"आल्ब्रेख्ट पेंक": अवतरणों में अंतर

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|field = भूआकृतिविज्ञान, [[क्वार्टरनरी विज्ञान]], जलवायु विज्ञान
|work_institutions = [[वियना विश्वविद्यालय]]<br/>[[हार्वर्ड विश्वविद्यालय|हारवर्ड विश्वविद्यालय]]<br/>[[हम्बोल्ट विश्वविद्यालय]]
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'''आल्ब्रेख्ट पेंक''', (Albrecht Penck ; सन्‌ 1858 -- 1945) जर्मन भूगोलविद् एवं भूविद् थे। इन्होंने विभिन्न धरातलीय स्वरूपों के निर्माण एवं इसके लिये उत्तरदायी प्रक्रियाओं की विवेचना एवं संबंधित सिद्धांतों के प्रतिपादन में महत्वपूर्ण कार्य किया है। [[भू-आकृति विज्ञान|भू-आकृतिविज्ञान]] तथा [[जलवायुविज्ञान]] के क्षेत्र में उनके द्वारा किये गये कार्य के कारण वियना भौतिक भूगोल संस्थान को अन्तरराष्ट्रीय ख्याति मिली।
 
इनका जन्म [[राउडिट्ज]] (Reudnitz) में हुआ था। वे १८८५ से १९०६ तक [[वियना]] में तथा १९०६ से १९२७ तक [[बर्लिन]] में प्रोफेसर थे। सन्‌ 1905 में इन्होंने प्रतिपादित किया कि भौम्याकृतियों के विकासक्रम में संरचना की अपेक्षा प्रक्रिया (process) श्रेष्ठतर एवं अधिक प्रभावशाली होती है। इन्होंने अपने इस सिद्धांत को [[घाटी|नदीघाटी]] के विकासक्रम में ढालों के क्रमिक परिवर्तित स्वरूपों एवं प्रयासमभूमि (peneplain) की निर्माण क्रिया द्वारा स्पष्ट किया। पृथ्वी के मानचित्र को 1: 10,00,000 मापक पर तैयार करने की विधि में विकास किया। इन्होंने तृतीयक (Tertiary) एवं डिल्यूवियल (Diluvial) काल में [[हिमानी|हिमानियों]] के निर्माण एवं [[हिमयुग]] का अध्ययन किया था। ये सन्‌ 1886 से 1906 तक बर्लिन में समुद्रविज्ञान संस्था एवं भूगोल परिषद् के निदेशक रहे। इनके कई प्रकाशन महत्व के हैं।
 
== कृतियां ==