"स्वच्छन्दतावाद": अवतरणों में अंतर
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स्वच्छंदतावाद के विकास में फ़्रेड्रिख़ और ऑगस्त विल्हेम वॉन श्लेगल की भूमिका उल्लेखनीय है। अट्ठारहवीं और उन्नीसवीं सदी के संधिकाल पर सक्रिय इन विचारकों का कहना था कि रोमानी साहित्य और कला का स्वभाव तरल और खण्डित है। इसलिए सुसंगित और सम्पूर्णता प्राप्त करने की वह महत्त्वाकांक्षा उसमें नहीं होती जो क्लासिकल साहित्य और कला का मुख्य लक्षण है। जो रोमानी है वह व्याख्या की समस्याओं से ग्रस्त रहेगा ही। श्लेगल के अनुसार कला-कृतियाँ इसीलिए समझ के धरातल पर सौ फ़ीसदी बोधगम्य होने से इनकार करती हैं। ऑगस्त श्लेगल ने रोमानी विडम्बना की थीसिस का प्रतिपादन करते हुए कविता की विरोधाभासी प्रकृति को रेखांकित किया। इसका मतलब यह था कि किसी वस्तुनिष्ठ या सुनिश्चित तात्पर्य की उपलब्धि न कराना कविता का स्वभाव है। स्वच्छंदतावादियों ने शेक्सपियर की सराहना इसलिए की कि उनमें अपने नाटकों के पात्रों के प्रति एक विडम्बनात्मक विरक्ति है। इसीलिए वे अंतर्विरोधी स्थितियों और मुद्राओं के सफल चितेरे बन पाये हैं और इसीलिए उनके नाटक किसी एक दृष्टिकोण के पक्ष में उपसंहार नहीं करते।
[[हिन्दी|हिंदी]] में स्वच्छंदतावाद का प्रभाव बीसवीं सदी के दूसरे दशक में छायावादी कविता के रूप में सामने आया। हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली के रचनाकार डॉ॰ अमरनाथ के अनुसार [[हिन्दी|हिंदी]] में स्वच्छंदतावाद का ज़िक्र सबसे पहले रामचंद्र शुक्ल के विख्यात ग्रंथ हिंदी साहित्य का इतिहास में मिलता है जहाँ उन्होंने श्रीधर पाठक को स्वच्छंदतावाद का प्रवर्त्तक करार दिया है। अमरनाथ के अनुसार छायावाद और स्वच्छंदतावाद में गहरा साम्य है। दोनों में प्रकृति-प्रेम, मानवीय दृष्टिकोण, आत्माभिव्यंजना, रहस्यभावना, वैयक्तिक प्रेमाभिव्यक्ति, प्राचीन संस्कृति के प्रति व्यामोह, प्रतीक-योजना, निराशा, पलायन, अहं के उदात्तीकरण आदि के दर्शन होते हैं।
== परिचय ==
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एक रोमानी चरित्र का आधुनिक पर्याय बायरन के गुणवान, या शायद गलत समझ लिए गए एकांकी व्यक्ति, की कल्पना के अनुसार व्यक्त किया जा सकता है, जो कि तात्कालिक समाज के ''रीति-रिवाज़'' की जगह अपनी रचनात्मक प्रेरणाओं के आदेश को सुनता है।
हालाँकि इस आन्दोलन की जड़ें जर्मन आन्दोलन ''स्टर्म एंड ड्रेंग'' से विकसित हैं, जो सहज ज्ञान और भावनाओं को ज्ञानोदय परिमेयकरण से बहमूल्य मानता है, [[
== अभिलक्षण ==
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[[चित्र:Niccolo Paganini.jpg|right|thumb|120px| निकोलो पेगेनिनी]]
स्टर्म एंड ड्रेंग ("स्टार्म एंड स्ट्रेस" के लिए जर्मन शब्द) की अत्यधिक विपरीतता और भावुकता या [[
[[चित्र:Chopin-scheffer.jpg|left|thumb|120px| फ्रेडरिक चोपिन]]
