"हिमाचल प्रदेश": अवतरणों में अंतर

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| राज्यपाल = [[बंण्डारू दत्तारेय]]
| मुख्यमंत्री = [[जयराम ठाकुर]] ([[भारतीय जनता पार्टी|भाजपा]])
| विधानमण्डल = [[एकसदनवाद|एकसदनीय]]<br>[[हिमाचल प्रदेश विधान सभाविधानसभा|विधान सभा]] (68 सीटें)
| भारतीय संसद = [[राज्य सभा]] (3 सीटें)<br>[[लोक सभा]] (4 सीटें)
| उच्च न्यायालय = [[हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय]]
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}}
 
'''हिमाचल प्रदेश''' ([[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]: Himachal Pradesh, [[सहायता:IPAअन्तर्राष्ट्रीय ध्वन्यात्मक वर्णमाला|उच्चारण]] {{audio-IPA|Himachal.ogg|[hɪmaːtʃəl prəd̪eːʃ]}}) उत्तर-पश्चिमी [[भारत]] में स्थित एक राज्य है। यह 21,629 मील² (56019 किमी²)<ref name=area>{{cite web |url = http://www.indianmirror.com/geography/geo9.html| title = भारत के बारे में सांख्यकीय तथ्य |accessdate = 2006-10-26| publisher = www.indianmirror.com }}</ref> से अधिक क्षेत्र में फ़ैला है तथा उत्तर में [[जम्मू और कश्मीर|जम्मू कश्मीर]] और लडाख ये कें,प्र, पश्चिम तथा दक्षिण-पश्चिम में [[पंजाब (भारत)]], दक्षिण में [[हरियाणा]] एवं [[उत्तर प्रदेश]], दक्षिण-पूर्व में [[उत्तराखण्ड]] तथा पूर्व में [[तिब्बत]] से घिरा हुआ है। [https://examable.blogspot.com/2019/12/himachal-gk-question-in-hindi.html हिमाचल प्रदेश] का शाब्दिक अर्थ "बर्फ़ीले पहाड़ों का प्रांत" है।<ref name=hplm1>{{cite web |url = http://www.himachalpradesh.us/geography/himalayas_in_himachal.php |title = हिमाचल प्रदेश का शाब्दिक अर्थ |accessdate = 2007-05-20 |publisher = www.himachalpradesh.us}}</ref>
हिमाचल प्रदेश को "देव भूमि" भी कहा जाता है। इस क्षेत्र में आर्यों का प्रभाव [[वेद|ऋग्वेद]] से भी पुराना है। आंग्ल-गोरखा युद्ध के बाद, यह ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के हाथ में आ गया। सन 1857 तक यह [[महाराजा रणजीत सिंह]] के शासन के अधीन पंजाब राज्य (पंजाब हिल्स के सीबा राज्य को छोड़कर) का हिस्सा था।<ref name=bsahis123>{{cite web
|url = http://www.webindia123.com/himachal/history/history.htm
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|publisher = Suni system (P)
}}</ref>
सन 1950 मे इसे [[केन्द्र-शासित प्रदेश|केन्द्र शासित प्रदेश]] बनाया गया, लेकिन 1971 मे इसे, हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम-1971 के अन्तर्गत इसे 25 january 1971 को भारत का अठारहवाँ राज्य बनाया गया।
हिमाचल प्रदेश प्रतिव्यक्ति आय के अनुसार भारत के राज्यों में पन्द्रहवें स्थान पर है।<ref>{{cite web |title=Comparing Indian States and Countries by GDP per capita - StatisticsTimes.com |url=https://statisticstimes.com/economy/comparing-indian-states-and-countries-by-gdp-capita.php |website=statisticstimes.com |accessdate=26 मई 2019}}</ref> बारहमासी नदियों की बहुतायत के कारण, हिमाचल अन्य राज्यों को [[जलविद्युत ऊर्जा|पनबिजली]] बेचता है जिनमे प्रमुख हैं [[दिल्ली]], [[पंजाब (भारत)]] और [[राजस्थान]]। राज्य की अर्थव्यवस्था तीन प्रमुख कारकों पर निर्भर करती है जो हैं, पनबिजली, [[पर्यटन]] और [[कृषि]]।<ref>[http://www.yesbank.in/downloads/KnowledgeBank_17Jan06/YESBANK_Knowledge_ExecutiveSummary_Himachal.pdf हिमाचल प्रदेश में अर्थव्यवस्था विकास] yesbank.in अभिगमन तिथी- अप्रैल 2008</ref>
हिंदु राज्य की जनसंख्या का 95% हैं और प्रमुख समुदायों मे राजपूत, ब्राह्मण, घिर्थ (चौधरी), गद्दी, कन्नेत, राठी और कोली शामिल हैं। ट्रान्सपरेन्सी इंटरनैशनल के 2005 के सर्वेक्षण के अनुसार, हिमाचल प्रदेश देश में केरल के बाद दूसरी सबसे कम भ्रष्ट राज्य है।
 
