"भारतीय उपमहाद्वीप का इस्लामी इतिहास": अवतरणों में अंतर
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सन ६५४ तक बलूचिस्तान का वह भाग जो की आज के पाकिस्तान में हैं रशिडून साम्राज्य के अन्दर आ गया था। खलीफ अली के समय तक पूरा बलूचिस्तान प्रान्त रशिडून साम्राज्य के आधीन हो चूका था।<ref>Fatuh al buldan pg:386</ref> बाद के सत्ता संगर्ष में बलूचिस्तान में एक साम्राज्य शासन नहीं रहा।
ऐतिहासिक इस्लामी दस्तावेज फतह-नामा-सिंध के अनुसार सन ७११ में दमस्कुस के उम्म्यद खलीफ ने सिंध एवं बलूचिस्तान के लिए दो असफल अभियान भेजे। इन अभियानों का उद्देश्य देय्बुल (आज के कराची के नजदीक) के निकट समुंदरी लुटेरे जो की अरबी व्यपारी जहाजों को लूट लेते थे उन्हें सबक सिखाना था। यह आरोप लगाया गया की सिंध के राजा आधीर इन लुटेरो को शरण दे रहे थे। तीसरे अभियान का नेतृत्व १७ साल के [[मुहम्मद बिन क़ासिम|मुहम्मद बिन कासिम]] के हाथों में था उसने सिंध एवं बलूचिस्तान को जीतते हुए उत्तर में मुल्तान तक आपना राज्य स्थापित किया। सन ७१२ में कासिम की सेना ने आज के हैदराबाद सिंध में राजा दाहिर की सेना के ऊपर विजय प्राप्त की।
कुछ ही सालों में कासिम को [[बग़दाद]] वापस भेज दिया गया जिसके बाद इस्लामी साम्राज्य दक्षिण एशिया में सिंध और दक्षिणी पंजाब तक ही सिमित रह गया
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