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==जैन दर्शन==
[[जैन दर्शन]] के अनुसार, पुद्गल एक अजीव [[तत्त्व|तत्व]] हैं। वह चेतना रहित हैं। जब तक [[आत्मा]] पुद्गल से लिप्त हैं, तब तक वह [[ब्रह्माण्ड|संसार]] के जन्म-मरण के द्वंद्व में बंधी हुई हैं। पुद्गल से अलिप्त होने पर ही, आत्मा की [[मुक्ति]] संभव हैं।।
==ये भी देखें==
*[[तत्त्व|तत्व]]
*[[पदार्थ]]
*[[अणु]]
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