"इलेक्ट्रॉन": अवतरणों में अंतर

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|composition = [[मूलकण|मूलभूत कण]]
|statistics = फर्मीय
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|interaction = [[गुरुत्वाकर्षण]], [[विद्युतचुंबकीय विकिरण|विद्युतचुम्बकीय]], [[दुर्बल अन्योन्य क्रिया|दुर्बल]]
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'''इलेक्ट्रॉन''' या '''विद्युदणु''' ([[प्राचीन यूनानी भाषा]]: ἤλεκτρον, [[लातिन भाषा|लैटिन]], [[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]], [[फ़्रान्सीसी भाषा|फ्रेंच]], [[स्पेनी भाषा|स्पेनिश]]: Electron, [[जर्मन भाषा|जर्मन]]: Elektron) ऋणात्मक [[विद्युत आवेश|वैद्युत आवेश]] युक्त मूलभूत उपपरमाणविक कण है। यह [[परमाणु]] में नाभिक के चारो ओर चक्कर लगाता हैं। इसका द्रव्यमान सबसे छोटे परमाणु (हाइड्रोजन) से भी हजारगुना कम होता है। परम्परागत रूप से इसके आवेश को ऋणात्मक माना जाता है और इसका मान -१ परमाणु इकाई (e) निर्धारित किया गया है। इस पर -1.6E-19 [[कूलम्ब|कूलाम्ब]] परिमाण का ऋण [[विद्युत आवेश|आवेश]] होता है। इसका [[द्रव्यमान]] 9.11E−31 किग्रा होता है जो [[प्रोटॉन]] के [[द्रव्यमान]] का लगभग १८३७ वां भाग है। किसी उदासीन [[परमाणु]] में विद्युदणुओं की संख्या और प्रोटानों की संख्या समान होती है। इनकी आंतरिक संरचना ज्ञात नहीं है इसलिए इसे प्राय:[[मूलकण|मूलभूत कण]] माना जाता है। इनकी आंतरिक [[प्रचक्रण (भौतिकी)|प्रचक्रण]] १/२ होती है, अतः यह [[फर्मीय]] होते हैं। '''इलेक्ट्रॉन''' का [[प्रति-कण|प्रतिकण]][[पोजीट्रॉन]] कहलाता है। द्रव्यमान के अलावा [[पोजीट्रॉन]] के सारे गुण यथा आवेश इत्यादि '''इलेक्ट्रॉन''' के बिलकुल विपरीत होते हैं। जब '''इलेक्ट्रॉन''' और [[पोजीट्रॉन]] की टक्कर होती है तो दोंनो पूर्णतः नष्ट हो जाते हैं एवं दो [[फोटॉन]] उत्पन्न होती है।
 
'''इलेक्ट्रॉन''', [[लेप्टॉन]] परिवार के प्रथम पीढी का सदस्य है, जो कि गुरुत्वाकर्षण, विद्युत चुम्बकत्व एवं दुर्बल प्रभाव सभी में भूमिका निभाता है। '''इलेक्ट्रॉन''' कण एवं तरंग दोनो तरह के व्यवहार प्रदर्शित करता है। बीटा-क्षय के रूप में यह कण जैसा व्यवहार करता है, जबकि यंग का डबल स्लिट प्रयोग ([[Young's double slit experiment]]) में इसका किरण जैसा व्यवहार सिद्ध हुआ। चूंकि इसका सांख्यिकीय व्यवहार [[फर्मिऑन]] होता है और यह [[पाउली अपवर्जन नियम|पॉली एक्सक्ल्युसन सिध्दांत]] का पालन करता है।
 
आइरिस भौतिकविद [[जॉर्ज जॉनस्टोन स्टोनी]] (''George Johnstone Stoney'') ने १८९४ में '''एलेक्ट्रों''' नाम का सुझाव दिया था। '''विद्युदणु''' की कण के रूप में पहचान १८९७ में [[जे॰ जे॰ थॉमसन|जे जे थॉमसन]] (''J J Thomson'') और उनकी विलायती भौतिकविद दल ने की थी।
 
कइ भौतिकीय घटनाएं जैसे-[[विद्युत|विध्युत]], [[चुम्बकत्व]], [[ऊष्मा|उष्मा]] चालकता में '''विद्युदणु''' की अहम भूमिका होती है। जब '''विद्युदणु''' त्वरित होता है तो यह [[फोटॉन|फोटान]] के रूप में[[ऊर्जा]] का अवशोषण या उत्सर्जन करता है।[[प्रोटॉन]] व [[न्यूट्रॉन]] के साथ मिलकर यह्[[परमाणु]] का निर्माण करता है।[[परमाणु]] के कुल [[द्रव्यमान]] में '''विद्युदणु''' का हिस्सा कम से कम् 0.0६ प्रतिशत होता है। '''विद्युदणु''' और [[प्रोटॉन]] के बीच लगने वाले कुलाम्ब बल (''coulomb force'') के कारण '''विद्युदणु''' परमाणु से बंधा होता है। दो या दो से अधिक परमाणुओं के विद्युदणुओं के आपसी आदान-प्रदान या साझेदारी के कारण रासायनिक बंध बनते हैं।
 
[[ब्रह्माण्ड]] में अधिकतर विद्युदणुओं का निर्माण [[बिगमहाविस्फोट बैंग सिद्धांतसिद्धान्त|बिग-बैंग]] के दौरान हुआ है, इनका निर्माण रेडियोधर्मी समस्थानिक (radioactive isotope) से बीटा-क्षय और अंतरिक्षीय किरणो (''cosmic ray'') के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान उच्च ऊर्जा टक्कर के कारण भी होता है।
* [[रसायन विज्ञान|रसायन शास्त्र]]
* [[परमाणु]]
* [[अणु]]