"गाथा (अवेस्ता)": अवतरणों में अंतर

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[[अवेस्ता]] में भी '''[[गाथा]]''' का वही अर्थ है जो [[गाथा|वैदिक गाथा]] का है अर्थात् गेय [[मन्त्र|मंत्र]] या गति का। ये संख्या में पांच हैं जिनके भीतर 17 मंत्र सम्मिलित माने जाते हैं। ये पांचों छंदों की दृष्टि से वर्गीकृत है और अपने आदि अक्षर के अनुसार विभिन्न नामों से विख्यात है। गाथा अवेस्ता का प्राचीनतम अंश है जो रचना की दृष्टि से भी अत्यंत महनीय मानी जाती है। इनके भीतर [[पारसी धर्म]] के सुधारक तथा प्रतिष्ठात्मक [[ज़रथुश्त्र|जरथुस्त्र]] मानवीय और ऐतिहासिक रूप में अपनी अभिव्यक्ति पाते हैं; यहाँ उनका यह काल्पनिक रूप, जो अवेस्ता के अन्य अंशों में प्रचुरता से उपलब्ध होता है, नितांत सत्ताहीन है। यहाँ वे ठोस जमीन पर चलनेवाले मानव हैं जिनमें जगत् के कार्यों के प्रति आशा निराशा, हर्ष विषाद की स्पष्ट छाया प्रतिबिंबित होती है। एक द्वितीय ईश्वर के प्रति उनकी आस्था नितांत दृढ़ है जो जीवन के गतिशील परिवर्तन में भी अपनी एकता तथा सत्ता दृढ़ता से बनाए रहता है।
 
== अवेस्ता के गाथा की भाषा ==
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== वर्ण्य विषय ==
जरथुस्त्र ने इन गाथाओं में अनेक देवताओं की भावना की बड़ी निंदा की है तथा सर्वशक्तिमान् ईश्वर के, जिसे वे अहुरमज्द (असुर महान्) के अभिधान से पुकारते हैं, आदेश पर चलने के लिए पारसी प्रजा को आज्ञा दी है। वे [[एकेश्वरवादीएकेश्वरवाद]] थे - इतने पक्के कि उन्होंने उस सर्वशक्तिमान् के लिए अहुरमज्द नाम के अतिरिक्त अन्य नामों का सर्वथा निषेध किया है।
 
गाथा का स्पष्ट कथन है :