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* '''शिमला हिल स्टेट्स की स्थापना'''
 
1945 ई. तक प्रदेश भर में प्रजा मंडलों का गठन हो चुका था। 1946 ई. में सभी प्रजा मंडलों को एचएचएसआरसी में शामिल कर लिया तथा मुख्यालय मंडी में स्थापित किया गया। मंडी के स्वामी पूर्णानंद को अध्यक्ष, पदमदेव को सचिव तथा शिव नंद रमौल (सिरमौर) को संयुक्त सचिव नियुक्त किया। एचएचएसआरसी के नाहन में 1946 ई. में चुनाव हुए, जिसमें [[यशवंत सिंह]] परमार को अध्यक्ष चुना गया। जनवरी, 1947 ई. में राजा दुर्गा चंद (बघाट) की अध्यक्षता में शिमला हिल्स स्टेट्स यूनियन की स्थापना की गई। जनवरी, 1948 ई. में इसका सम्मेलन [[सोलन]] में हुआ। हिमाचल प्रदेश के निर्माण की घोषणा इस सम्मेलन में की गई। दूसरी तरफ प्रजा मंडल के नेताओं का शिमला में सम्मेलन हुआ, जिसमें यशवंत सिंह परमार ने इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल प्रदेश का निर्माण तभी संभव है, जब शक्ति प्रदेश की जनता तथा राज्य के हाथ सौंप दी जाए। शिवानंद रमौल की अध्यक्षता में हिमालयन प्लांट गर्वनमेंट की स्थापना की गई, जिसका मुख्यालय शिमला में था। दो मार्च, 1948 ई. को [[शिमला]] हिल स्टेट के राजाओं का सम्मेलन दिल्ली में हुआ। राजाओं की अगवाई मंडी के राजा जोगेंद्र सेन कर रहे थे। इन राजाओं ने हिमाचल प्रदेश में शामिल होने के लिए 8 मार्च 1948 को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। 15 अप्रैल 1948 ई. को हिमाचल प्रदेश राज्य का निर्माण किया था। उस समय प्रदेश भर को चार जिलों में बांटा गया और पंजाब हिल स्टेट्स को पटियाला और पूर्व पंजाब राज्य का नाम दिया गया। 1948 ई. में सोलन की [[नालागढ़ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश|नालागढ़]] रियासत कों शामिल किया गया। अप्रैल 1948 में इस क्षेत्र की 27,000 वर्ग कि॰मी॰ में फैली लगभग 30 रियासतों को मिलाकर इस राज्य को [[केन्द्र-शासित प्रदेश|केंद्र शासित प्रदेश]] बनाया गया।
* '''1950 ई. में प्रदेश का पुनर्गठन'''
 
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{{main|हिमाचल प्रदेश का भूगोल}}
 
