"राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, भोपाल": अवतरणों में अंतर

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|city = [[भोपाल]]
|country = [[भारत]]
|affiliations = [[विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग (भारत)|विश्वविद्यालय अनुदान आयोग]]
|campus = नगरीय
|website= [http://rsksbhopal.ac.in/default.html अधिकृत जालस्थान]
}}
'''राष्ट्रिय संस्कृत संस्थानम्, भोपाल''' एक शैक्षणिक संस्थान है।<ref>{{cite web|title=गुगल नकशे में संस्थान का स्थान|url=https://www.google.co.in/maps/place/Rashtriya+Sanskrit+Sansthan/@23.1914648,77.4788015,15z/data=!4m5!3m4!1s0x0:0xb357f09ffe1a89cb!8m2!3d23.1914648!4d77.4788015|website=गूगल मेप|publisher=गुगल सेवा प्रदाता|accessdate=18 जनवरी 2017}}</ref> यह [[भारत सरकार]] द्वारा पूर्णतः वित्तपोषित [[मानित विश्वविद्यालय]] है। [[भारत सरकार]] ने [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] आयोग (1956-1957) की अनुशंसा के आधार पर संस्कृत के विकास तथा प्रचार-प्रसार हेतु संस्कृत सम्बद्ध केन्द्र सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के उद्देश्य से 15 अक्टूबर, 1970 को एक स्वायत्त संगठन के रूप में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान की स्थापना की थी। वर्तमान में इस मानित विश्वविद्यालय के तेरह परिसर देश के विभिन्न प्रदेशों में कार्यरत हैं। उनमें मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल नगर में शिक्षासत्र 2002-2003 से भोपाल परिसर संचालित है।<ref>{{cite web|title=अधिकारिक जालस्थल|url=http://rsksbhopal.ac.in/aboutushindi.html|website=राष्ट्रिय संस्कृत संस्थानम्|accessdate=१६ जनवरी २०१७}}</ref><ref>{{cite web|title=राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान दिल्ली के पृष्ठ पर सम्पर्क जानकारी|url=http://www.sanskrit.nic.in/campus%20contact.htm|website=राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान|publisher=राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान-नवी दिल्ली|accessdate=18 जनवरी 2017}}</ref>
 
==उद्देश्य==
राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान के संस्था के बहिर्नियम (Memorandum of Association) में घोषित उद्देश्य इस प्रकार है-
 
संस्थान की स्थापना के उद्देश्य पारम्परिक [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] विद्या व शोध का प्रचार, विकास व प्रोत्साहन है और उनका पालन करते हुएः-
# संस्कृत विद्या की सभी विधाओं में शोध का आरम्भ, अनुदान, प्रोत्साहन तथा संयोजन करना है, साथ-साथ शिक्षक-प्रशिक्षण तथा पाण्डुलिपि विज्ञान आदि को भी संरक्षण देना जिससे पाठमूलक प्रासंगिक विषयों में आधुनिक शोध के निष्कर्ष के साथ सम्बन्ध स्पष्ट किया जा सके तथा इनका प्रकाशन हो सके।
# केन्द्रीय प्रशासनिक संकाय के रूप में इसके द्वारा स्थापित अथवा अधिगृहीत समस्त संस्कृत महाविद्यालयों का प्रंबन्धन तथा उनकी शैक्षणिक गतिविधियों में अधिकाधिक प्रभावी सहयोग करना जिससे विशिष्ट क्षेत्रों में विद्यापीठों के बीच कर्मचारियों, छात्रों व शोध और राष्ट्रिय कार्य-विभाजन के अन्तर्बदल और स्थानान्तरण को सुसाध्य एवं तर्कसंगत बनाया जा सके।
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==इतिहास==
भारत में सर्वप्रथम [[दिल्ली]] से [[राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली|राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान]] की प्रवृत्ति का प्रारंभ संस्कृत के विकास और प्रचार-प्रसार हेतु तथा संस्कृत से सम्बद्ध केन्द्र सरकार की नीतियों एवं कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के उद्देश्य से 15 अक्टूबर, 1970 को एक स्वायत्त संगठन के रूप में हुआ। भोपाल परिसर को स्थापित करने के लिए तात्कालीन केन्द्रीय मन्त्री डा. मुरली मनोहर जोशी, मानव संसाधन विकास मन्त्रालय भारत सरकार ने पत्र क्रमांक संस्कृत-1- सेक्सन दिनांक 31 मार्च 2002 के द्वारा स्थापना आदेशपत्र निर्गत किया था। उक्त शासनादेश को क्रियान्वित करने के लिए रा. सं. सं. नई दिल्ली ने पत्र क्रमांक-37021/2002-admin/1108 कार्यालय आदेश संख्या 107 / दिनांक 05.06.2002 के द्वारा एतदर्थ प्राचार्य आदि विभाग उपलब्ध कराकर 1 जुलाई 2002 से भोपाल परिसर को क्रियाशील किया था। इस तिथि से प्रायः दस वर्ष पूर्व ही 1991-92 में तत्कालीन मानव संसाधन विकास मन्त्री अर्जुन सिंह की घोषणा से भोपाल परिसर के स्थापना की योजना प्रकल्पित हुई थी<ref>http://www.sanskrit.nic.in/annual_report/2005-06_pdf/annual_1.pdf वार्षिक प्रतिवेदन वर्ष २००५ -०६ </ref> और उसी समय [[मध्य प्रदेश|मध्यप्रदेश]] शासन ने पत्र क्रमांक -एफ 6730/शास. /सा.-2बी/93 दिनांक 27.05.1993/20.07.1993 के शासनादेश के द्वारा इस परिसर के विकास के लिए 10 एकड़ भूमि निःशुल्क आवंटित की थी। इस प्रकार भोपाल में 6 जुलाई 2002 से बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के अतिथि गृह के कक्ष में भोपाल परिसर की गतिविधि प्रारम्भ होने पर 02 अगस्त 2002 को अरेरा कॉलोनी में भाटक भवन प्राप्त करके उसमें छात्रों के प्रवेश एवं शिक्षण की गतिविधि प्रारम्भ हुई। दिनांक 16 सितम्बर 2002 को भोपाल परिसर में औपचारिक उद्घाटन किया गया। दिनांक 27.02.2003 को आवंटित भूखण्ड पर परिसराधार शिलान्यास मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमन्त्री दिग्विजय सिंह के हाथों हुआ था। दिनांक 19 सितम्बर 2005 को शैक्षिक एवं प्रशासनिक मुख्य भवन का शिलान्यास तत्कालीन मानव संसाधन विकास मन्त्री अर्जुन सिंह के हाथों सम्पन्न हुआ था।
<ref>{{cite web|title=अधिकारिक जालस्थल पर जानकारी|url=http://rsksbhopal.ac.in/aboutushindi.html|website=राष्ट्रिय संस्कृत संस्थानम्|accessdate=१८ जनवरी २०१७}}</ref>