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ब्राजील के स्वच्छंदतावाद का चरित्र चित्रण तीन विभिन्न कालों में किया गया है। पहला काल मुख्यतः एक राष्ट्रीय पहचान बनाने के भाव पर केंद्रित है, जिसके लिए वीर भारतीय का प्रयोग किया गया है। इसके कुछ उदाहरणों में जोस डे अलेंकर, जिन्होंने "इरासेमा" और "ओ गुआरनी" लिखी और गोंक्लेव्स दियास, जो कविता :कैनको दो एक्सिलो" (प्रवास गीत) द्वारा प्रसिद्द हुए थे। दूसरा काल यूरोपीय विषय वस्तु और परम्परों के लिए प्रसिद्द है, जिसमे अप्राप्य प्रेम के प्रति उदासी, दुःख और निराशा है। इन कार्यों में सामान्यतया गोयेथ और लॉर्ड बायरन का उद्धरण है। तीसरा चक्र सामाजिक कविता के लिए प्रसिद्द है, विशेषतः उन्मूलकों का आन्दोलन, इस काल के महानतम लेखक कैस्ट्रो एल्व्स हैं।
कुछ समय बाद स्वछंदतावाद, ब्रिटिश साहित्य में एक अलग रूप में विकसित हुआ, यह अधिकतर कवियों [[विलियम वर्द्स्वर्थ|विलियम वर्ड्सवर्थ]] और [[
[[चित्र:Eugène Delacroix - La liberté guidant le peuple.jpg|right|220px|thumb|यूजीन डेलाक्रोयेक्स, लिबर्टी लीडिंग द पीपल 1830]]
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=== रोमानी लेखन पर युद्ध का प्रभाव ===
स्वच्छन्द्तावाद वाद के दौरान अनेक युद्ध हुए. सात वर्षीय युद्ध (1756-1763) के साथ साथ फ्रेंच और भारतीय युद्ध और फिर [[अमेरिकी क्रान्ति|अमरीकन क्रांति]] (1775-1783) और उसके फौरन बाद हुई [[
ये सभी युद्ध और इनके साथ चल रही राजनैतिक और सामाजिक उथल-पुथल, स्वच्छन्द्तावाद की पृष्ठभूमि का कार्य करती है। युद्ध के दौरान उत्पन्न कठोर भावनाओं ने कला और साहित्य, जैसी पहले कभी नहीं देखी गयी, के प्रवाह के लिए उत्प्रेरक का कार्य किया। यह लेखन वास्तव में इतना भिन्न था की इसने अपने नए रोमानी युग का आरंभ किया<ref name="ReferenceA">रेडहेड इट. एएल.,"नार्टन एंथोलोजी ऑफ़ इंग्लिश लिटरेचर,"द रोमांटिक पीरियड - वॉल्यूम डी" (डब्लू.डब्लू. नार्टन & कंपनी लिमि.) 2006 2006</ref>.
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शुरूआती रोमानी राष्ट्रवाद का रूसो ने अत्यधिक समर्थन किया और जोहन गोटफ्राइड वों हर्डर के सुझावों द्वारा, जिन्होंने 1784 में यह तर्क दिया कि भूगोल व्यक्ति की प्राकृतिक अर्थव्यवस्था की रचना करता है और उनके समाज व् रिवाजों को एक आकार प्रदान करता है।
राष्ट्रवाद की प्रकृति नाटकीय रूप से बदल गयी, हालाँकि [[
[[चित्र:Gallen Kallela The Forging of the Sampo.jpg|right|thumb|अक्सेली गैलेन-कैलेला, द फोर्जिंग ऑफ़ द सैम्पो, 1893फिनलैंड का एक कलाकार जो कैलेवैला के संकलन से प्रेरणा ले रहा था।]]
<blockquote>''जो लोग एक ही भाषा बोलते हैं वह एक दूसरे से प्रकृति के अनेकों अदृश्य बंधनों के द्वारा जुड़े हैं, किसी मानव कला के विकसित होने से बहुत पहले ही; वह एक दूसरे को समझने लगते हैं और स्वयं को और भी अधिक स्पष्ट रूप से समझने योग्य बनाने लगते हैं; उनका अस्तित्व एक साथ रहने में ही है और वह पूर्णएक हैं जिसे अलग नहीं किया जा सकता.....'' ''मात्र तब ही जब प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं पर छोड़ दिया जायेगा और वह अपनी विशिष्ट प्रतिभाओं के आधार पर स्वयं को बनाएगा और सिर्फ तब ही, जब प्रत्येक व्यक्ति उन्ही उभयनिष्ठ विशिष्टताओं के आधार पर स्वयं को विकसित करेगा- तब और सिर्फ तब ही, अपने सही मायनों में ईश्वरत्व का आविर्भाव होगा जैसा कि होना चाहिए.'' </blockquote>
