"व्यतिकरण (तरंगों का)": अवतरणों में अंतर

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पारदर्शी ठोस के पतले पट्टों (plates) और साबुन के बुलबुलों पर प्रकाश की किरणों के पड़ने पर व्यतिकरण का स्पष्ट परिचय मिल सकता है। जब प्रकाश की किरणें साबुन के बुलबुलों, या सीसे की पतले पट्टों पर पड़ती हैं, तो उनकी बाहरी और भीतरी दोनों सतहों से किरणें परावर्तित होकर प्रेक्षक की आँखों की ओर लौटती हैं और प्रकाश के तरंगसमूहों में, जो दोनों स्रोतों (सतहों) से आँखों तक पहुँचती हैं, कलाओं (phases) में सूक्ष्म अंतर होने के कारण (जो बुलबुले या पट्ट के प्रत्येक बिंदु पर भिन्न होता है) व्यतिकरण होता है, जिससे उत्पन्न प्रभाव काफी मोहक ओर चित्ताकर्षक होते हैं। साबुन का कोई बुलबुला एकवर्णी (monochromatic) प्रकाश में प्राय: कुछ काली रेखाओं से आवृत दिखाई पड़ता है। कारण यह है कि काले दिखाई पड़नेवाले बिंदुओं पर प्रकाश के दो तरंगसमूह, जो क्रमश: बुलबुले की भीतरी और बाहरी सतहों से आते हैं, करीब करीब या पूर्णत: एक दूसरे के प्रभाव को नष्ट कर देते हैं। यदि बुलबुला श्वेत प्रकाश में देखा जाए, तो हमें सामान्यतया काली रेखाएँ नहीं दिखाई पड़तीं। उनके स्थान पर रंगों की पट्टियाँ (bands) होती हैं। ऐसा इसलिए होता है कि विभिन्न रंग, जिनके योग से श्वेत प्रकाश की उत्पत्ति होती है भिन्न भिन्न तरंगों के होते हैं, जिससे बुलबुले के किसी बिंदु पर व्यतिकरण से रंग के केवल एक अंश मात्र का विनाश होता है और उजले प्रकाश के शेष अवयव बच रहते हैं, जो आँखों पर अपना पूर्ण वर्णीय प्रभाव उत्पन्न करते हैं।
 
==[[व्यतिकरण (तरंगों का)|व्यतिकरण]] के लिये शर्तें ==
व्यतिकरण के लिए कुछ मौलिक शर्ते हैं जिनकी पूर्ति आवश्यक है। इनमें से कुछ तो प्रकाश की प्रकृति में ही अंतर्निहित है और दूसरी, यदि परिणाम का प्रेक्षण प्रयोग द्वारा करना हुआ तो, आवश्यक हो उठती है। सरलता के लिए हम दो विद्युत् चुंबकीय लहरों पर विचार कर सकते हैं, जो किसी दिक्बिंदु पर, जहाँ से दोनों लहरें गुजरती हैं, विनाशी व्यतिकरण उत्पन्न करें।
 
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*(3) दोनों तरंगों का परिमाण आवश्यक रूप से समान या निकटत: समान होना चाहिए,
 
*(4) दोनों तरंगों का समान [[ध्रुवण (विद्युतचुम्बकीय)|ध्रुवीकरण]] (polarisation) नितांत आवश्यक है। अत: प्रकाशतरंगों के लिए यह अवश्यक है कि वे तरंगसमूह, जो मिलकर व्यतिकरण उत्पन्न करें, अवश्य एक ही स्रोत से नि:सृत हों। प्रकाशतरंगों की असंबद्ध (incoherent) प्रकृति से भी यह अनुमान लगाया जा सकता है। एक ही स्रोत से नि:सृत तरंगों में स्रोत की परमाण्वीय रचना की समानता के चलते और परमाणुओं की कक्षाओ (orbits) में प्राय: एक ही तरह के संक्रमणों के कारण, कला समान होती है, या उनका कलांतर (phase difference) स्थिर रहता है।
 
प्रकाश द्वारा उत्पन्न प्रतिरूपों के सफल प्रेक्षण के लिए दो अन्य शर्तें, जिनकी पूर्ति होनी चाहिए, निम्नलिखित हैं,