हिमाचल प्रदेश [[हिमालय]] पर्वत की [[शिवालिक]] श्रेणी का हिस्सा है। शिवालिक पर्वत श्रेणी से ही [[सरस्वती नदी|घग्गर]] नदी निकलती है। राज्य की अन्य प्रमुख नदियों में [[सतलुज नदी|सतलुज]] और [[व्यास]] शामिल है। हिमाचल [[हिमालय]] का सुदूर उत्तरी भाग [[लद्दाख़|लद्दाख]] के ठंडे मरुस्थल का विस्ता है और लाहौल एवं स्पिति जिले के स्पिति उपमंडल में है। हिमालय की तीनों मुख्य पर्वत श्रंखलाएँ, बृहत हिमालय, लघु हिमालय; जिन्हें हिमाचल में [[धौलाधार]] और [[उत्तराखण्ड|उत्तरांचल]] में नागतीभा कहा जाता है और उत्तर-दक्षिण दिशा में फैली [[शिवालिक]] श्रेणी, इस हिमालय खंड में स्थित हैं। लघु हिमालय में 1000 से 2000 मीटर ऊँचाई वाले पर्वत ब्रिटिश प्रशासन के लिए मुख्य आकर्षण केंद्र रहे हैं।
 
=== नदियां ===
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'''रावी नदीः''' रावी नदी का प्राचीन नाम '''‘इरावती और परोष्णी’''' है। रावी नदी मध्य [[हिमालय]] की धौलाधार शृंखला की शाखा बड़ा भंगाल से निकलती है। रावी नदी ‘भादल’ और ‘तांतागिरि’ दो खड्डों से मिलकर बनती है। ये खड्डें बर्फ पिघलने से बनती है। यह नदी चंबा से खेड़ी के पास [[पंजाब (भारत)]] में प्रवेश करती है और [[पंजाब क्षेत्र|पंजाब]] से [[पाकिस्तान]] में प्रवेश करती है। यह [[भरमौर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश|भरमौर]] और [[चंबा]] शहर में बहती है। यह बहुत ही उग्र नदी है। इसकी सहायक नदियां तृण दैहण, बलजैडी, स्यूल, साहो, चिडाचंद, छतराड़ी और बैरा हैं। इसकी लंबाई 720 किलोमीटर है, परंतु हिमाचल में इसकी लंबाई 158 किलोमीटर है। सिकंदर महान के साथ आए यूनानी इतिहासकार ने इसे ‘'''हाइड्रास्टर और रहोआदिस’''' का नाम दिया था।
 
'''ब्यास नदीः''' ब्यास नदी का पुराना नाम ‘'''अर्जिकिया’ या ‘विपाशा’''' था। यह [[कुल्लू]] में व्यास कुंड से निकलती है। व्यास कुंड पीर पंजाल पर्वत शृंखला में स्थित रोहतांग दर्रे में है। यह [[कुल्लू]], [[मंडी, हिमाचल प्रदेश|मंडी]], [[हमीरपुर]] और [[काँगड़ा|कांगड़ा]] में बहती है। कांगड़ा से मुरथल के पास पंजाब में चली जाती है। [[मनाली]], [[कुल्लू]], बजौरा, औट, [[पंडोह झील|पंडोह]], [[मंडी, हिमाचल प्रदेश|मंडी]], [[कांढापतन (मिनी हरिद्धार)|कांढापतन ( मिनी हरिद्धार )]], सुजानपुर टीहरा, नादौन और देहरा गोपीपुर इसके प्रमुख तटीय स्थान हैं। इसकी कुल लंबाई 460 कि॰मी॰ है। हिमाचल में इसकी लंबाई 260 कि॰मी॰ है। कुल्लू में पतलीकूहल, पार्वती, पिन, मलाणा-नाला, फोजल, सर्वरी और सैज इसकी सहायक नदियां हैं। कांगड़ा में सहायक नदियां बिनवा न्यूगल, गज और चक्की हैं। इस नदी का नाम '''महर्षि ब्यास''' के नाम पर रखा गया है। यह प्रदेश की जीवनदायिनी नदियों में से एक है।
 
