"अपराध": अवतरणों में अंतर

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परंपरागत मान्यताओं के अनुसार दंडाभियोग की पूर्णता के लिये दो चीजें अवश्य हैं -
* [[आपराधिक मनःस्थिति|अपराध करने की इच्छा से युक्त मन]] (mens rea), तथा
* तदनुयायी [[आपराधिक कृत्य|आपराधिक कार्य]] या [[आपराधिक कृत्य|दोषपूर्ण कार्य]] (actus reus)।
 
यदि कोई चोरी करने के अभिप्राय से किसी के घर की खिड़की से घर के अंदर की चीजों को देखे तथा रात्रि में सेंध लगाकर चोरी करने की योजना बनाकर ही लौट जाय तो उसपर चोरी के अपराध का अभियोग नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि अपराधी मन की योजना का कार्यान्वयन नहीं हुआ, भले ही दूसरे के घर में अनधिकार प्रवेश करने के लिये वह दोषी क्यों न हो। चोरी के अपराध की पूर्णता के लिये दूसरे की चीजों को कम से कम स्पर्श करना आवश्यक है। अत: वह व्यक्ति यदि अपनी योजना के अनुसार रात्रि में सेंध लगाकर उस घर की चीजें उठा ले जाय तभी वह चोरी के लिये अपराधी होगा। किंतु आधुनिक सभ्यता के विकास के साथ साथ समाज में जटिलता आने के कारण नित्य नए नए कानून बन रहे हैं, जिनसे दंडाभियोग का दोषपूर्ण मन (mens rea) का सिद्धांत लुप्त होता जा रहा है।
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== अपराध और वातावरण ==
जन्म या आनुवंशिकता (heredity) का दंडाभियोग से क्या संबंध है, निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता; किंतु हम वातावरण के प्रभाव अस्वीकार नहीं कर सकते। यह साधारण अनुभव है कि कलुषित वातावरण अपराध करने की भावना को प्रोत्साहन देता है। चोरों की संगति में यदि किसी शिशु को रख दिया जाय तो क्रमश: उसकी मनोवृत्ति चोरी की ओर अग्रसर अवश्य होगी। इस प्रकार यदि कम अवस्था के शौकिया अपराधी को साधारण कैदियों के साथ जेल में रखा जाय तो इस स्थिति का प्रभाव उसे संभवत: कारावास से मुक्त होने पर अपराध करने को प्रेरित करे। अत: प्रगतिशील समाज में शौकिया अपराधियों को दंडाभियोग से विरत करने के अभिप्राय से अपराध को प्रोत्साहन देनेवाले वातावरण से पृथक् रखने की योजना की गई है। इंग्लैंड में [[पहला विश्व युद्ध|प्रथम विश्वयुद्ध]] के पूर्व ही वोर्स्टल नामक संस्था खुली। शौकिया तथा कम अवस्था के अपराधियों का सुधार करना इनका उद्देश्य था। क्रमश: अन्यान्य प्रगतिशील देशों में यह संस्था खुली। [[प्रोबेशन ऐक्ट]] भी लागू हुआ। शिशु एवं युवक अपराधियों को अपराध के लिये दंडित होने पर उन्हें जेल में न रखकर उनके अभिभावकों द्वारा नेकचलनी का आश्वान मिलने पर उन्हें परिवीक्षा (probation) पर छोड़ दिया जाता है। यदि हत्या आदि गुरुतम अपराधों के लिये वे दंडित हुए हैं, तो उन्हें बोरस्टल संस्था के हवाले किया जाता है। इस संस्था में स्वस्थ वातावरण रहता है, जिससे अपराधियों के सुधार में सहायता मिलती है। उन्हें उपयोगी व्यवसाय की भी शिक्षा दी जाती है, ताकि दंड की निर्धारित अवधि पूरी कर घर लौटने पर वे सच्चाई से अपनी जीविका चला सकें।
 
== अपराधियों की श्रेणी ==
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'''{{मुख्य|अपराध शास्त्र}}'''
 
[[अपराध शास्त्र|अपराध विज्ञान]] का दंडदायित्व से इतना ही संबंध है कि यह अपराधी को समझने की चेष्टा करता है। उसे पहचानना इसकी परिधि से बाहर है। इसका सिद्धांत इस तथ्य पर आधारित है कि कोई परिस्थिति से पराभूत होकर ही अपराध की ओर अग्रसर होता है। यथा, अर्थ या नैतिक संकट किसी को दूसरे की संपत्ति का अपहरण करने को प्रोत्साहित कर सकता है। विक्षिप्तता या मानसिक असंतुलन भी अपराध को प्रश्रय देते हैं। अत: वैज्ञानिक उपचारों के प्रयोग से तथा परिस्थिति को अनुकूल कर अपराधी को अपराध से विरत करना चाहिए। अन्य शब्दों में यह विज्ञान "दंड" के स्थान में "सुधार" का समर्थन करता है। [[संयुक्त राज्य अमेरिका|अमरीका]] में इस सिद्धांत की मान्यता बढ़ रही है। [[भारत]] या [[इंग्लैण्ड|इंग्लैंड]] में इसका बहुत कम प्रभाव जनता या [[न्यायालय]] पर पड़ा है।
 
== इन्हें भी देखें ==
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* [[अपराध शास्त्र]]
* [[भारतीय दण्ड संहिता]]
* [[दण्ड प्रक्रिया|दण्ड प्रक्रिया संहिता]]
* [[दण्डदायित्व]]
* [[दण्डविधि]]
* [[दण्डदायित्व]]
* [[दण्ड-न्याय|दण्ड न्यायालय]]
* [[दण्ड प्रक्रिया]]
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अपराध" से प्राप्त