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[[चित्र:Countries governed by SI parties.png|right|thumb|300px|समाजवादी इंटरनेशनल दलों द्वारा शासित देश]]
'''समाजवादी इंटरनैशनल''' (Socialist International) विश्व के लोकतांत्रिक समाजवादी दलों का संघ है जिसका मुख्य कार्यालय [[लंदन]] में है। इसका मूल ध्येय मनुष्य द्वारा मनुष्य के तथा राष्ट्र द्वारा राष्ट्र के शोषण का अंत करना और राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर [[सामाजिक न्याय]] की स्थापना करना है। सभी महाद्वीपों के मजदूर तथा लोकतांत्रिक समाजवादी दल इसमें हैं और अपनी अपनी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय नीति में स्वाधीन हैं तथा किसी एक मतवाद अथवा पंथ के अनुयायी नहीं हैं। यह इंटरनैशनल अपने सदस्यों में पारस्परिक संबंधों को दृढ़ करने और सहमति के आधार पर उनकी राजनीतिक अभिवृत्तियों को समन्वित करने का प्रयत्न करता है और [[साम्राज्य]]विरोधी तथा [[पूंजीवाद|पूँजीवाद
==प्रथम इंटरनैशनल==
[[यूरोप]] में मशीनी उद्योग तथा पूँजीवाद के उदय के साथ प्रौद्योगिक मजदूरों के संघ और समाजवादी विचारधारा का उदय हुआ और वहाँ के अनेक समाजवादी विचारकों तथा मजदूर नेताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक समाजवादी संगठन बनाने की जरूरत महसूस हुई। सन् १८४७ में [[कम्युनिस्ट लीग]] की स्थापना एक ऐसे ही प्रयास का फल थी। इतिहास प्रसिद्ध '[[कम्युनिस्ट पार्टी का घोषणापत्र|कम्युनिस्ट घोषणापत्र]]' [[कार्ल मार्क्स]] और [[फीड्रिख ऐंगेल्स]] ने इसी कम्युनिस्ट लीग के लिए तैयार किया था। किंतु तत्कालीन क्रांति के प्रयासों की विफलता के साथ यह संगठन जल्दी ही नि:शेष हो गया। सन् १८६२ में [[फ़्रान्स|फ्रांस]] और [[ब्रिटेन]] के मजदूर नेता लंदन में इकट्ठे हुए। उनकी चिंता यह थी कि यूरोप की कुछ सरकारों ने मजदूर हड़तालों को तोड़ने के लिए विदेशी मजदूरों का इस्तेमाल किया था। यहाँ उन्होंने फैसला किया कि इस स्थिति का मुकाबला करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संगठन बनाया जाए। फलत: सन् १८६४ में लंदन में एकत्र हुए यूरोपीय देशों के मजदूर नेताओं तथा समाजवादी विचारकों के एक सम्मेलन में श्रमिक अंतरराष्ट्रीय संघ (वर्किंग मेंस इंटरनैशनल असोसिएशन) स्थापित हुआ जिसे सामान्यत: 'प्रथम इंटरनैशनल' के नाम से जाना जाता है।
प्रथम इंटरनैशनल की शाखाएँ जल्दी ही यूरोप के विभिन्न देशों में स्थापित हो गईं। इस इंटरनैशनल के उद्देश्य और नियम [[कार्ल मार्क्स]] ने तैयार किए थे और जान बूझकर इसलिए नरम रखे गए थे कि संगठन को व्यापक रूप दिया जा सके। सन् १८७१ में [[पेरिस कम्यून]] का विप्लव हुआ जिसका प्रथम इंटरनैशनल के कुछ नेताओं ने जोरदार समर्थन किया। परंतु विद्रोह अंत में विफल हो गया जिससे इंटरनैशनल को भारी धक्का लगा। [[ब्रिटिश ट्रेड यूनियन कांग्रेस]] ने सहयोग देना बंद कर दिया। उधर [[अराजकतावाद|अराजकतावादी]] [[माइकेल बुकानिन]] तथा कार्ल मार्क्स के मतभेद और झगड़ों के कारण इंटरनैशनल बहुत कमजोर हो चुका था और अंत में सन् १८७६ में वह समाप्त हो गया।
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==तृतीय इंटरनैशनल==
[[पहला विश्व युद्ध|प्रथम विश्वयुद्ध]] में यूरोप के अधिकांश समाजवादी दलों ने अपनी युद्धरत राष्ट्रीय सरकारों के साथ सहयोग किया था जिससे मार्क्सवादी तत्व असंतुष्ट थे। उन्होंने युद्धकाल में ही लेनिन के नेतृत्व में अपनी बैठकें की थीं और समाजवादी दलों से अपनी युद्धरत सरकारों के विरुद्ध सशस्त्र क्रांति तथा व्यापक विद्रोह करने का आह्वान किया था। १९१७ में रूस में [[बोलशेविक क्रांति]] हो गई। फलत: सन् १९१८ में विश्वयुद्ध समाप्त हो जाने पर लेनिन के नेतृत्व में एक तीसरा इंटरनैशनल कम्युनिस्ट इंटरनैशनल (कोमिनटर्न) बना जिसका मुख्य उद्देश्य विश्व में समाजवादी क्रांति को चरितार्थ करना था। यह इंटरनैशनल सन् १९४३ तक स्तालिन और रूस के नेतृत्व में काम करता रहा। दुनिया की कम्युनिस्ट पार्टियों का नेतृत्व इस इंटरनैशनल के माध्यम से होता था। दूसरे विश्वयुद्ध में अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस आदि गैरकम्युनिस्ट राष्ट्र रूस के साथ थे। अत: 'मित्र राष्ट्रों' के दबाव के फलस्वरूप तृतीय इंटरनैशनल को सन् १९४३ में भंग कर दिया गया।
==कोमिनफार्म==
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