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[[File:Runa Laila on 4 July 2017 (02) (cropped).jpg|thumb|रूना लैला]]
 
'''रूना लैला''' ([[बांग्लाबाङ्ला भाषा|बांग्ला]]: রুনা লায়লা, जन्म १७ नवम्बर १९५२) एक [[बंगलादेशबांग्लादेश|बंगलादेशी]] गायिका और [[पार्श्वगायक|पार्श्वगायिका]] हैं जो सारे [[भारतीय उपमहाद्वीप]] में ख्याति प्राप्त कर चुकी हैं। उन्होंने बंगलादेश, [[भारत]] और [[पाकिस्तान]] की फ़िल्मी दुनिया में १९६० से लेकर १९८५ तक बहुत गाने गाये हैं। उनका सब से मशहूर गाना [[दमादम मस्त क़लन्दर]] है।
 
== बचपन और व्यक्तिगत जीवन ==
रुना लैला का जन्म पूर्वी बंगाल के [[सिलहट विभाग|सिलहट]] शहर में १७ नवम्बर १९५२ को हुआ जब उस क्षेत्र का नाम पूर्वी पाकिस्तान था (जो की १९७१ में जाकर बंगलादेश बना)। उनके मध्य-वर्गीय पिता [[राजशाही विभाग|राजशाही]] शहर के थे। जब वे छोटी बच्ची थीं, एक संगीत के उस्ताद घर आकर उनकी बड़ी बहन दीना लैला को संगीत सिखाया करते थे। रूना छोटी थीं लेकिन देखा-देखी सहजता से ही उन्होंने संगीत सीख लिया। रूना लैला की असली रूचि नृत्य के साथ थी और उन्होंने कत्थक, भरतनाट्यम और कथाकली में तालीम हासिल की। १९६० में उनकी प्रारंभिक संगीत शिक्षा [[कराची]] में हुई जहां उनका परिवार आ बसा था। उनके गुरु उस्ताद कासिम थे, जो बाद में 'पिया रंग' के नाम से जाने जाते थे। अन्य बंगाली परिवारों की तरह रुना लैला के परिवार में भी कला पर ज़ोर था।
 
रुना लैला का एक छोटा भाई भी है, जिनका नाम सैय्यद अली मुराद है। रुना चार दफ़ा शादियाँ कर चुकीं हैं और उनकी एक तनी लैला नाम की बेटी है। उनका पहला विवाह ख़्वाजा जावेद क़ैसर से हुआ, दूसरा मैदुल इस्लाम से, तीसरा रान डैनिअलैंड नामक एक स्विट्ज़रलैंड-निवासी से और चौथा और आख़री विवाह प्रसिद्ध बंगलादेशी अभिनेता अलमगीर से।