'''चिनाव नदीः''' चिनाव नदी [[जम्मू]]<nowiki/>-कश्मीर से होती हुई पंजाब राज्य में बहने वाली नदी है। पानी के घनत्व की दृष्टि से यह प्रदेश की सबसे बड़ी नदी है। यह नदी समुद्र तल से लगभग 4900 मीटर की ऊंचाई पर बारालाचा दर्रे (लाहौल स्पीति) के पास से निकलने वाली चन्द्रा और भागा नदियों के तांदी नामक स्थान पर मिलने से बनती है। इस नदी को वैदिक साहित्य में ‘'''अश्विनी’''' नाम से संबोधित किया गया है। ऊपरी हिमालय पर टांडी में ‘चन्द्र’ और ‘भागा’ नदियां मिलती हैं, जो चिनाव नदी कहलाती है। महाभारत काल में इस नदी का नाम '''‘चंद्रभागा’''' भी प्रचलित हो गया था। ग्रीक लेखकों ने चिनाव नदी को ‘अकेसिनीज’ लिखा है, जो अश्विनी का ही स्पष्ट रूपांतरण है। चंद्रभागा नदी [[मानसरोवर]] (तिब्ब्त) के निकट [[चंद्रभागा]] नामक पर्वत से निस्तृत होती है और सिंधु नदी में गिर जाती है। चिनाव नदी की ऊपरी धारा को चद्रभागा कहकर, पुःन शेष नदी का प्राचीन नाम अश्विनी कहा गया है। इस नदी को हिमाचल से अदभुत माना गया है। इस नदी का तटवर्ती प्रदेश पूर्व गुप्त काल में म्लेच्छों तथा यवन शव आदि द्वारा शासित था।
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== जलवायु ==
{{main|हिमाचल प्रदेश की जलवायु}}
हिमाचल में तीन ऋतुएं होती हैं - ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु और वर्षा ऋतु। हिमाचल प्रदेश की समुद्रतल से ऊंचाई की विविधता के कारण जलवायु में भी भिन्नता है। कहीं सारा वर्ष [[बर्फ़|बर्फ]] गिरती है, तो कहीं [[ग्रीष्म ऋतु|गर्मी]] होती हे। हिमाचल में गर्म पानी के चशमें भी हैं और हिमनद भी है। ऐसा समुद्रतल से ऊंचाई की भिन्नता की वजह से है।
 
== कृषि ==
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=== बागवानी ===
 
प्रकृति ने हिमाचल प्रदेश को व्‍यापक कृषि जलवायु परिस्थितियां प्रदान की हैं जिसकी वजह से किसानों को विविध फल उगाने में सहायता मिली है। बागवानी के अंतर्गत आने वाले प्रमुख फल हैं-[[सेब]], [[नाशपाती]], आडू, [[बेर]], खूमानी, गुठली वाले फल, [[नीबू|नींबू]] प्रजाति के फल, [[आम]], [[लीची]], [[अमरूद]] और झरबेरी आदि। 1950 में केवल 792 हेक्‍टेयर क्षेत्र [[उद्यान विज्ञान|बागवानी]] के अंतर्गत था, जो बढ़कर 2.23 लाख हेक्‍टेयर हो गया है। इसी तरह,1950 में फल उत्‍पादन 1200 मीट्रिक टन था, जो 2007 में बढकर 6.95 लाख टन हो गया है।
 
=== वानिकी ===
 
राज्‍य का कुल भौगोलिक [[क्षेत्रफल]] 55,673 वर्ग किलोमीटर है। वन रिकार्ड के अनुसार कुल वन क्षेत्र 37,033 वर्ग किलोमीटर है। इसमें से 16,376 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र ऐसा है जहां पहाड़ी [[चरागाह]] वाली वनस्‍पतियां नहीं उगाई जा सकतीं क्‍योंकि यह स्‍थायी रूप से [[बर्फ़|बर्फ]] से ढका रहता है।
 
