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[[चित्र:Marcellin Berthelot.jpg|right|thumb|300px|प्रसिद्ध रसायनज्ञ '''पीईएम बर्टेलो''']]
बर्टलो, पी.ई.एम. (Pierre Eugène Marcellin Berthelot ; 25 अक्टूबर 1827 – 18 मार्च 1907) [[फ़्रान्स|फ्रांस]] के [[रसायन]]ज्ञ तथा राजनेता थे। [[ऊष्मारसायन]] के क्षेत्र में [[थॉमसन-बर्टेलो सिद्धान्त]] के लिए वे प्रसिद्ध हैं। उन्होने अकार्बनिक पदार्थों द्वारा बहुत से कार्बनिक यौगिकों का [[संश्लेषण]] किया। उनकी गणना महान रसायनज्ञों में होती है।
 
== परिचय ==
इनका जन्म [[पेरिस|पैरिस]] में एक डॉक्टर के यहाँ हुआ था। इन्होंने पहले [[इतिहास]] और [[दर्शनशास्त्र|दर्शन]] का अध्ययन किया, फिर [[विज्ञान]] की ओर इनकी रुचि बढ़ी। सन् १८५१ में अध्यापक हो गए और शोधकार्य करते रहे। सन् १८५४ में इन्होंने डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। सन् १८५९ में [[कार्बनिक रसायन]] के प्रोफेसर नियुक्त हुए और इसके छह वर्ष बाद कॉलेज ऑफ़ फ्रांस के अध्यक्ष भी हो गए। पैस्टर की मृत्यु के अनंतर ये ऐकैडमी ऑफ़ सायंसेज़ के स्थायी सचिव बने रहे।
 
बर्टलो ने कार्बनिक यौगिकों के संश्लेषण के संबंध में अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य किए। इनके पहले वैज्ञानिकों की यह धारणा थी कि प्रयोगशाला में कार्बनिक यौगिकों के निर्माण बिना जैवक्रिया (vital activity) असंभव है, किंतु इन्होंने हाइड्रोकार्बन, वसा, शर्करा तथा अन्य यौगिक बनाकर यह सिद्ध कर दिया कि ये सामान्य विधियों से तैयार किए जा सकते हैं। कार्बनिक यौगिकों से संबंधित इनके अनेक शोधपत्र प्रकाशित हुए।