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राष्ट्रवाद के दृष्टिकोण ने लोकसाहित्य के संकलन को ब्रदर्स ग्रिम जैसे लोगों द्वारा प्रोत्साहित किया, पुराने महाकाव्यों का राष्ट्रीय के रूप में पुनः प्रचलन, ऐसे नए महाकाव्यों की रचना जो पुरानी शैली के हों, जैसे कि ''कैल्वाला'', जोकि फिन्लैंड की कथाओं और लोक साहित्य से संकलित था, या ''ओशियन'', जिसमे कि उन प्राचीन जड़ों की खोज की गयी है जिन पर दावे किये गए हैं। यह विचार कि परी-कथाएं, जब तक कि वह बाहरी साहित्यिक स्रोत द्वारा दूषित न की जाएँ, तब तक वह हजारों वर्ष से उसी रूप में रहती हैं, यह मात्र रोमानी राष्ट्रवादियों में विशेष नहीं था, लेकिन उनके इस विचार के साथ आसानी से सामंजस्य बना लेता था कि ऐसी कथाएं लोगों के मौलिक स्वभाव को व्यक्त करती हैं। उदहारण के लिए, ब्रदर्स ग्रिम ने अपने द्वारा संकलित कई कथाओं को अस्वीकृत कर दिया क्यूंकि वह चार्ल्स परौल्ट की कहानियों के सामान थीं, जी उनके अनुसार यह प्रदर्शित करता था कि यह कथाएं पूर्ण रूप से जर्मन नहीं हैं; उनके संकलन में ''स्लीपिंग ब्यूटी'' का स्थान बना रहा क्यूंकि ब्राइनहिल्ड्र की कहानी ने उन्हें इस बात के लिए सहमत कर लिया कि निद्रामग्न राजकुमारी का चरित्र प्रमाणिक रूप से जर्मन है।
केंद्रीय यूरोप के अनेकों लोगों, जिनके पास अपना राष्ट्रीय राज्य नहीं था, उनके राष्ट्रीय जागरण में स्वछंदतावाद ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई और सिर्फ [[पोलैंड]] में ही नहीं, जिसने हाल में ही अपनी स्वतंत्रता खो दी थी जब रशिया की सेना ने निकोलस 1 के नेतृत्व में पोलैंड के क्रांतिकारियों को समाप्त कर दिया था। रोमानी कवियों और चित्रकारों द्वारा प्राचीन मिथकों, रिवाजों और परम्पराओं का पुनः प्रचलन और पुनाराभिव्यक्ति ने प्रभावी देशों में से उनके मौलिक संस्कृति का भेद कर पाने और रोमानी राष्ट्रवाद के मिथकलेख का क्रिस्टलीकरण कर पाने में सहायता की। स्वतंत्रता के लिए देशभक्ति, राष्ट्रवाद, क्रांति और सैन्य संघर्ष भी इस काल की कला की प्रचलित शैली बन गयी। विवादस्पद रूप से, एडम मिकिविज़ यूरोप के इस भाग के सर्वाधिक विशिष्ट कवि रहे, जिन्होंने यह विचार विकसित किया कि पोलैंड राष्ट्रों का मसीहा था और कष्ट सहना उसी प्रकार उसके भाग्य में लिखा था जिस प्रकार [[
== गैलरी ==
पंक्ति 221:
* एम.एच. अब्रेम
* डोनाल्ड ऑल्ट
* [[जेन
* [[विलियम ब्लेक]]
* हेरोल्ड ब्लूम
पंक्ति 228:
* [[जॉर्ज गॉर्डन बायरन|लॉर्ड बायरन]]
* जेम्स चेंडलर
* [[
* [[राल्फ वाल्डो इमर्सन|राल्फ वाल्डो एमरसन]]
* जोस डे एस्प्रोनसेडा
पंक्ति 243:
* हेनरी डेविड थोरौ
* रेने वेलेक
* [[विलियम वर्द्स्वर्थ|विलियम वर्ड्सवर्थ]]
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