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जब कोई पदार्थ एक [[भौतिक अवस्था]] (जैसे [[ठोस]]) से दूसरी भौतिक अवस्था (जैसे [[द्रव]]) में परिवर्तित होता है तो एक नियत [[तापमान|ताप]] पर उसे कुछ उष्मा प्रदान करनी पड़ती है या वह एक नियत ताप पर उष्मा प्रदान करता है। किसी पदार्थ की '''गुप्त उष्मा''' (latent heat), [[ऊष्मा|उष्मा]] की वह मात्रा है जो उसके इकाई मात्रा द्वारा [[प्रावस्था संक्रमण|अवस्था परिवर्तन]] (change of state) के समय अवषोषित की जाती है या मुक्त की जाती है। इसके अलावा पदार्थ जब अपनी कला (फेज) बदलते हैं तब भी गुप्त उष्मा के बराबर उष्मा का अदान/प्रदान करना पड़ता है।
 
इस शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग सन् १७५० के आसपास जोसेफ ब्लैक ने किया था। आजकल इसके स्थान पर "इन्थाल्पी ऑफ ट्रान्सफार्मेशन" का प्रयोग किया जाता है।
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जहाँ :
 
:''Q''वस्था परिवर्तब के समय अवशोषित की गयी या मुक्त की गयी उष्मा की कुल मात्रा है ([[जूल (इकाई)|जूल]] में),</br>
:''m'' पदार्थ का द्रव्यमान है, </br>
:''L'' उस पदार्थ की उपयुक्त गुप्त उष्मा है (J kg<sup>-1</sup>).
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== इन्हें भी देखें ==
* [[वाष्पन की पूर्ण उष्मा|वाष्पन की गुप्त उष्मा]] (Heat of vaporization)
* [[द्रवण की गुप्त उष्मा]] (Heat of fusion)
* [[उर्ध्वपतन]] (Sublimation)
* [[विशिष्ट ऊष्मा धारिता|विशिष्ट उष्मा धारिता]] (Specific heat capacity)
 
[[श्रेणी:उष्मा]]