जीविका हेतु लज्जा तथा संकोच को त्याग कर अश्लीलता के उस स्तर पर उतरना पड़ा जहाँ पशुता प्रबल है।स्वामी दयानंद सरस्वती ने इस कुप्रथा का विरोध किया तो नन्ही नाम की एक वेश्या ने उनकी हत्या कर दी।
 
== वेश्यावृति के कारण ==
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देश में रोजाना 2000 लाख रूपये का देह व्यापार होता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के एक अध्ययन के मुताबिक भारत में 68 प्रतिशत लड़कियों को रोजगार के झांसे में फंसाकर वेश्यालयों तक पहुंचाया जाता है। 17 प्रतिशत शादी के वायदे में फंसकर आती हैं। वेश्यावृत्ति में लगी लड़कियों और महिलाओं की तादाद 30 लाख है। मुम्बई और ठाणे के वेश्यावृत्ति के अड्डों से तो खण्डित रूस और मध्य एशियाई देशों की युवतियों को पकड़ा गया है। भारत में वेश्यावृत्ति के बाजार को देखते हुए अनेक देशों की युवतियां वेश्यावृत्ति के जरिए कमाई करने के लिए भारत की ओर रूख कर रही हैं।
 
मुम्बई पुलिस के दस्तावेजों के मुताबिक बाहर से आकर यहां वेश्यावृत्ति में लिप्त युवतियों में [[उज़्बेकिस्तान|उज्बेकिस्तान]] की युवतियाँ सबसे ज्यादा हैं। गृह मंत्रालय के वर्ष 2007 के आंकडे़ के अनुसार भारत में तमिलनाडु और कर्नाटक देहव्यापार में शिर्ष पर हैं। 2007 के आंकडे़ के अनुसार वेश्यावृत्ति के 1199 मामले तमिलनाडु में और 612 मामले कर्नाटक में दर्ज किए गए। ये मामले वेश्यावृत्ति निवारण कानून के तहत दर्ज किए गए हैं।
 
== वेश्यावृत्ति और कानून (भारत) ==