राज्‍य में 2 राष्‍ट्रीय पार्क और 32 वन्‍यजीवन अभयारण्‍य हैं। वन्‍यजीवन अभयारण्‍य के अंतर्गत कुल क्षेत्र 5,562 कि.मी., राष्‍ट्रीय पार्क के अंतर्गत 1,440 कि॰मी॰ है। इस तरह कुल संरक्षित क्षेत्र 7,002 कि॰मी॰ है।
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'''चंबा घाटी'''
 
[[चंबा]] घाटी (915 मीटर) की ऊंचाई पर [[रावी नदी|रावी]] नदी के दाएं किनारे पर है। पुराने समय में राजशाही का राज्‍य होने के नाते यह लगभग एक शताब्‍दी पुराना राज्‍य है और 6वीं शताब्‍दी से इसका [[इतिहास]] मिलता है। यह अपनी भव्‍य वास्‍तुकला और अनेक रोमांचक यात्राओं के लिए एक आधार के तौर पर विख्‍यात है।
 
'''डलहौज़ी'''
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'''धर्मशाला'''
 
[[धर्मशाला]] की ऊंचाई 1,250 मीटर (4,400 फीट) और 2,000 मीटर (6,460 फीट) के बीच है। यह अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जहां पाइन के ऊंचे पेड़, [[चाय]] के [[बाग़ान|बागान]] और इमारती लकड़ी पैदा करने वाले बड़े वृक्ष ऊंचाई, शांति तथा पवित्रता के साथ यहां खड़े दिखाई देते हैं। वर्ष 1960 से, जब से [[तेनजिन ग्यात्सो|दलाई लामा]] ने अपना अस्‍थायी मुख्‍यालय यहां बनाया, [[धर्मशाला]] की अंतरराष्‍ट्रीय ख्‍याति भारत के छोटे ल्‍हासा के रूप में बढ़ गई है।
 
'''कुफरी'''
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{{main|हिमाचल प्रदेश सरकार}}
 
नवम्बर 2017 में हुए विधानसभा चुनावों में [[भारतीय जनता पार्टी|भाजपा]] ने राज्य का [[विधान सभा|विधानसभा]] चुनाव प्रो० प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व में लड़ा। 18 दिसम्बर 2017 को घोषित नतीजों में धूमल की हार के बाद केन्द्रीय नेतृत्व ने हिमाचल की बागडोर मण्डी ज़िला के सराज विधानसभा क्षेत्र से पांच बार रहे विधायक [[जयराम ठाकुर]] को सौंपी। हिमाचल के इतिहास में यह पहली बार है जब मण्डी ज़िले से कोई मुख्यमंत्री बना है।
 
* '''मुख्यमंत्री'''
 
[[जयराम ठाकुर]] (जन्म 06 जनवरी 1965) हिमाचल प्रदेश के [[मुख्यमन्त्री (भारत)|मुख्यमंत्री]] हैं। दिसंबर 27, 2017 को उन्होने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
 
* '''लोकसभा'''
 
लोकसभा में हिमाचल प्रदेश के 4 निर्वाचन क्षेत्र हैं। [[कांगड़ा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र|कांगड़ा]], [[मंडी लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र|मंडी]], [[शिमला लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र|शिमला]] और [[हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश) लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश|हमीरपुर]]। हिमाचल प्रदेश से चार सदस्य चुने जाते हैं। प्रदेश विधानसभा में 68 विधानसभा चुनाव क्षेत्र हैं। लोकसभा के चार चुनाव क्षेत्रों के अंतर्गत प्रत्येक चुनाव क्षेत्र में 17-17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। लाहुल-स्पीति, किन्नौर तथा भरमौर जनजातीय क्षेत्र हैं और ठंडे व दुर्गम क्षेत्र हैं। इस कारण इन क्षेत्रों में चुनाव प्रायः गर्मियों में करवाए जाते हैं।
 
