"ओपेरा (गीतिनाटक)": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Milano scala piazza.jpg|right|thumb|350px|मिलान (इटली) का '''टीएट्रो अल्ला स्काला''' (Teatro alla Scala) नामक ओपेरागृह; सन् १७७८ ई में स्थापित यह ओपेरा हाउस विश्व के सर्वाधिक प्रसिद्ध ओपेरागृहों में से एक है।]]
 
गान नाट्य (गीतिनाटक) को '''ओपेरा''' (Opera) कहते हैं। ओपेरा का उद्भव 1594 ई. में [[इटली]] के [[फ़्लोरेन्स|फ़्लोरेंस]] नगर में "ला दाफ़्ने" नामक ओपेरा के प्रदर्शन से हुआ था, यद्यपि इस ओपेरा के प्रस्तुतकर्ता स्वयं यह नहीं जानते थे कि वे अनजाने किस महत्वपूर्ण कला की विधा को जन्म दे रहे हैं। गत चार शताब्दियों में ओपेरा की अनेक व्याख्याएँ प्रस्तुत की गई। लेकिन परंपरा और अनुभव के आधार पर यही माना जाता है कि ओपेरा गानबद्ध नाटक होता है, जिसमें वार्तालाप के स्थान पर गाया जाता है। इसका ऐतिहासिक कारण यह है कि 16वीं सदी तक यह माना जाता था कि [[नाटक]] पद्य में होना चाहिए। नाटक के लिए [[काव्य|पद्य]] यदि अनिवार्य है तो [[संगीत]] के लिए भूमि स्वत: तैयार हो जाती है। क्योंकि काव्य और संगीत पूरक कलाएँ हैं, दोनों ही अमूर्त भावनाओं तथा कल्पनालोकों से अधिक संबंधित हैं। इसलिए जब तक नाटक काव्य में लिखे जाते रहे तब तक विशेष कठिनाई नहीं हुई, लेकिन कालांतर में नाटक की विधा ने गद्य का रूप लिया तथा यथार्थोन्मुख हुई। तभी से ओपेराकारों के लिए कठिनाइयाँ बढ़ती गई। चूँकि ओपेरा का जन्म इटली में हुआ था इसलिए उसके सारे अंगों पर इटली का प्रभुत्व स्वाभाविक था। लेकिन [[फ़्रान्स|फ्रांस]] तथा [[जर्मनी]] की भी प्रतिभा ओपेरा को सुषमित तथा विकसित करने में लगी थी, इसलिए ओपेरा कालांतर में अनेक प्रशाखाओं में पल्लवित हुआ।
 
== परिचय ==
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[[जर्मन रोमांटिक आंदोलन]] का अभूतपूर्व ओपेराकार [[वेबर]] है। बच्चों के लिए भी उसका एक प्रसिद्ध ओपेरा है। ओपेरों द्वारा उसने रोमांटिक ओपेरों को वही गौरव दिलवाया जो राजसभावाओंवाले ओपेरों को प्राप्त था। "यूरोआंते" में कोई वार्तालाप नहीं, बल्कि अनवरत संगीत ही है। सब जर्मन ओपेराकार गायकों से अधिक वाद्यवृंद पर जोर देते रहे हैं।
 
ओपेराकारों में वेबर जहाँ सुंदर था वहाँ [[रिशार्द वाग्नर|रिचर्ड वैग्नर]] (1813-1883) कुरूप, नाटा, बड़े सिर का, घमंडी और स्वार्थी था। लेकिन 19वीं सदी के कलात्मक जीवन का वही प्रमुख स्तंभ भी था। यही एकमात्र ओपेराकार था जो स्वत: नाट्यलेख भी लिखता था। इसके ओपेरा का नाम है "द रिंग" जो अत्यंत महत्वपूर्ण है। वैग्नर के विचारों को मंचसज्जा के तत्कालीन ओपेरागृह मूर्त नहीं कर पाते थे इसलिए बेरुथ नामक कस्बे में उसने ओपेरागृह खोला जो आगे चलकर ओपेरा के इतिहास में सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्वीकार किया गया। वैग्नर का ही समकालीन इतालीय ओपेराकार था वर्डी (1813-1901) जो बड़ी विषम परिस्थितियों में इटली के ओपेरा के क्षेत्र में आया था। रासिनी ने मंच से अवकाश ले लिया था। बेलिनी की मृत्यु हो चुकी थी और दानीज़ेत्ती पागल हो गया था। वर्डी के सामने भी समकालीन शासकों ने अवरोध खड़े कर रखे थे। "स्वाधीनता" का उच्चारण ही कठिन हो गया था। वर्डी ने पहली बार समकालीन जीवन पर ओपेरा में त्रासदी प्रस्तुत की। अभी तक दर्शक आधुनिक भूषा में त्रासदी देखने के अभ्यस्त नहीं थे। स्वेज़ नहर के उद्घाटन के अवसर पर वर्डी ने काहिरा में एक ओपेरा प्रस्तुत किया था। चूँकि वह वैग्नर का समकालीन था, इसलिए प्राय: इतिहासज्ञ वर्डी के प्रति अन्याय कर जाते हैं।
 
पिछले दिनों में पूर्वी यूरोप में सोवियत के अतिरिक्त यूगोस्लाविया में भी ओपेरा को संजीवित और विकसित करने के प्रयत्न हुए हैं। संसारप्रसिद्ध ओपेरा गायिका मिरियाना रादेव ज़ाग्रेब की ही हैं और वहाँ के राष्ट्रीय ओपेरागृह की प्रधान तारिका हैं।