"साहिब बीबी और ग़ुलाम (1962 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
पंक्ति 5:
| producer = [[गुरु दत्त]]
| director = [[अबरार अलवी]]
| music = [[हेमन्त कुमार मुखोपाध्याय|हेमन्त कुमार]] (संगीतकार)<br />[[शकील बदायूँनी]] (गीतकार)
| writer = बिमल मित्रा की बंगाली उपन्यास पर आधारित
| starring = [[मीना कुमारी]], <br />[[गुरु दत्त]], <br />[[रहमान (हिन्दी फ़िल्म कलाकारअभिनेता)|रहमान]], <br />[[वहीदा रहमान]], <br />[[नासिर हुसैन]], <br />[[धूमल (हिन्दी फ़िल्म कलाकार)धुमाल|धूमल]], <br />[[सप्रू|डी के सप्रू]], <br />[[हरिन्द्र नाथ चटोपाध्याय]], <br />[[प्रतिमा देवी]], <br />रंजीत कुमारी, <br />[[एस एन बैनर्जी]], <br />[[कृष्ण धवन]], <br />विक्रम कपूर, <br />
| screenplay =
| studio = मॉडर्न स्टूडियोज़
पंक्ति 18:
| budget =
}}
'''साहिब बीबी और ग़ुलाम''' [[गुरु दत्त]] द्वारा निर्मित और [[अबरार अलवी]] द्वारा निर्देशित १९६२ की भारतीय हिन्दी फ़िल्म है। यह बिमल मित्रा द्वारा लिखी गई एक बंगाली उपन्यास, ''शाहेब बीबी गोलाम'' पर आधारित है और ब्रिटिश राज के दौरान १९वीं शताब्दी के अंत तथा २०वीं शताब्दी की शुरुआत में बंगाल में ज़मींदारी और सामंतवाद के दुखद पतन की झलक है। फ़िल्म एक कुलीन (साहिब) की एक सुंदर, अकेली पत्नी (बीबी) और एक कम आय अंशकालिक दास (ग़ुलाम) के बीच एक आदर्शवादी दोस्ती को दर्शाने की कोशिश करती है। फ़िल्म का संगीत [[हेमन्त कुमार मुखोपाध्याय|हेमंत कुमार]] और गीत [[शकील बदायूँनी]] ने दिए हैं। फ़िल्म के मुख्य कलाकार [[गुरु दत्त]], [[मीना कुमारी]], [[रहमान (हिन्दी फ़िल्म कलाकारअभिनेता)|रहमान]], [[वहीदा रहमान]] और [[नज़ीर हुसैन]] थे। <br />
इस फ़िल्म को कुल चार [[फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार|फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों]] से नवाज़ा गया था जिनमें से एक [[फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म पुरस्कार]] भी था।
 
== संक्षेप ==
फ़िल्म वर्तमान से शुरु होती है। कई वर्ष बीत चुके होते हैं और अब अधेड़ उम्र का अतुल्य चक्रवर्ती उर्फ़ भूतनाथ ([[गुरु दत्त]]), जो कि एक वास्तुकार है, अपने कर्मचारियों के साथ एक हवेली के खण्डरों को गिराकर एक नयी इमारत का निर्माण करने जा रहा है। उन खण्डरों को देखकर उसे पुराने दिनों की याद आ जाती है।<br />