== परिवहन ==
{{main|हिमाचल की परिवहन व्यवस्था}}
 
सड़क मार्ग इस राज्य की यातायात का मुख्य माध्यम है। परंतु [[मानसून]] और ठंड के मौसम में [[भूस्खलन|भू-स्खलन]] और अन्य वजहों से यह काफी बाधित होता है।
 
== हिमाचल प्रदेश के जिले ==
पंक्ति 204:
<div style="position: relative;">
[[चित्र:Himachal Pradesh locator map.svg|250px|left]]
{{Image label|x=0.300|y=0.650 |scale=250|text=[[बिलासपुर जिला,ज़िला (हिमाचल प्रदेश)|बिलासपुर]]}}
{{Image label|x=0.210|y=0.250 |scale=250|text=[[चंबा जिला|चंबा]]}}
{{Image label|x=0.280|y=0.520 |scale=250|text=[[हमीरपुर जिला, हिमाचल प्रदेश|हमीरपुर]]}}
{{Image label|x=0.210|y=0.400 |scale=250|text=[[काँगड़ा जिला|काँगड़ा]]}}
{{Image label|x=0.770|y=0.560 |scale=250|text=[[किन्नौर जिला|किन्नौर]]}}
{{Image label|x=0.510|y=0.450 |scale=250|text=[[कुल्लू जिला|कुल्लू]]}}
{{Image label|x=0.520|y=0.270 |scale=250|text=[[लाहौल और स्पीतीस्पीति जिला|लाहौल और स्पीती]]}}
{{Image label|x=0.410|y=0.570 |scale=250|text=[[मंडी जिला|मंडी]]}}
{{Image label|x=0.573|y=0.684 |scale=250|text=[[शिमला जिला|शिमला]]}}
{{Image label|x=0.520|y=0.850 |scale=250|text=[[सिरमौर जिला|सिरमौर]]}}
{{Image label|x=0.410|y=0.750 |scale=250|text=[[सोलन जिला|सोलन]]}}
{{Image label|x=0.210|y=0.570 |scale=250|text=[[उनाऊना जिलाज़िला|उना]]}}
 
</div>
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| colspan="3" bgcolor="#C2D6E5" align="center" | '''हिमाचल प्रदेश के जिले
|-
| [[काँगड़ा जिला]] || [[हमीरपुर जिला, हिमाचल प्रदेश|हमीरपुर जिला]]
|-
| [[मंडी जिला]] || [[बिलासपुर जिला,ज़िला (हिमाचल प्रदेश)|बिलासपुर जिला]]
|-
| [[ऊना ज़िला|उना जिला]] || [[चंबा जिला]]
|-
| [[लाहौल और स्पीति जिला|लाहौल और स्पीती जिला]] || [[सिरमौर जिला]]
|-
| [[किन्नौर जिला]] || [[कुल्लू जिला]]
पंक्ति 245:
|-
! 1
| [[बिलासपुर जिला,ज़िला (हिमाचल प्रदेश)|बिलासपुर]] || 1,167 || 382,056 || [[बिलासपुर]]
|-
! 2
पंक्ति 251:
|-
! 3
| [[हमीरपुर जिला, हिमाचल प्रदेश|हमीरपुर]] || 1,118 || 454, 293 || [[हमीरपुर]]
|-
! 4
पंक्ति 263:
|-
! 7
| [[लाहौल और स्पीतीस्पीति जिला|लाहौल और स्पीती]] || 13,835 || 31,528 || [[केलांग|केलोन्ग]]
|-
! 8
| [[मंडी जिला|मंडी]] || 3,950 || 999,518 || [[मंडी, हिमाचल प्रदेश|मंडी]]
|-
! 9
पंक्ति 278:
|-
! 12
| [[उनाऊना जिलाज़िला|उना]] || 1,540 || 521,057 || [[उना]]
|}
 
