"हितोपदेश": अवतरणों में अंतर

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:''' नारायणेन प्रचरतु रचितः संग्रहोऽयं कथानाम्'''
नारायण ने [[पञ्चतन्त्र|पंचतन्त्र]] तथा अन्य नीति के ग्रंथों की मदद से हितोपदेश नामक इस ग्रंथ का सृजन किया। स्वयं पं. नारायण जी ने स्वीकार किया है--
 
:''' पंचतन्त्रान्तथाडन्यस्माद् ग्रंथादाकृष्य लिख्यते।'''
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== रचना काल ==
 
नीतिकथाओं में [[पञ्चतन्त्र|पंचतन्त्र]] का पहला स्थान है। विभिन्न उपलब्ध अनुवादों के आधार पर इसकी रचना तीसरी शताब्दी के आस-पास निर्धारित की जाती है। हितोपदेश की रचना का आधार पंचतन्त्र ही है।
 
कथाओं से प्राप्त साक्ष्यों के विश्लेषण के आधार पर डा. फ्लीट कर मानना है कि इसकी रचना काल ११ वीं शताब्दी के आस-पास होना चाहिये। हितोपदेश का नेपाली हस्तलेख १३७३ ई. का प्राप्त है। [[वाचस्पति गैरोला]] जी ने इसका रचनाकाल १४ वीं शती के आसपास माना है।
 
हितोपदेश की कथाओं में अर्बुदाचल (आबू), [[पाटलिपुत्र]], [[उज्जैन|उज्जयिनी]], [[मालवा]], [[हस्तिनापुर]], [[कन्नौज|कान्यकुब्ज]] (कन्नौज), [[वाराणसी]], [[मगध महाजनपद|मगधदेश]]देश, [[कलिंग]]देश आदि स्थानों का उल्लेख है, जिसमें रचयिता तथा रचना की उद्गमभूमि इन्हीं स्थानों से प्रभावित है।
 
== हितोपदेश के चार भाग ==
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== इन्हें ]]
* [[सिंहासन बत्तीसी]]
* [[बैताल पचीसी|बेताल पच्चीसी]]
* [[कथासरित्सागर]]