"मौर्य राजवंश": अवतरणों में अंतर

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=== पतन के कारण ===
#बरामणों कि हिन भावना के चलते।
# अयोग्य एवं निर्बल उत्तराधिकारी,
#पूसयमित्र शुगं द्वारा चालाकी से मौर्य सम्राट बरिहदरथ कि हत्या करना,व शुगं वशं कि स्थापना करना।
# प्रशासन का अत्यधिक केन्द्रीयकरण,
#पूसयमित्र शुगं द्वारा बौद्धिक साहित्य को नष्ट करना और बौद्ध भिक्षुओं की हत्या करना।
# राष्ट्रीय चेतना का अभाव,
# जबरन धर्म परिवर्तन करना।
# आर्थिक एवं सांस्कृतिक असमानताएँ,
# पुष्यमित्र शुगं द्वारा बौद्धिक परंपरा को नष्ट करना,और बौद्ध बिहार व बौद्ध स्तूप को नष्ट करना।
# प्रान्तीय शासकों के अत्याचार,
 
# करों की अधिकता।
# अशोक की धम्म नीति
# अमात्यों के अत्याचार
विभिन्न इतिहासकारों ने मौर्य वंश का पतन के लिए भिन्न-भिन्न कारणों का उल्लेख किया है{{cn}}-
 
* हर प्रसाद शास्त्री - धार्मिक नीति (ब्राह्मण विरोधी नीति के कारण)
सम्राट अशोक के वशं को अहिंसात्मक बताते हुए ब्राह्मणों द्वारा काल्पनिक ग्रन्थों की रचना करना।
 
* हेमचन्द्र राय चौधरी - सम्राट अशोक की अहिंसक एवं शान्तिप्रिय नीति।
 
* [[दामोदर धर्मानन्द कोसम्बी|डी डी कौशाम्बी]] - आर्थिक संकटग्रस्त व्यवस्था का होना।