"भ्रूणविज्ञान": अवतरणों में अंतर

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== परिचय ==
[[गुणसूत्र|क्रोमोसोम]] के आंतरिक घटक, अर्थात [[जीन]] (gene), जो [[निषेचन|गर्भधारण]] के पश्चात भ्रूण में रहते हैं, यदि उनको अनुकूल वातावरण प्राप्त होता है, तो वे विकास की दर एवं स्वरूप का नियंत्रण करते हैं।
 
एककोशिकीय अंडाणु का शिशु में परिवर्तन होने का मुख्य कारण दो प्रक्रियाएँ (1) वृद्धि और (2) विभेदन (differentiation), होती है।
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== महत्व ==
[[आयुर्विज्ञान|चिकित्सा विज्ञान]] के क्षेत्र में मानव भ्रूणविज्ञान के अध्ययन का अत्यंत महत्व है, क्योंकि शरीरचना संबंधी अनेक विचित्र वास्तविकताओं को हम भ्रूणविज्ञान के ज्ञान से अब ठीक से समझ सकते हैं, जिन्हें पहले नहीं समझ पाते थे। शरीर-रचना-विकृतियों का वास्तविक कारण तथा प्रक्रम अब समझाया जा सकता है। यह विज्ञान तुलनात्मक शरीर-रचना-विज्ञान एवं मानव-शरीर-रचना-विज्ञान, जातिवृत्त के मध्य सेतु का काम करता है। मानव विकास की कई जटिलताओं को समान्यत: समझ पाना बड़ा कठिन होता है, अतएव निम्नकोटि के प्राणियों के विकास का तुलनात्मक ज्ञान प्राप्त कर मानव विकास के सिद्धांतों का निर्णय करना होता है। इस अध्ययन को [[तुलनात्मक भ्रूण वृद्धिज्ञान]] कहा जाता है।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[अकशेरुकी भ्रूणविज्ञान|अपृष्ठवंशी भ्रूणतत्व]] (इनवर्टेब्रेट एंब्रिऑलोजी / Invertebrate embryology)
* [[कशेरुकदंडी भ्रूणतत्व]] (वर्टेब्रेट एंब्रिऑलोजी / Vertebrate embryology)