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दिक्तेतर (डिक्टेटर, एकाधिनायक) शब्द को सर्वप्रथम प्रयुक्त करनेवाले [[रोमन साम्राज्य|रोमन]] लोग थे जो कुछ विशिष्ट प्रशासकों को अनुमानत: इसलिए दिक्तेतर कहते थे कि उनके कोई सलाहकार नहीं होते थे। रोमन गणतंत्र के संविधान में एकाधिनायकत्व या अधिनायकवाद से तात्पर्य संकटकालीन स्थिति में किसी एक व्यक्ति के अस्थायी रूप से असीमित अधिकार प्राप्त कर लेने से था। संकट टल जाने पर एकाधिनायक के असीमित अधिकार भी समाप्त हो जाते थे और उन्हें छोड़ते समय उसे उनके प्रयोगों का पूरा ब्योरा देना पड़ता था। अत: विधान तथा शासितों के प्रति उत्तरदायित्व अधिनायक की प्रमुख विशेषता थी।
 
आधुनिक युग में [[पहला विश्व युद्ध|प्रथम विश्वयुद्ध]] के बाद किसी एक व्यक्ति या वर्ग के स्वार्थ के लिए विधान का उल्लंघन एकाधिनायकत्व का प्रमुख लक्षण हो गया। [[युद्ध]] ने जनसाधारण के मस्तिष्क को थकाने के अतिरिक्त उसपर संयम के स्थान पर सैन्य अनुशासन आरोपित कर सभी सामाजिक क्षेत्रों में आज्ञापालन की प्रवृत्ति उत्पन्न की। सैन्य उद्देश्यों के लिए आवश्यक सत्ता के केंद्रीकरण ने लोगों को इस बात के लिए अभ्यस्त बना दिया कि वे सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए ऐसी निरंकुश सत्ता के निर्णय मान लें जो किसी के प्रति उत्तरदायी न हो। ऐसी परिस्थिति में [[प्रजातंत्रलोकतंत्र|जनतांत्रिक पद्धति]] विघटित होती जान पड़ी। फलत: युद्ध से सर्वाधिक प्रभावित देशों में सामान्यत: लोग ऐसे 'लौहपुरुष' के स्वागत के लिए तत्पर थे जो अपने शौर्य, आत्मविश्वास और कटिबद्धता के बल पर उनका मत लिए बिना राष्ट्र के नाम पर अपनी इच्छा तथा आदेश से समस्याओं का समाधान कर दे। अत: जनता के लिए सामान्यत: एकाधिनायक वह कर्मठ व्यक्ति हुआ जो स्वयं राष्ट्रीय प्रतीक बन किसी रहस्यात्मक आकर्षण द्वारा अपने प्रति आदर का भाव जगा सके तथा इस आधार पर लोगों को महान होने का अनुभव करा सके कि वे उससे संबंधित हैं।
 
== परिचय ==
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==इन्हें भी देखें==
*[[सर्वसत्तावाद]]
*[[लोकतंत्र|प्रजातंत्र]]
 
== सन्दर्भ ग्रन्थ ==