"आस्तिकता": अवतरणों में अंतर
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== ईश्वर एक है या अनेक? ==
आस्तिकता के अंतर्गत एक यह प्रश्न भी उठता है कि ईश्वर एक है अथवा अनेक। कुछ लोग अनेक देवी देवताओं को मानते हैं। उनको [[बहुदेववादी]] (पोलीथीस्ट) कहते हैं। वे एक देव को नहीं जानते। कुछ लोग जगत् के नियामक दो देवों को मानते हैं - एक भगवान और दूसरा शैतान। एक अच्छाइयों का स्रष्टा और दूसरा बुराइयों का। कुछ लोग यह मानते हैं कि बुराई भले भगवान की छाया मात्र है। भगवान एक ही है, शैतान उसकी मायाशक्ति का नाम है जिसके द्वारा संसार में सब दोषों का प्रसारहै, पर जो स्वयं भगवान के नियंत्रण में रहती है। कुछ लोग मायारहित शुद्ध ब्रह्म की सत्ता में विश्वास करते है। उनके अनुसार संसार शुद्ध ब्रह्म का प्रकाश है, उसमें स्वयं कोई दोष नहीं है। हमारे अज्ञान के कारण ही हमको दोष दिखाई पड़ते हैं। पूर्ण ज्ञान हो जाने पर सबको मंगलमय ही दिखाई पड़ेगा। इस मत को '''शुद्ध ब्रह्मवाद''' कहते हैं। इसी को [[अद्वैत वेदान्त|अद्वैतवाद]] अथवा ऐक्यवाद (मोनिज्म) कहते हैं।
== आस्तिकता के पक्ष में युक्तियाँ ==
पंक्ति 33:
(6) संसार के सभी धर्मग्रंथों में ईश्वर के अस्तित्व का उपदेश मिलता है, अतएव सर्व-जन-साधारण का और धार्मिक लोगों का ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास है। इस युक्ति को शब्दप्रमाण कहते हैं।
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== इन्हें भी देखें ==
* [[आस्तिकता|ईश्वरवाद]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
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