"कोसी नदी": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:River Ganges and tributaries.png|right|thumb|300px|कोसी नदी एवं अन्य उत्तर भारतीय नदियाँ]]
'''कोसी नदी''' या '''कोशी नदी''' [[नेपाल]] में [[हिमालय]] से निकलती है और [[बिहार]] में [[सम्भल जिला|भीम नगर]] के रास्ते से भारत प्रज्वल में दाखिल होती है। इसमें आने वाली बाढ से बिहार में बहुत तबाही होती है जिससे इस नदी को ''''बिहार का अभिशाप(बिहार क शोक)''''कहा जाता है।
 
इसके भौगोलिक स्वरूप को देखें तो पता चलेगा कि पिछले 250 वर्षों में 120 किमी का विस्तार कर चुकी है। हिमालय की ऊँची पहाड़ियों से तरह तरह से अवसाद (बालू, कंकड़-पत्थर) अपने साथ लाती हुई ये नदी निरंतर अपने क्षेत्र फैलाती जा रही है। उत्तरी बिहार के मैदानी इलाकों को तरती ये [[नदी]] पूरा क्षेत्र उपजाऊ बनाती है। नेपाल और भारत दोनों ही [[देश]] इस नदी पर [[बाँध]] बना चुके हैं; हालाँकि कुछ पर्यावरणविदों ने इससे नुकसान की भी संभावना जतायी थी।
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== मार्ग ==
[[काठमाण्डु|काठमाण्डू]] से एवरेस्ट की चढ़ाई के लिए जाने वाले रास्ते में कोसी की चार सहायक नदियाँ मिलती हैं। [[तिब्बत]] की सीमा से लगा नामचे बाज़ार कोसी के पहाड़ी रास्ते का पर्यटन के हिसाब से सबसे आकर्षक स्थान है। अरुण, तमोर, लिखु, दूधकोशी, तामाकोशी, सुनकोशी, इन्द्रावती इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
 
नेपाल में यह [[कंचनजंघा]] के पश्चिम में पड़ती है। नेपाल के हरकपुर में कोसी की दो सहायक नदियाँ दूधकोसी तथा सनकोसी मिलती हैं। सनकोसी, अरुण,प्रज्वल तमर नदियों के साथ त्रिवेणी में मिलती हैं। इसके बाद नदी को सप्तकोशी कहा जाता है। बराहक्षेत्र में यह तराई क्षेत्र में प्रवेश करती है और इसके बाद से इसे कोशी (या कोसी) कहा जाता है। इसकी सहायक नदियाँ एवरेस्ट के चारों ओर से आकर मिलती हैं और यह विश्व के ऊँचाई पर स्थित ग्लेशियरों (हिमनदों) के जल लेती हैं। त्रिवेणी के पास नदी के वेग से एक खड्ड बनाती है जो कोई 10 किलोमीटर लम्बी है। भीमनगर के निकट यह भारतीय सीमा में दाख़िल होती है। इसके बाद दक्षिण की ओर 260 किमी चलकर कुरसेला के पास [[गंगा नदी|गंगा]] में मिल जाती है।
 
== कोसी बाँध ==