"देवरहा बाबा": अवतरणों में अंतर

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'''देवरहा बाबा''', [[भारत]] के [[उत्तर प्रदेश]] के देवरिया जनपद में एक [[योगी]], सिद्ध महापुरुष एवं सन्तपुरुष थे। [[राजेन्द्र प्रसाद|डॉ॰ राजेन्द्र प्रसाद]], महामना [[मदनमोहन मालवीय|मदन मोहन मालवीय]], [[पुरुषोत्तम दास टंडन|पुरुषोत्तमदास टंडन]], जैसी विभूतियों ने पूज्य देवरहा बाबा के समय-समय पर दर्शन कर अपने को कृतार्थ अनुभव किया था। पूज्य महर्षि पातंजलि द्वारा प्रतिपादित [[अष्टांग योग]] में पारंगत थे।
 
== जीवनी ==
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[[हिमालय]] में अनेक वर्षों तक अज्ञात रूप में रहकर उन्होंने साधना की। वहां से वे [[पूर्वी उत्तर प्रदेश]] के [[देवरिया]] नामक स्थान पर पहुंचे। वहां वर्षों निवास करने के कारण उनका नाम "देवरहा बाबा" पड़ा।
देवरहा बाबा ने [[देवरिया]] जनपद के सलेमपुर तहसील में मइल (एक छोटा शहर) से लगभग एक कोस की दूरी पर [[घाघरा नदी|सरयू नदी]] के किनारे एक मचान पर अपना डेरा डाल दिया और धर्म-कर्म करने लगे।
 
देवरहा बाबा परंम् रामभक्त थे, देवरहा बाबा के मुख में सदा राम नाम का वास था, वो भक्तो को राम मंत्र की दीक्षा दिया करते थे। वो सदा सरयू के किनारे रहा करते थे। उनका कहना था :-
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== गणमान्य व्यक्ति भी झुकाते थे सिर ==
देवराहा बाबा के भक्तों में कई बड़े लोगों का नाम शुमार है। [[राजेन्द्र प्रसाद|राजेंद्र प्रसाद]], [[इन्दिरा गांधी|इंदिरा गांधी]], [[राजीव गांधी]], [[अटल बिहारी वाजपेयी]], [[लालू प्रसाद यादव]], [[मुलायम सिंह यादव]] और [[कमलापति त्रिपाठी]] जैसे राजनेता हर समस्या के समाधान के लिए बाबा की शरण में आते थे। देश में आपातकाल के बाद हुए चुनावों में जब इंदिरा गाँधी हार गईं तो वह भी देवराहा बाबा से आशीर्वाद लेने गयीं उन्होंने अपने हाथ के पंजे से उन्हें आशीर्वाद दिया तभी से [[कांग्रेस]] का चुनाव चिह्न हाथ का पंजा है। फलस्वरूप [[१९८०]] में एक बार फिर वह प्रचंड बहुमत के साथ देश की प्रधानमंत्री बनीं।
 
=== बाबा की लीला ===