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'''पोप कॅलिक्स्टस तृतीय''' या '''कॅलिक्स्टस तृतीय''' ({{lang-en|Pope Callixtus III}}; 31 दिसम्बर 1378 – 6 अगस्त 1458) 8 अप्रैल 1455 से 1458 में अपनी मृत्यु तक [[पोप]] थे, जो कि [[रोमन कैथोलिक चर्चकलीसिया|रोमन कैथोलिक गिरजाघर]] के राजाध्यक्ष होता है। ये ऐसे अंतिम पोप थे जिन्होंने चुनाव के पश्चात 'कॅलिक्स्टस' नाम ग्रहण किया। चुनाव से पूर्व इनका नाम '''अल्फोंस डी बोर्हा''' था।
 
पश्चिमी मतभेद के दौरान कॅलिक्स्टस ने प्रतिपोप बेनेडिक्ट तृतीय का समर्थन किया था और 1429 में प्रतिपोप क्लेमेंट अष्टम को पोप मार्टिन पंचम के आधीन करने में ये प्रेरक शक्ति थे। अपने कैरियर की शुरुआती इन्होंने येइडा विश्विद्यालय में कानून के प्राध्यापक के रूप में गुजरा। इसके पश्चात ये आरागोन के महाराज की सेवा में राजनयिक बन गए। पोप यूजीन चतुर्थ की आरागोन के महाराज अल्फोंसो पंचम के साथ संधि कराने के पश्चात ये कार्डिनल बने व 1455 के पापल सम्मेलन में पोप चुने गए। धार्मिक रूप से ये बहुत कट्टर थे। पोप के पद पर रहते हुए इन्होंने कई विवादित व नवीन आदेश जारी किए थे, जिनमें से [[अफ़्रीका|अफ्रीकियो]] और काफ़िरो को गुलाम बनाने का बुल जारी करना व दोपहर को गिरजाघर के घंटे बजाना कुछ प्रमुख हैं। कैथोलिक गिरजाघर की गतिविधियों में इन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को काफ़ी समर्थन किया व उन्हें लाभ भी पहुँचाया और शायद इन्ही की वजह से इनके एक भतीजे आगे चल कर पोप अलेक्जेंडर छठे बने। [[जोन ऑफ़ आर्क]] की मृत्यु के 24 साल बाद एक मुकदमे के पश्चात कॅलिक्स्टस ने उन्हें निर्दोष घोषित किया था।
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बोर्हा को 1455 में आयोजित हुए पापल सम्मेलन के दौरान काफी वृद्ध अवस्था "समझौता उम्मीदवार" के तौर पर पापल पद के लिए चुना गया और इन्होंने 'कॅलिक्स्टस तृतीय' नाम ग्रहण किया। इस नाम को अपनाने वाले ये अंतिम पोप थे। इन्हें इतिहासकार अत्याधिक धर्मपरायण मानते हैं, एक ऐसे व्यक्तित्व वाले पोप जो होली सी (धर्ममण्डल) प्राधिकरण में दृढ़ विश्वास रखते थे। भविष्य के बॉरजा परिवार में से आने वाले दूसरे पोप (अलेक्जेंडर छठवें) की तरह ये भी अपने निकट परिवार को अग्रिम करने के लिए बहुत हद तक चले गए थे।<ref name="ब्रिटैनिका">{{cite web | url=http://www.britannica.com/EBchecked/topic/89781/Calixtus-III | title=Calixtus III | publisher=एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका ऑन्लाइन | accessdate=20 मार्च 2014 | language=अंग्रेज़ी}}</ref>
 
1456 में इन्होंने [[पुर्तगाल]] के लिए पापल बुल ''इन्टर कायेटरा'' जारी किया। इस बुल द्वारा इन्होंने पुर्तगाल के उस अधिकार की पुन: पुष्टि करी जो उसे पूर्व में जारी हुए ''रोमानुस पोंतिफ़ेक्स'' और ''दुम दिवेर्सस'' बुलो द्वारा प्राप्त हुआ था, जिनमें उसे काफ़िरो और [[मूरोमूर]] को गुलाम बनाने का अधिकार मिला था। अर्थात इन्होंने अफ़्रीकियो की दास प्रथा को जारी रखा। ''रोमानुस पोंतिफ़ेक्स'' के इस पुष्टिकरण द्वारा इन्होंने पुर्तगाल को राजकुमार हैनरी द नेविगेटर के अंतर्गत सैन्य सम्मान ऑडर ऑफ़ क्राइस्ट भी दिया।
 
1456 का ''इन्टर कायेटरा'' हालांकि पूर्व में पोप यूजीन चतुर्थ के 1435 में जारी किए बुल ''सिकुत दुदुम'' का सीधा उल्लंघन था, जिसमें उन्होंने यह स्पष्ट किया गया था कि काफ़िरो का जन्म भी भगवान की छवि में हुआ है तथा उनमें भी आत्मा है, जिसका निष्कर्ष यह था कि किसी भी [[ईसाई धर्म]] के अनुयायी को उनकी स्वतंत्रता छीनने का अधिकार नहीं है।
 
पोप कॅलिक्स्टस ने 1453 में [[उस्मानी साम्राज्य]] के विरुद्ध [[क्रूसेड]] शुरू करने का आग्रह किया था, जिन्होंने [[क़ुस्तुंतुनिया|कुस्तुंतुनिया]] पर कब्ज़ा कर लिया था, परन्तु इनकी इस पुकार को ईसाई राजकुमारों के बीच समर्थन प्राप्त नहीं हुआ।
 
20 फ़रवरी 1456 को पोप ने अपने दो भतीजो को कार्डिनल पदों पर उन्नत किया। उनमें से पहले थे रोड्रिगो डी बोर्हा, जो बाद में पोप अलेक्जेंडर छठे (1492–1503) बनें, जो अपने कथित भ्रष्टाचार और अनैतिकता के लिए कुख्यात हुए। दूसरे थे लुईस हुलियाँ डी मिला।