"लरिसा (उपग्रह)": अवतरणों में अंतर

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'''लरिसा''' [[सौर मण्डल]] के आठवे ग्रह [[वरुण (ग्रह)|वरुण]] का एक उपग्रह है। यह [[वरुण के प्राकृतिक उपग्रह|वरुण के सारे उपग्रहों]] में से चौथा सबसे बड़ा है। लरिसा का औसत व्यास २०० किमी से ज़रा कम है और इसका अकार बेढंगा है (यानि गोल नहीं है)। इस उपग्रह का रंग गाढ़ा प्रतीत होता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है के वरुण का यह चन्द्रमा वरुण के साथ-साथ निर्मित नहीं हुआ था, बल्कि उस मलबे के कुछ जमावड़े से बन गया है जब वरुण नें अपने से पास गुज़रते हुए [[ट्राइटन (उपग्रह)|ट्राइटन]] को अपने शक्तिशाली [[गुरुत्वाकर्षण]] के क़ब्ज़े में लेकर उसे अपना उपग्रह बना लिया। उस दौरान वरुण के इर्द-गिर्द घूम रहे पुराने उपग्रहों में गुरुत्वकर्षण के बदलते प्रभाव से काफ़ी टकराव हुए थे जिनसे वे उपग्रह ध्वस्त हो गए और अपना मलबा छोड़ गए और लरिसा उसी का नतीजा है। ट्राइटन को छोड़कर, वरुण के अन्य उपग्रहों का निर्माण कुछ ऐसे ही हुआ था।
 
लरिसा धीरे-धीरे वरुण के समीप आता जा रहा है और वैज्ञानिकों का विचार है के कुछ समय बात यह या तो वरुण के वायुमंडल में गिरकर ध्वस्त हो जाएगा या वरुण की [[रोश सीमा]] के अन्दर आने से उसके गुरुत्वाकर्षण द्वारा तोड़कर एक [[उपग्रही छल्ला|उपग्रही छल्ले]] के लिए मलबा बन जाएगा।
 
== अन्य भाषाओँ में ==
लरिसा को [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] में "Larissa" कहते हैं।
 
== इन्हें भी देखें ==