"यमुना नदी": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
Revert to revision 4482494 dated 2020-01-27 04:29:35 by Srajaltiwari using popups |
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है |
||
पंक्ति 17:
|city3 = [[इटावा]]
|city4 = [[कालपी]]
|city5 = [[इलाहाबाद|प्रयागराज]]
|city6 =
|city7 =
पंक्ति 52:
|source_long_EW = E
<!-- *** Mouth *** -->
|mouth_name = [[संगम|त्रिवेणी संगम]]
|mouth_location = [[इलाहाबाद|प्रयागराज]]
|mouth_country = भारत
|mouth_country1 =
पंक्ति 70:
|tributary_right1 = [[बेतवा नदी|बेतवा]]
|tributary_right2 = [[केन नदी|केन]]
|tributary_right3 = [[
|tributary_right4 =
|tributary_left = [[टोंस नदी|टोंस]]
|tributary_left1 = [[
|tributary_left2 = [[
|tributary_left3 = कुंता
|tributary_left4 = गिरि
पंक्ति 83:
|image = Taj Mahal reflection on Yamuna river, Agra.jpg
|image_size = 200px
|image_caption = [[आगरा]] में यमुनातट पर [[ताजमहल|ताज महल]]
<!-- ***Map*** --->
|map = Yamunarivermap.jpg
पंक्ति 94:
[[चित्र:Taj Majal y rio Yamuna.JPG|thumb|200px|right|सुबह के धुँधलके में यमुनातट पर ताज]]
'''यमुना''' [[भारत]] की एक [[नदी]] है। यह [[गंगा नदी]] की सबसे बड़ी सहायक नदी है जो [[यमुनोत्री]] ([[उत्तरकाशी]] से ३० किमी उत्तर, [[गढ़वाल]] में) नामक जगह से निकलती है और [[इलाहाबाद|प्रयाग]] ([[इलाहाबाद|प्रयागराज]]) में गंगा से मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियों में [[चम्बल नदी|चम्बल]], [[सेंगर]], [[छोटी सिन्धु]], [[बेतवा नदी|बेतवा]] और [[केन नदी|केन]] उल्लेखनीय हैं। यमुना के तटवर्ती नगरों में [[दिल्ली]] और [[आगरा]] के अतिरिक्त [[इटावा]], [[
[[बृज|ब्रज]] की संस्कृति में यमुना का महत्वपूर्ण स्थान है।
== उद्गम ==
यह [[यमुनोत्री]] नामक जगह से निकलती है। यह [[गंगा नदी]] की सबसे बड़ी सहायक नदी है। यमुना का उद्गम स्थान [[हिमालय]] के हिमाच्छादित श्रंग बंदरपुच्छ ऊँचाई 6200 मीटर से 7 से 8 मील उत्तर-पश्चिम में स्थित कालिंद पर्वत है, जिसके नाम पर यमुना को कालिंदजा अथवा [[कालिंदी नदी|कालिंदी]] कहा जाता है। अपने उद्गम से आगे कई मील तक विशाल हिमगारों और हिम मंडित कंदराओं में अप्रकट रूप से बहती हुई तथा पहाड़ी ढलानों पर से अत्यन्त तीव्रतापूर्वक उतरती हुई इसकी धारा यमुनोत्तरी पर्वत (२०,७३१ फीट ऊँचाई) से प्रकट होती है। वहाँ इसके दर्शनार्थ हजारों श्रद्धालु यात्री प्रतिवर्ष भारत वर्ष के कोने-कोने से पहुँचते हैं।
यमुनोत्तरी पर्वत से निकलकर यह नदी अनेक पहाड़ी दरों और घाटियों में प्रवाहित होती हुई तथा वदियर, कमलाद, वदरी अस्लौर जैसी छोटी और तोंस जैसी बड़ी पहाड़ी नदियों को अपने अंचल में समेटती हुई आगे बढ़ती है। उसके बाद यह हिमालय को छोड़ कर [[दून की घाटी]] में प्रवेश करती है। वहाँ से कई मील तक दक्षिण-पश्चिम की और बहती हुई तथा गिरि, सिरमौर और आशा नामक छोटी नदियों को अपनी गोद में लेती हुई यह अपने उद्गम से लगभग ९५ मील दूर वर्तमान [[सहारनपुर जिला]] के [[फ़ैज़ाबाद|फैजाबाद]] ग्राम के समीप मैदान में आती है। उस समय इसके तट तक की ऊँचाई समुद्र सतह से लगभग १२७६ फीट रह जाती है।
===पौराणिक स्रोत ===
