"आर के नारायण": अवतरणों में अंतर

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| birth_name = रासीपुरम कृष्णस्वामी अय्यर नारायणस्वामी
| birth_date = {{birth date|1906|10|10|df=yes}}
| birth_place = [[चेन्नई|मद्रास]], [[ब्रिटिश भारत के प्रेसीडेंसी और प्रांत|ब्रिटिश भारत]]
| death_date = {{death date and age|2001|05|13|1906|10|10|df=yes}}
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[[द डार्क रूम]] (1938) भी दैनंदिन जीवन की छोटी-छोटी बातों और घटनाओं के विवरण से बुनी कहानी है। इसमें सावित्री नामक एक ऐसी परंपरागत नारी की कथा है जो समस्त कष्टों को मौन रहकर सहन करती है। उसका पति दूसरी कामकाजी महिला की ओर आकर्षित होता है और इस बात से आहत होने के बावजूद अंततः सावित्री सामंजस्य स्थापित करके ही रहती है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि कहानी सपाट रूप में कह दी गयी है। भावनाओं का बिंब उकेरने में लेखक ने कुशलता का परिचय दिया है। पति के दूसरी औरत को न छोड़ने से उत्पन्न निराशा में सावित्री लड़ती भी है और घर छोड़कर चली भी जाती है। निराशा की इस स्थिति में उसे महसूस होता है कि स्वावलंबन के योग्य बनने पर ही जीवन वास्तव में जीवन होता है। अन्यथा "वेश्या और शादीशुदा औरतों में फर्क ही क्या है? -- सिर्फ यह कि वेश्या आदमी बदलती रहती है और बीवी एक से ही चिपकी रहती है। दोनों अपनी रोटी और सहारे के लिए आदमी पर ही निर्भर है।"<ref>डार्क रूम, आर॰ के॰ नारायण, राजपाल एंड सन्ज़ दिल्ली, पंचम संस्करण-2018, पृष्ठ-72.</ref> निराशा के इसी आलम में वह आत्महत्या की भी कोशिश करती है। बचा लिए जाने पर घर न लौटकर स्वाभिमान से अपनी कमाई से गुजारा चलाने का निश्चय करके एक मंदिर में नौकरी भी कर लेती है। परंतु, अंततः इस सब की व्यर्थता, हताशा और स्वयं अपनी दुर्बलता महसूस करके हार मान लेती है और फिर घर लौटने का निश्चय कर लेती है।<ref>डार्क रूम, आर॰ के॰ नारायण, राजपाल एंड सन्ज़ दिल्ली, पंचम संस्करण-2018, पृष्ठ-112.</ref> छोटी-छोटी बातों का विवरण देते हुए लेखक भावनाओं की पूर्णता का चित्र अंकित करता है।
 
स्वतंत्रता से पहले लेखक का अंतिम उपन्यास [[इंग्लिश टीचर|द इंग्लिश टीचर]] 1946 में प्रकाशित हुआ। यह उपन्यास अमेरिका में 'ग्रेटफुल टु लाइफ एंड डेथ' शीर्षक से प्रकाशित हुआ था। इसमें लेखक ने एक ऐसी कहानी चुनी है जिस के बाद का अंश अविश्वसनीय हो गया है। कहानी के आरंभ में घर और घर की लक्ष्मी अर्थात पत्नी के प्रति प्रेम पूर्ण व्यवहार का उत्तम निदर्शन है, लेकिन कहानी के उत्तरांश में उस पत्नी के निधन हो जाने के बाद उसकी आत्मा से संपर्क स्थापित कर लेने की बातें आयी हैं, जो कि रचनात्मक स्तर पर अविश्वसनीय सी लगती है।<ref name="अ">भारतीय अंग्रेजी साहित्य का इतिहास, पूर्ववत्, पृ॰-167.</ref>
 
=== स्वर्ण युग ===
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* [[द बेचलर ऑफ़ आर्टस]] (१९३७)
* [[द डार्क रूम]] (१९३८)
* [[इंग्लिश टीचर|द इंग्लिश टीचर]] (१९४५)
* [[मिस्टर संपथ]] (१९४८)
* [[द फ़ाइनेंशीयल एक्सपर्ट]] (१९५२)
* [[महात्मा का इंतजार]] (१९५५)
* [[गाइड (उपन्यास)|द गाइड]] (१९५८)
* [[मालगुडी का आदमखोर]] (१९६१)
* [[द वेंडर ऑफ़ स्वीट्स]] (१९६७)