"चंडीप्रसाद भट्ट": अवतरणों में अंतर

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| image = Chandi prasad bhatt 1.jpg
| birth_date = {{Birth date and age|1934|06|23|df=y}}
| birth_place = [[चमोली जिला|गोपेश्वर]], [[चमोली जिला|चमोली]], [[उत्तराखण्ड]], भारत
| occupation = पर्यावरणविद एवं सामाजिक कार्यकर्ता
| years_active = 1960 से अब तक
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''' चंडीप्रसाद भट्ट''' (जन्म : सन् १९३४) [[भारत]] के [[गांधीवाद|गांधीवादी]] पर्यावरणवादी और समाजिक कार्यकर्ता हैं। उन्होने सन् १९६४ में [[चमोली जिला|गोपेश्वर]] में 'दशोली ग्राम स्वराज्य संघ' की स्थापना की जो कालान्तर में [[चिपको आन्दोलन|चिपको आंदोलन]] की मातृ-संस्था बनी। वे इस कार्य के लिये वे १९८२ में [[रेमन मैगसेसे पुरस्कार]] से सम्मानित हुए तथा वर्ष २००५ में उन्हें [[भारत सरकार]] द्वारा [[पद्म भूषण|पद्मभूषण]] पुरस्कार दिया गया।<ref name=hind/><ref>[http://timesofindia.indiatimes.com/articleshow/22864809.cms A clutch of crusaders across India are ready to stake their reputations and devote their lives to saving the environment..] The Times of India, 22 September 2002.</ref>भारत सरकार द्वारा साल २०१३ में उन्हें [[गांधी शांति पुरस्कार]] से सम्मानित किया गया।<ref>http://pib.nic.in/newsite/backgrounders.aspx?relid=106607</ref><ref>http://presidentofindia.nic.in/press-release-detail.htm?972</ref>
 
अद्भुत जीवट को समर्पित चंडी प्रसाद भट्ट गांधी के विचार को व्यावहारिक रूप में आगे बढ़ाने में एक सफल जन नेता के रूप में उभरे हैं। ‘चिपको आंदोलन’ के रूप में सौम्यतम अहिंसक प्रतिकार के द्वारा वृक्षों एवं पर्यावरण के अंतर्संबंधों को सशक्तता से उभार कर उन्होंने संपूर्ण विश्व को जहां एक ओर पर्यावरण के प्रति सचेत एवं संवेदनशील बनाने का अभिनव प्रयोग किया, वहीं प्रतिकार की सौम्यतम पद्धति को सफलता पूर्वक व्यवहार में उतार कर दिखाया भी है। ‘पर्वत पर्वत, बस्ती बस्ती’ चंडी प्रसाद भट्ट की बेहतरीन यात्राओं का संग्रह है।
 
== परिचय ==
23 जून 1934 को निर्जला एकादशी के दिन गोपेश्वर गांव (जिला [[चमोली जिला|चमोली]]) [[उत्तराखण्ड|उत्तराखंड]] के एक गरीब परिवार में जन्मे श्री चंडी प्रसाद भट्ट सातवें दशक के प्रारंभ में [[सर्वोदय|सर्वोदयी]] विचार-धारा के संपर्क में आए और [[जयप्रकाश नारायण]] तथा [[विनोबा भावे]] को आदर्श बनाकर अपने क्षेत्र में श्रम की प्रतिष्ठा सामाजिक समरसता, नशाबंदी और महिलाओं-दलितों को सशक्तीकऱण के द्वारा आगे बढ़ाने के काम में जुट गए। वनों का विनाश रोकने के लिए ग्रामवासियों को संगठित कर 1973 से चिपको आंदोलन आरंभ कर वनों का कटान रुकवाया।
 
रूस, अमेरिका, जर्मनी, जापान, नेपाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश, फ्रांस, मैक्सिको, थाईलैंड, स्पेन, चीन आदि देशों की यात्राओं, सैकड़ों राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भागीदारी के साथ ही श्री भट्ट राष्ट्रीय स्तर की अनेक समितियों एवं आयोगों में अपने व्यावहारिक ज्ञान एवं अनुभव का लाभ-प्रदान कर रहे हैं। 1982 में रमन मैग्ससे पुरस्कार, 1983 में अरकांसस (अमेरिका) अरकांसस ट्रैवलर्स सम्मान, 1983 में लिटिल रॉक के मेयर द्वारा सम्मानिक नागरिक सम्मान, 1986 में भारत के माननीय राष्ट्रपति महोदय द्वारा पद्मश्री सम्मान, 1987 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम द्वारा ग्लोबल 500 सम्मान, 1997 में कैलिफोर्निया (अमेरिका) में प्रवासी भारतीयों द्वारा इंडियन फॉर कलेक्टिव एक्शन सम्मान, 2005 में पद्म भूषण सम्मान, 2008 में डॉक्टर ऑफ साईंस (मानद) उपाधि, गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर, 2010 रियल हिरोज लाईफटाईम एचीवमेंट अवार्ड सी.एन.एन. आई.बी.एन, -18 नेटवर्क तथा रिलाईंस इंडस्ट्रीज द्वारा सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। चंडी प्रसाद भट्ट को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार दिया जाएगा। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी 31 अक्तूबर 2019 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि पर यह पुरस्कार प्रदान करेंगी। इसके तहत 10 लाख रुपये नकद और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।