"केडी सिंह बाबू": अवतरणों में अंतर

छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
पंक्ति 2:
{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2014}}
 
'''केडी सिंह बाबू''' (2 फ़रवरी 1922 -1978) [[हॉकी]] के प्रसिद्ध खिलाड़ी थे जो ड्रिबलिंग तथा विपक्षी खिलाड़ियों को छकाने की कला में माहिर थे। इनका पूरा नाम कुँवर दिग्विजय सिंह बाबू थाम। हॉकी को [[भारत]] में लोकप्रिय बनाने और पूरी दुनिया में इसकी पहचान बनाने में मुख्य भूमिका निभाने वालों में [[ध्यानचंद सिंह|ध्यानचंद]] और पद्मश्री से सम्मानित केडी भी थे।
 
== जीवनी ==
पंक्ति 12:
केडी को नहीं बताया गया कि प्रतिद्वंद्वी टीम में ओलिम्पिक खिलाड़ी हुसैन भी हैं ताकि उनका नैसर्गिक खेल प्रभावित नहीं हो। के.डी. ने पूरे मैच के दौरान हुसैन को दबाए रखा। हुसैन भी कम उम्र के इस लड़के के खेल कौशल से आश्चर्यचकित थे।
 
मैच के बाद लखनऊ टीम के कोच मुश्कउज्जमां ने के.डी.को हुसैन के बारे में बताया। हुसैन ने मैच के बाद कहा भी यह लडका हॉकी का महान खिलाड़ी बनेगा। बाबू ने सोलह साल तक [[उत्तर प्रदेश|उत्तरप्रदेश]] का प्रतिनिधित्व किया और भारतीय टीम के उपकप्तान भी बने। [[लंदन]] में 1948 में हुए ओलिम्पिक में वह भारतीय टीम के उपकप्तान थे तो 1952 में [[हेलसिंकी ओलिम्पिक]] में टीम की कप्तानी उनके हाथ थी। <ref name=inext/>
 
अन्य देशों के खिलाड़ी गोल करने की उनकी कला से काफी प्रभावित थे और समझ नहीं पाते थे कि इस तरह गोल कैसे किया जा सकता है। वह गेंद को पहले गोल पोस्ट पर मारते थे और वापस आने के बाद उसे जाल से उलझा देते थे।