भुवनभास्कर सूर्य इसके पिता, मृत्यु के देवता [[यम]] इसके भाई और भगवान [[कृष्ण|श्री कृष्ण]] इसके पति स्वीकार्य किये गये हैं। जहाँ भगवान [[कृष्ण|श्री कृष्ण]] ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते हैं, वहाँ यमुना इसकी जननी मानी जाती है। इस प्रकार यह सच्चे अर्थों में ब्रजवासियों की माता है। अतः ब्रज में इसे ''यमुना मैया'' कहते हैं। [[ब्रह्म पुराण]] में यमुना के आध्यात्मिक स्वरुप का स्पष्टीकरण करते हुए विवरण प्रस्तुत किया है - "जो सृष्टि का आधार है और जिसे लक्ष्णों से सच्चिदनंद स्वरुप कहा जाता है, [[
== प्रवाह क्षेत्र ==
पश्चिमी [[हिमालय]] से निकल कर [[उत्तर प्रदेश]] एवं [[हरियाणा]] की सीमा के सहारे 95 मील का सफर कर उत्तरी [[सहारनपुर]] (मैदानी इलाका) पहुँचती है। फिर यह [[दिल्ली]], [[आगरा]] से होती हुई [[इलाहाबाद|प्रयागराज]] में [[गंगा नदी|गंगा]] नदी में मिल जाती है।
यमुना नदी की औसत गहराई 10 फीट (3 मीटर) और अधिकतम गहराई 35 फीट (11 मीटर) तक है। दिल्ली के निकट नदी में, यह अधिकतम गहराई 68 फीट (50 मीटर) है। आगरा में, यह गहराई 3 फुट (1 मीटर) तक हैं।
पंक्ति 113:
मैदान में जहाँ इस समय यमुना का प्रवाह है, वहाँ वह सदा से प्रवाहित नहीं होती रही है। पौराणिक अनुश्रुतियों और ऐतिहासिक उल्लेखों से यह ज्ञात होता है, यद्यपि यमुना पिछले हजारों वर्षों से विधमान है, तथापि इसका प्रवाह समय-समय पर परिवर्तित होता रहा है। अपने सुदीर्घ जीवन काल में यमुना ने जितने स्थान बदले हैं, उनमें से बहुत कम की ही जानकारी प्राप्त हो सकी है।
प्रागऐतिहासिक काल में यमुना [[मधुबन]] के समीप बहती थी, जहाँ उसके तट पर शत्रुध्न जी ने सर्वप्रथम मथुरा नगरी की स्थापना की थी। [[वाल्मीकि रामायण]] और [[विष्णु पुराण]] में इसका विवरण प्राप्त होता है। १ कृष्ण काल में यमुना का प्रवाह कटरा केशव देव के निकट था। सत्रहवीं शताबदी में भारत आने वाले यूरोपीय विद्वान टेवर्नियर ने [[कटड़ा|कटरा]] के समीप की भूमि को देख कर यह अनुमान लगा लिया था कि वहाँ किसी समय यमुना की धारा थी। इस संदर्भ में ग्राउज़ का मत है कि ऐतिहासिक काल में कटरा के समीप यमुना के प्रवाहित होने की संभावना कम है, किन्तु अत्यन्त प्राचीन काल में वहाँ यमुना अवश्य थी। २ इससे भी यह सिद्ध होता है कि कृष्ण काल में यमुना का प्रवाह कटरा के समीप ही था।
कनिधंम का अनुमान है, यूनानी लेखकों के समय में यमुना की प्रधान धारा या उसकी एक बड़ी शाखा कटरा केशव देव की पूर्वी दीवार के नीचे बहती होगी। ३ जब मथुरा में [[बौद्ध धर्म]] का व्यापक प्रचार हो गया और यहाँ यमुना के दोनों ओर अनेक संधारम बनाये गये, तब यमुना की मुख्य धारा कटरा से हटकर प्रायः उसी स्थान पर बहती होगी, जहाँ वह अब है, किन्तु उसकी कोई शाखा अथवा सहायक नहीं कटरा के निकट भी विधमान थी। ऐसा अनुमान है, यमुना की वह शाखा बौद्ध काल के बहुत बाद तक संभवतः सोलहवीं शताब्दी तक केशव देव मन्दिर के नीचे बहती रही थी। पहले दो बरसाती नदियाँ 'सरस्वती' और 'कृष्ण गंगा' मथुरा के पश्चिमी भाग में प्रवाहित होकर यमुना में गिरती थीं, जिनकी स्मृति में यमुना के सरस्वती संगम और कृष्ण गंगा नामक घाट हैं। संभव है यमुना की उन सहायक नादियों में से ही कोई कटरा के पास बहती रही हो।
पंक्ति 121:
[[वल्लभ सम्प्रदाय]] के [[वार्ता साहित्य]] से ज्ञात होता है कि [[सारस्वत कल्प]] में यमुना नदी जमुनावती ग्राम के समीप बहती थी। उस काल में यमुना नदी की दो धाराऐं थी, एक धारा नंदगाँव, वरसाना, संकेत के निकट बहती हुई गोवर्धन में जमुनावती पर आती थी और दूसरी धारा पीरघाट से होती हुई गोकुल की ओर चली जाती थी। आगे दानों धाराएँ एक होकर वर्तमान आगरा की ओर बढ़ जाती थी।
