"साबरमती आश्रम": अवतरणों में अंतर
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गांधी जी की मृत्यु के पचात् उनकी स्मृति को निरंतर सुरक्षित रखने के उद्देय से एक राष्ट्रीय स्मारक की स्थापना की गई। साबरमती आश्रम गांधी जी के नेतृत्व के आरंभ काल से ही संबंधित है, अत: [[गांधी-स्मारक-निधि]] नामक संगठन ने यह निर्णय किया कि आश्रम के उन भवनों को, जो गांधी जी से संबंधित थे, सुरक्षित रखा जाए। इसलिए 1951 ई. में साबरमती आश्रम सुरक्षा एवं स्मृति न्यास अस्तित्व में आया। उसी समय से यह न्यास महात्मा गांधी के निवास, हृदयकुंज, उपासनाभूमि नामक प्रार्थनास्थल और मगन निवास की सुरक्षा के लिए कार्य कर रहा है।
हृदयकुंज में गांधी जी एवं कस्तूरबा ने लगभग 12 वर्षों तक निवास किया था। 10 मई 1963 ई. को श्री जवाहरलाल ने हृदयकुंज के समीप गांधी स्मृति संग्रहालय का उद्घाटन किया। इस संग्रहालय में गांधी जी के पत्र, फोटोग्राफ और अन्य दस्तावेज रखे गए हैं। यंग इंडिया, नवजीवन तथा हरिजन में प्रकाशित गांधी जी के 400 लेखों की मूल प्रतियाँ, बचपन से लेकर मृत्यु तक के फोटोग्राफों का बृहत् संग्रह और भारत तथा विदेशों में भ्रमण के समय दिए गए भाषणों के 100 संग्रह यहाँ प्रदर्शित किए गए हैं। संग्रहालय में पुस्तकालय भी हैं, जिसमें साबरमती आश्रम की 4,000 तथा [[महादेव देसाईं|महादेव देसाई]] की 3,000 पुस्तकों का संग्रह है। इस संग्रहालय में महात्मा गांधी द्वारा और उनको लिखे गए 30,000 पत्रों की अनुक्रमणिका है। इन पत्रों में कुछ तो मूल रूप में ही हैं और कुछ के माइक्रोफिल्म सुरक्षित रखे गए हैं।
जब तक साबरमती आश्रम का दर्शन न किया जाए तब तक गुजरात या अहमदाबाद नगर की यात्रा अपूर्ण ही रहती है। अब तक विश्व के अनेक देशों के प्रधानों, राजनीतिज्ञों एवं विशिष्ट व्यक्तियों ने इस आश्रम के दर्शन किए हैं।
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