पंक्ति 284:
{{main|हिमाचल प्रदेश की संस्कृति}}
 
राज्य की प्रमुख भाषाओं में [[हिन्दी]], [[काँगड़ी]], [[पहाड़ी भाषाएँ|पहाड़ी]], [[पंजाबी]] और [[मंडियाली]] शामिल हैं। [[हिन्दू]], [[बौद्ध धर्म|बौद्ध]] और [[सिख]] यहाँ के प्रमुख धर्म हैं। पश्चिम में [[धर्मशाला]], [[तेनजिन ग्यात्सो|दलाई लामा]] की शरण स्थली है।
 
== पहाड़ी चित्रकला ==
हिमाचल प्रदेश में चित्रकला का इतिहास काफी समृद्ध रहा है। प्रदेश की चित्रकला का राष्ट्र के [[इतिहास]] में उल्लेखनीय योगदान है। यहां की चित्रकला की संपदा अज्ञात थी। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में हिमाचल तथा पंजाब के अनेक स्थानों पर चित्रों के नमूनों की खोज की गई। मैटकाफ प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंने कांगड़ा के पुरात्न महलों में चित्रों की खोज की गुलेर, सुजानपुर टीहरा तथा [[काँगड़ा|कांगड़ा]] ऐसे ही स्थान थे, जहां पर यह धरोहर छिपी हुई थी।
 
== खनिज संपदा ==
हिमाचल में अनेक प्रकार के खनिज होते है। इनमें चूने का पत्थर, डोलोमाइट युक्त चूने की पत्थर, चट्टानी नमक, सिलिका रेत और स्लेट होते है। यहां [[लोहा|लौह]] अयस्क, [[ताम्र|तांबा]], [[चाँदी|चांदी]], [[दर्पण|शीशा]], [[यूरेनियम]] और [[प्रकृति|प्राकृतिक]] गैस भी पाई जाती है।<br />
'''चट्टानी नमकः''' चट्टानी नमक में स्थानीय भाषा में ''लेखन'' कहा जाता है। यह [[भारत]] की एकमात्र चट्टानी नमक की खान है। मैगली में नमकीन पानी को सुखाकर नमक तैयार किया जाता है। चट्टानी नमक दवाइयां और पशु चारे के काम में प्रयुक्त होता है।<br />
'''प्राकृतिक तेल गैसः''' प्राकृतिक तेल गैस स्वारघाट ([[बिलासपुर]]) चौमुख ([[सुंदरनगर]]), चमकोल ([[हमीरपुर]]) तथा दियोटसिद्ध ([[हमीरपुर]]) में पाई जाती है। प्राकृतिक तेल गैस ज्वालामुखी ([[काँगड़ा|कांगड़ा]]) और रामशहर ([[सोलन]]) में भी पाई जाती है।<br />
'''स्लेट :''' प्रदेश में स्लेट की लगभग 222 छोटी व बड़ी खाने हैं। खनियारा ([[धर्मशाला]]), [[मंडी, हिमाचल प्रदेश|मंडी]], [[काँगड़ा|कांगड़ा]] और [[चंबा]] में अच्छी मात्रा में स्लेट प्राप्त होता है। मंडी में स्लेट से टाइलें बनाने का कारखाना है। स्लेट छत्त और फर्श बनाने में प्रयुक्त होता है। अच्छा स्लेट, भारी हिमपात से भी नहीं टूटता है।<br />
'''सिलिका रेत :''' सिलिका रेत, बिलासपुर, हमीरपुर, [[काँगड़ा|कांगड़ा]], ऊना और मंडी की खड्डों व नालों में पाई जाती है। ऊना जिला के पलकवा, हरोली, बाथड़ी खड्डों में चमकदार पत्थर व रेत पाई जाती है। यह भवन निर्माण, पुल, बांध और सड़कें बनाने में प्रयुक्त होती है।<br />
'''यूरेनियम :''' छिंजराढा, जरी (बंजार), ढेला, गढ़सा घाटी (कुल्लू) और हमीरपुर में यूरेनियम होने की संभावना का पता चला है। यह नाभिकीय ऊर्जा का स्रोत है।
 