फ़िल्म समय में पीछे चली जाती है और भूतनाथ गांव से [[कोलकाता]] शहर नौकरी की तलाश में अपने मुँह बोले बहनोई के यहाँ आता है जो इसी हवेली के मुलाज़िमों की रिहाइशगाह में रहता है। यह हवेली शहर के बड़े ज़मीनदारों में से एक, चौधरी ख़ानदान की है जो तीन भाई थे-बड़े बाबू, मंझले बाबू ([[सप्रू]]) और छोटे बाबू ([[रहमान (हिन्दी फ़िल्म कलाकारअभिनेता)|रहमान]])। फ़िल्म में पहले से ही बड़े बाबू का इन्तक़ाल हुआ दिखाया गया है। भूतनाथ को ''मोहिनी सिंदूर'' बनाने वाले कारख़ाने में नौकरी मिल जाती है जिसके मालिक़ सुबिनय बाबू ([[नज़ीर हुसैन]]) हैं, जो कि एक [[ब्रह्म समाज|ब्रह्म समाजी]] हैं और उनकी एक बेटी है जबा ([[वहीदा रहमान]])। रात को जब भूतनाथ हवेली में चल रहे क्रियाकलापों को देखता है तो अचंभे में पड़ जाता है। हर रात छोटे बाबू बग्घी में बैठकर तवायफ़ के कोठे की ओर निकल पड़ते हैं। वह छिपकर हवेली में ही चल रही मंझले बाबू की महफ़िल का भी आनन्द लेता है।<br />
भूतनाथ कारख़ाने के शीघ्र छपने वाले विज्ञापन को ठीक कराने के लिए सुबिनय बाबू के पास जाता है लेकिन जबा वहाँ होती है जो भूतनाथ को विज्ञापन पढ़ने को कहती है। उस विज्ञापन में ऐसी चमत्कारी बातें लिखी होती हैं कि यदि पत्नी या प्रेमिका उस सिंदूर को धारण कर अपने पति या प्रेमी के सामने पड़ती है तो पति अथवा प्रेमी उस पर मोहित हो जायेगा। उस रात छोटे बाबू का नौकर बंसी ([[धुमाल|धूमल]]) भूतनाथ के पास आता है और कहता है कि छोटी बहू ([[मीना कुमारी]]) उसे बुला रही है। दोनों छिपकर छोटी बहू के कमरे में जाते हैं और छोटी बहू भूतनाथ को सिंदूर की डिबिया थमाकर कहती है कि इसमें मोहिनी सिंदूर भर के लाये ताकि वह अपने बेवफ़ा पति को अपने वश में कर सके। भूतनाथ छोटी बहू की ख़ूबसूरती और संताप से मंत्रमुग्ध हो जाता है और न चाहते हुये भी उसके राज़ों का भागीदार हो जाता है। भूतनाथ अगले दिन मोहिनी सिंदूर की सच्चाई सुबिनय बाबू से सुनना चाहता है लेकिन सुबिनय बाबू इस बात को टाल जाते हैं। फिर भी वह छोटी बहू के संताप से इतना व्याकुल हो जाता है कि वह उस सिंदूर को छोटी बहू के पास ले जाता है। इसी बीच भूतनाथ का मुँह बोला बहनोई एक स्वतंत्रता सेनानी निकलता है जो बीच बाज़ार अंग्रेज़ पुलिस पर बम का हमला कर देता है और उसके बाद चली गोली-बारी में भूतनाथ की टांग ज़ख़्मी हो जाती है। जबा भूतनाथ का उपचार करती है। चोट ठीक हो जाने के बाद भूतनाथ एक अच्छे वास्तुकार का सहयोगी बन जाता है और कुछ समय के लिए अपने काम में इतना तल्लीन हो जाता है कि वह न ही जबा और न ही छोटी बहू की ख़बर लेता है। भूतनाथ द्वारा छोटी बहू को दिए गए सिंदूर का असर तो नहीं होता है अलबत्ता छोटे बाबू छोटी बहू से कहते हैं कि यदि वह नाचने वालों की तरह उनके साथ शराब पीकर सारी रात रंगरलियाँ मनाये तो वह घर में रुकने को तैयार हैं। छोटी बहू यह चुनौती भी स्वीकार कर लेती है और अपने पति को घर में रखने के लिए शराब पीना और तवायफ़ों के जैसा बर्ताव भी शुरु कर देती है। तरक़ीब कुछ दिनों के लिए तो कामयाब हो जाती