परासौली में यमुना को धारा प्रवाहित होने का प्रमाण स. १७१७ तक मिलता है। यद्यपि इस पर विश्वास होना कठिन है। श्री गंगाप्रसाद कमठान ने [[बृज भाषा|ब्रजभाषा]] के एक मुसलमान भक्त कवि कारबेग उपमान कारे का वृतांत प्रकाशित किया है। काबेग के कथनानुसार वह जमुना के तटवर्ती परासौली गाँव का निवासी था और उसने अपनी रचना सं १७१७ में सृजित की थी।
=== आधुनिक प्रवाह ===
वर्तमान समय में [[सहारनपुर]] जिले के [[फ़ैज़ाबाद|फैजाबाद]] गाँव के निकट मैदान में आने पर यह आगे 65 मील तक बढ़ती हुई [[हरियाणा]] के [[अम्बाला]] और [[करनाल]] जिलों को [[उत्तर प्रदेश]] के [[सहारनपुर]] और [[मुज़फ़्फ़रनगर|मुजफ्फरनगर]] जिलों से अलग करती है। इस भू-भाग में इसमें मस्कर्रा, कठ, [[हिंडन]] और सबी नामक नदियाँ मिलती हैं, जिनके कारण इसका आकार बहुत बढ़ जाता है। मैदान में आते ही इससे पूर्वी यमुना नहर और पश्चिमी नहर निकाली जाती हैं। ये दोनों नहरें यमुना से पानी लेकर इस भू-भाग की सैकड़ों मील धरती को हरा-भरा और उपज सम्पन्न बना देती हैं।
इस भू-भाग में यमुना की धारा के दोनों ओर [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] और [[उत्तर प्रदेश]] के कई छोटे बड़े नगरों की सीमाएँ हैं, किन्तु इसके ठीक तट पर बसा हुआ सबसे प्राचीन और पहला नगर दिल्ली है, जो लम्बे समय से भारत की राजधानी है। दिल्ली के लाखों की आबादी की आवश्यकता की पूर्ति करते हुए और वहाँ की ढेरों गंदगी को बहाती हुई यह ओखला नामक स्थान पर पहुँचती है। यहाँ पर इस पर एक बड़ा बांध बांधा गया है जिससे नदी की धारा पूरी तरह नियंत्रित कर ली गयी है। इसी बांध से आगरा नहर निकलती है, जो हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश की सैकड़ों मील भूमि को सिंचित करती है। दिल्ली से आगे यह हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सीमा बनाती हुई तथा हरियाणा के फरीदाबाद जिले को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले से अलग करती हुई उत्तर प्रदेश में प्रवाहित होने लगती है।
=== तटवर्ती स्थान ===
पंक्ति 149:
बटेश्वर से आगे इटावा एक नगर के रूप में यमुना तट पर बसा हुआ है। यह भी आगरा और बटेश्वर की भाँति ऊँचाई पर बसा हुआ है। यमुना के तट पर जितने ऊँचे कगार आगरा और इटावा जिलों में हैं, उतने मैदान में अन्यत्र नहीं हैं। इटावा से आगे मध्य प्रदेश की प्रसिद्ध नदी चम्बल यमुना में आकर मिलती है, जिससे इसका आकार विस्तीर्ण हो जाता है, अपने उद्गम से लेकर चम्बल के संगम तक यमुना नदी, गंगा नदी के समानान्तर बहती है। इसके आगे उन दोनों के बीच के अन्तर कम होता जाता है और अन्त में प्रयाग में जाकर वे दोनों संगम बनाकर मिश्रित हो जाती हैं।
[[चम्बल नदी|चम्बल]] के पश्चात यमुना नदी में मिलने वाली नदियों में सेंगर, छोटी सिन्ध, बतवा और केन उल्लेखनीय हैं। इटावा के पश्चात यमुना के तटवर्ती नगरों में काल्पी, हमीर पुर और प्रयाग मुख्य है। प्रयाग में यमुना एक विशाल नदी के रूप में प्रस्तुत होती है और वहाँ के प्रसिद्ध ऐतिहासिक किले के नीचे गंगा में मिल जाती है। प्रयाग में यमुना पर एक विशाल पुल निर्मित किया गया है, जो दो मंजिला है। इसे उत्तर प्रदेश का विशालतम सेतु माना जाता है। यमुना और गंगा के संगम के कारण ही, प्रयाग को तीर्थराज का महत्व प्राप्त हुआ है। यमुना नदी की कुल लम्बाई उद्गम से लेकर प्रयाग संगम तक लगभग ८६० मील है।
==सांस्कृतिक महत्त्व ==
|