== संचार माध्यम ==
प्रदेश के विकास में संचार माध्यम अहम भूमिका निभा रहे है। प्रदेश के दुर्गम इलाकों तक इन संचार माध्यमों का विस्तार हो चुका है। वर्तमान प्रदेश में रेडियो, टेलिविजन, दूरभाष, तार, फैक्स, डाक, ई-मेल, इंटरनेट आदि सुविधाएं उपलब्ध है। 1914 में [[शिमला]] में देश का प्रथम स्वचालित दूरभाष केंद्र स्थापित किया गया था। पांच नवंबर, 1983 को लाहुल-स्पीति के हिक्किम क्षेत्र में विश्व का सर्वाधिक ऊंचाई वाला [[डाकघर]] खोला गया था। [[शिमला]] में प्रदेश का प्रथम [[आकाशवाणी]] केंद्र खोला गया। [[हमीरपुर]], [[धर्मशाला]], [[कुल्लू]], [[कसौली]] और [[किन्नौर जिला|किन्नौर]] में आकाशवाणी केंद, प्रसारण केंद्र स्थापित किए गए है। तरंग टावर मंडी जिला के [[जोगिंदर नगर]] तहसील में स्थापित किया गया था।
 
== प्रदेश की बिजली परियोजनाएं ==
पंक्ति 304:
हिमाचल प्रदेश में कई प्रकार से विद्युत [[ऊर्जा]] प्राप्त होती है। यह नाभिकीय स्रोत, जल विद्युत, सौर ऊर्जा, कोयले और पेट्रोलियम पदार्थ आदि से प्राप्त होती है। हिमाचल प्रदेश में जल विद्युत उत्पादन की अधिक क्षमता है, क्योंकि प्रदेश में पांच प्रमुख नदियां और अनेक सहायक नदियां हैं। नदियों पर बांध बनाकर जल विद्युत उत्पन्न की जाती है। प्रदेश में अनेक परियोजनाएं हैं, जिनमें से कुछ तो पूरी हो चुकी हैं और कुछ निर्माणाधीन हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है।
'''पौंग बांध परियोजना'''- यह बांध [[काँगड़ा|कांगड़ा]] जिला में व्यास नदी पर देहरा से 35 किलोमीटर दूर पौंग गांव की भूमि पर बना है, जो देश का सबसे ऊंचा राक-फिल डैम है। इसकी ऊंचाई 435 फुट है और इस पर 160 करोड़ रुपए व्यय हुए हैं। इसमें 5.6 मिलियन एकड़ फुट पानी जमा रखा जाता है, हालांकि इसमें कुल 6.6 एकड़ मिलियन फुट पानी जमा किया जा सकता है।
 
'''भाखड़ा बांध परियोजना'''-यह बांध [[सतलुज नदी|सतलुज]] नदी पर जिला [[बिलासपुर]] के भाखड़ा गांव में बना है, जो सन् 1948 में शुरू होकर सन् 1963 में बनकर तैयार हुआ था। इसकी ऊंचाई 226 मीटर है। यह [[एशिया]] का सबसे ऊंचा बांध है। इसमें दो विद्युत घर हैं, जिनमें 1200 मेगावाट बिजली पैदा करने की क्षमता है। इस बांध के कारण गोविंद सागर झील बनी है।
 
== सन्दर्भ ==
पंक्ति 331:
|पूर्वोत्तर =
|पूर्व ={{पताका|चीन}}
|दक्षिण पूर्व =[[उत्तराखण्ड|उत्तराखंड]]
|दक्षिण =[[उत्तर प्रदेश]]
|दक्षिण पश्चिम =[[हरियाणा]]