है और छोटे बाबू छोटी बहू के ही साथ वक़्त बिताने भी लगते हैं। लेकिन ऐयाशी के शिकार छोटे बाबू एक दिन अपनी प्रिय तवायफ़ के कोठे में पहुँचते हैं तो पाते हैं कि उनका दुश्मन छेनी दत्त उसके रास में डूबा है। छेनी दत्त और उसके साथी छोटे बाबू को लहु-लुहान कर देते हैं और वह अपंग हो जाते हैं। जब कुछ समय बाद भूतनाथ वापस आता है तो पाता है कि छोटी बहू को तो शराब की लत लग गयी है और छोटे बाबू अपंग पड़े हैं। वह जब जबा के पास जाता है तो पता चलता है कि अभी-अभी सुबिनय बाबू का देहान्त हो गया है और जबा म्लेछ न होकर एक सम्भ्रांत परिवार की लड़की है और सुबिनय बाबू जबा को गांव से चुराकर लाये थे लेकिन एक साल की उम्र में ही उसका उसी गांव के अतुल्य चक्रवर्ती (जो कि भूतनाथ स्वयं है) से विवाह कर दिया गया था।<br />
अपने पति को ठीक करने की उम्मीद में छोटी बहू भूतनाथ के साथ किसी सिद्ध पुरुष के आश्रम की ओर निकलती है। मंझले बाबू भूतनाथ और छोटी बहू के बीच हुयी सारी बातें सुन लेते हैं। उनके सफ़र के बीच में ही मंझले बाबू के ग़ुर्गे भूतनाथ को मार-मारकर अधमरा कर देते हैं और छोटी बहू का कहीं भी पता नहीं चलता है।<br />
फ़िल्म फिर वर्तमान में आ जाती है और भूतनाथ के मुलाज़िम उसे बताते हैं कि उनको हवेली के अहाते में एक क़ब्र मिली है। जब भूतनाथ वहाँ जाकर देखता है तो कंकाल के बाज़ू में पहने हुये कड़े से पहचान जाता है कि यह शव छोटी बहू का ही है। फ़िल्म के आख़िर में भूतनाथ बुझे मन से नई इमारत का नक्शा पकड़े हुये बग्घी में बैठता है जिसमें जबा (जो अब उसकी पत्नी है) पहले से बैठी हुयी है और कोचवान बग्घी आगे हाँक ले चलता है।
पंक्ति 31:
* [[मीना कुमारी]] - छोटी बहू
* [[गुरु दत्त]] - अतुल्य चक्रवर्ती उर्फ़ भूतनाथ
* [[रहमान (हिन्दी फ़िल्म कलाकारअभिनेता)|रहमान]] - छोटे बाबू
* [[वहीदा रहमान]] - जबा
* [[नज़ीर हुसैन]] - सुबिनय बाबू
* [[धूमल (हिन्दी फ़िल्म कलाकार)धुमाल|धूमल]] - बंसी
* [[सप्रू|डी के सप्रू]] - मंझले बाबू
 
== मुख्य कलाकार ==
* [[मीना कुमारी]]
* [[गुरु दत्त]]
* [[रहमान (हिन्दी फ़िल्म कलाकारअभिनेता)|रहमान]]
* [[वहीदा रहमान]]
* [[नासिर हुसैन]]
* [[धूमल (हिन्दी फ़िल्म कलाकार)धुमाल|धूमल]]
* [[सप्रू|डी के सप्रू]]
* [[हरिन्द्र नाथ चटोपाध्याय]]
* [[प्रतिमा देवी]]
पंक्ति 54:
== दल ==
== संगीत ==
इस फ़िल्म के संगीतकार [[हेमन्त कुमार मुखोपाध्याय|हेमन्त कुमार]] हैं और गीतकार [[शकील बदायूँनी]] हैं।
{|class = "wikitable"
|+'''साहिब बीबी और ग़ुलाम के गीत'''
पंक्ति 64:
|-
!२
|''मेरी जान ओ मेरी जान''||[[आशा भोसले|आशा भोंसले]]
|-
!३
पंक्ति 82:
|-
!८
|''साहिल की तरफ़ कश्ती ले चल''||[[हेमन्त कुमार मुखोपाध्याय|हेमन्त कुमार]]
|-
|}